|
||
Saturday, 29 December 2012
रातें बन जाएगी मादक...
स्त्री-पुरुष को करीब लाता है ठंड का मौसम!
स्त्री-पुरुष को करीब लाता है ठंड का मौसम!
आमतौर पर सर्दी को बीमारियों का मौसम समझा जाता है, लेकिन यदि यह मौसम न आए
तो आपकी जिंदगी से ताजगी, रोमांस और प्रेम हमेशा के लिए गायब हो जाएगा। यह
ऐसा मौसम है जो स्त्री व पुरुष को करीब लाता है, दोनों के अंदर प्रेम का
संचार करता है और एक-दूसरे को सेक्स संबंध बनाने के लिए लालायित कर देता
है। ठंड के मौसम में सबसे अधिक शादियाँ होती हैं। सबसे अधिक हनीमून टूर की
बुकिंग भी ठंड के मौसम में होती है। सेक्स पॉवर बढ़ाने वाली दवा की बिक्री
भी ठंड के मौसम में ही ज्यादा होती है।
चरक इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सलाहकार एवं आयुवर्धक हेल्थ केयर के निदेशक डॉ. आकाश परमार कहते हैं, आयुर्वेद में सर्दी को स्वस्थ मौसम कहा गया है। इस मौसम में पित्त बढ़ जाता है। इससे महिला व पुरुष दोनों के सेक्सुअल हार्मोन बढ़ते हैं। पुरुष के अंडकोष का तापमान 2 डिसे तक बढ़ जाता है, जिससे शुक्राणु अधिक सक्रिय हो जाता है और संभोग की इच्छा जागृत हो जाती है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि इस मौसम में पुरुष व महिलाओं की खूबसूरती बढ़ जाती है। सुंदर व स्वस्थ स्त्री के अंदर भी 'काम' का संचार होता है। स्त्री पुरुष दोनों अधिक से अधिक समय साथ गुजारना चाहते हैं।
सर्द रातों में स्त्री पुरुष का साथ दोनों के अंदर हार्मोन स्तर को बढ़ा देता है और गर्मी पैदा होती है। यह एक स्वस्थ्य 'काम' भावना है, जिसकी इजाजत हमें प्राकृतिक देती है। महानगरों की तनावभरी जिंदगी में यह मौसम पति-पत्नी के लिहाज से बेहद सुकूनभरा है। इस मौसम में कसरत, बॉडी मसाज, भाप लेने, गुनगुने पानी से नहाने, सूती व ऊनी वस्त्र पहनने से सेहत बनी रहती है और मन खुश रहता है।
कम वजन वाले युवक इस मौसम में बढ़ाएं अपना वजन
वजन की कमी से पीड़ित नौजवानों को भी यह मौसम भरापूरा होने का अहसास कराता है। अधिकतर लोगों का वजन इसी मौसम में बढ़ता है। मच्छर व जल जनित बीमारियाँ इस मौसम से कोसों दूर रहती हैं। एम्स के सामुदायिक मेडिसिन के डॉ. बीरसिंह के मुताबिक शरीर को गर्म रखने के लिए इस मौसम में भूख अधिक लगती है। इसलिए इस मौसम में जिनका वजन नहीं बढ़ता, वे अपना वजन बढ़ा सकते हैं। मच्छरों से होने वाली डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ इस मौसम में नहीं होती।
जाड़े में व्यक्ति संक्रमण से भी दूर रहता है
एम्स के ही प्रोफेसर रणदीप गुलेरिया बताते हैं कि इस मौसम में किसी भी तरह का संक्रमण कम होता है। कई तरह के बड़े ऑपरेशन जानबूझ कर सर्दी में प्लान किए जाते हैं, क्योंकि इस मौसम में रक्तस्राव कम होता है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल जनकपुरी शाखा के पूर्व अध्यक्ष व प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.राकेश महाजन के मुताबिक हैजा व टाइफाइड जैसी बीमारियों के वायरस इस मौसम में काफी कम पनपते हैं, इसलिए यदि थोड़ी एहतियात बरतें तो यह मौसम हर दृष्टि से अच्छा है।
Thursday, 27 December 2012
स्त्री, संभोग और सच्चाई
स्त्री, संभोग और सच्चाई
पुरुषों के समान महिलाओं की भी सेक्स इच्छा होती है। अधूरा और सही समय पर संभोग के पूरा न होने पर महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानी होती है। स्त्रियों का सेक्स केवल संभोग तक सीमित नहीं होता, बल्कि स्पर्श, चुंबन आदि से भी उन्हें संतुष्टि मिल जाती है। सेक्स का सेंटर दिमाग में होता है। चुंबन, स्पर्श या सेक्स के ख्याल से शरीर में उत्तेजना पैदा होती है, जिससे पूरे शरीर में खून का बहाव बढ़ जाता है। स्त्री जननांग बेहद संवेदनशील होता है। उत्तेजना होते ही स्त्रियों की योनी गीली हो उठती है।
जिसे ऑर्गेज्म, क्लाइमैक्स या चरम सुख कहा जाता है- वह बेहद कम महिलाओं को नसीब हो पाता है। ऐसा सेक्स के प्रति अज्ञानता और पुरुष का सही साथ नहीं मिलने की वजह से होता है। सेक्स की वजह से, सेक्स के दौरान या सेक्स के बाद महिलाओं में आने वाली समस्याओं को समझ कर उसका समाधान किया जा सकता है।
कामेच्छा में कमी- बहुत-सी महिलाओं को सेक्स की चाहत ही नहीं होती। अगर वे पार्टनर के कहने पर तैयार होती हैं तो भी बिल्कुल ऐक्टिव नहीं हो पातीं। बस अपनी ड्यूटी समझकर 'काम' निबटा देती हैं। बच्चे होने के बाद यह समस्या ज्यादा होती है।
वजह : डिप्रेशन, थकान या तनाव की वजह से यह दिक्कत हो सकती है। कई बार बचपन की किसी बुरी घटना की वजह से भी सेक्स में दिलचस्पी खत्म हो जाती है। इसके अलावा कुछ और वजहें भी सकती हैं, मसलन पार्टनर जिस तरह छूता है, वह पसंद नहीं आना, उसके शरीर की महक नापसंद होना, उसे बहुत ज्यादा पसीना आना, उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरह की बदबू आना आदि। कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता। इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं।
इलाज : पार्टनर को सबसे पहले यह समझना चाहिए कि साथी महिला को क्या पसंद है और क्या नापसंद। उसी के मुताबिक आगे बढ़ना चाहिए। फोर प्ले में ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। इससे महिला मानसिक और शारीरिक रूप से संभोग के लिए तैयार हो जाती है। जब एक्साइटमेंट ज्यादा हो, तभी आगे बढ़ना चाहिए। अगर डिप्रेशन की वजह से दिक्कत है तो पहले उसका इलाज कराएं। डिप्रेशन से मुक्त होने पर ही कामेच्छा जागेगी।
'सेंसेट
फोकस एक्सरसाइज' या 'प्लेजरिंग सेशन' से काफी फायदा हो सकता है। इस सेशन
में स्पर्श पर सारा फोकस होता है और सहवास की मनाही होती है। इसका तरीका यह
है कि बारी-बारी से स्त्री व पुरुष एक-दूसरे को प्यार से सहलाएं और
एक-दूसरे के शरीर पर उत्तेजना केंद्र खोजें। दोनों एक-दूसरे को बताएं कि
उन्हें कहां अच्छा लगता है। इससे महिलाओं की झिझक भी कम होती है।
साथ ही परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं होता। वे कपल जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है, वे भी तीन-चार महीनों में अगर एक हफ्ते इस सेशन को करें और सहवास से परहेज रखें तो सेक्स लाइफ को ज्यादा इंजॉय कर सकते हैं।
साथ ही परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं होता। वे कपल जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है, वे भी तीन-चार महीनों में अगर एक हफ्ते इस सेशन को करें और सहवास से परहेज रखें तो सेक्स लाइफ को ज्यादा इंजॉय कर सकते हैं।
लुब्रिकेशन की कमी- स्त्री
जनन अंग में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है। कुछ
महिलाओं को इसमें कमी की शिकायत होती है। ऐसे में सहवास काफी तकलीफदेह हो
जाता है।
वजह : लुब्रिकेशन
में कमी तीन वजहों से हो सकती है। इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर
तरीके से फोर प्ले न होना। अगर जनन अंग में खुजली हो, खून आता हो, कपड़े
पर धब्बे पड़ जाते हों या बहुत बदबू आती हो तो इन्फेक्शन हो सकता है।
हार्मोंस में गड़बड़ी यानी एस्ट्रोजन की कमी आमतौर पर मीनोपॉज के बाद
ज्यादा होती है। पार्टनर का महिला की जरूरत न समझ पाना या फोर प्ले में
ज्यादा वक्त न गुजारना भी इसकी वजह हो सकती है।
इलाज : अगर
इन्फेक्शन है या हॉर्मोंस में गड़बड़ी है तो फौरन अच्छे डॉक्टर को दिखाकर
इलाज कराएं। हॉर्मोंस वाली दिक्कत अक्सर मरीज को खुद पता नहीं लगती। डॉक्टर
जांच के बाद इसका पता लगा पाते हैं। तीसरी वजह है तो पार्टनर से बातचीत और
समझ से प्रॉब्लम दूर की जा सकती है। पार्टनर को फोरप्ले में ज्यादा वक्त
देना चाहिए क्योंकि यह बहुत अहम होता है। इसी से सेक्स को सही ढंग से इंजॉय
किया जा सकता है।
सहवास में दर्द- कुछ
महिलाओं को सहवास के दौरान दर्द होता है। कई बार यह दर्द बहुत ज्यादा होता
है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है। साथी को इस दर्द का अहसास
नहीं होता। उसे लगता है कि साथी महिला उसे सहयोग नहीं दे रही। यह दोनों के
बीच झगड़े की वजह बनता है। इस प्रॉब्लम को डिस्परयूनिया (पेनफुल इंटरकोर्स)
कहा जाता है। अगर पूरे इलाज या सलाह के बिना संबंध बनाने की कोशिश की जाती
है तो प्रॉब्लम और बढ़ जाती है।
वजह : संबंध बनाते वक्त दर्द की वजह लुब्रिकेशन में कमी या सही ढंग से फोर प्ले न होना हो सकता है। कई बार इन्फेक्शन या एंडोमेट्रियोसिस यानी ओवरी में ब्लड जमा होने पर यह प्रॉब्लम हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए हॉर्मोन थेरपी या फिर जरूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोपी भी की जाती है।
वजह : संबंध बनाते वक्त दर्द की वजह लुब्रिकेशन में कमी या सही ढंग से फोर प्ले न होना हो सकता है। कई बार इन्फेक्शन या एंडोमेट्रियोसिस यानी ओवरी में ब्लड जमा होने पर यह प्रॉब्लम हो सकती है। एंडोमेट्रियोसिस के लिए हॉर्मोन थेरपी या फिर जरूरत पड़ने पर लेप्रोस्कोपी भी की जाती है।
वैजिनिस्मस : वैजिनिस्मस
का मतलब है किसी बाहरी चीज के स्त्री जनन अंग में जाने का डर। इसमें संभोग
की कोशिश या संभावना का आभास मिलते ही महिला जनन अंग के बाहरी एक-तिहाई
हिस्से में अनैच्छिक संकुचन आ जाता है। इससे समागम नहीं हो पाता और साथी
अगर जबरन कोशिश करता है तो दिक्कत और दर्द दोनों बढ़ जाते हैं।
वजह : इसके मानसिक कारण होते हैं - जैसे कि कई बार महिला के मन में सहवास को लेकर डर बैठ जाता है कि इस दौरान काफी दर्द होता है। इसके अलावा, किसी तरह की जोर-जबरदस्ती, सेक्स को पाप या गलत समझने और अपने जननांगों को गंदे या बदबूदार मानने की भावना से भी यह परेशानी हो सकती है।
इलाज : इस परेशानी की कोई दवा या सर्जरी नहीं होती। यह मानसिक बीमारी है और इसे काउंसलिंग से बहुत हद तक सुधारा जा सकता है। पीड़ित महिला के मन से सेक्स संबंधी डर दूर किया जाता है। उसे समझाया जाता है कि जनन अंग इलास्टिक की तरह होता है, जो जरूरत के मुताबिक बढ़ जाता है। इससे उसके दिमाग से काफी हद तक फिक्र निकल जाती है और वह मानसिक तौर पर राहत महसूस करने लगती है। इसके बाद एक खास थेरपी के जरिए जनन अंग को धीरे-धीरे बाहरी चीज के टच के प्रति सहज किया जाता है। फिर डाइलेटर की मदद से ज्यादा जगह बनाई जाती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज भी की जा सकती है। इसका तरीका यह है कि महिला पेशाब को रोके और छोड़ दे। फिर रोके, फिर छोड़ दे। इस तरह जनन अंग पर उसका कंट्रोल बढ़ जाता है।
सलाह : डॉक्टर कहते हैं कि संबंध कायम करने के दौरान प्रवेश का काम औरत को ही करना चाहिए क्योंकि उसे ही मालूम है कि वह कब तैयार है। ऐसे में उसे संबंध के दौरान दर्द नहीं झेलना पड़ेगा।
वजह : इसके मानसिक कारण होते हैं - जैसे कि कई बार महिला के मन में सहवास को लेकर डर बैठ जाता है कि इस दौरान काफी दर्द होता है। इसके अलावा, किसी तरह की जोर-जबरदस्ती, सेक्स को पाप या गलत समझने और अपने जननांगों को गंदे या बदबूदार मानने की भावना से भी यह परेशानी हो सकती है।
इलाज : इस परेशानी की कोई दवा या सर्जरी नहीं होती। यह मानसिक बीमारी है और इसे काउंसलिंग से बहुत हद तक सुधारा जा सकता है। पीड़ित महिला के मन से सेक्स संबंधी डर दूर किया जाता है। उसे समझाया जाता है कि जनन अंग इलास्टिक की तरह होता है, जो जरूरत के मुताबिक बढ़ जाता है। इससे उसके दिमाग से काफी हद तक फिक्र निकल जाती है और वह मानसिक तौर पर राहत महसूस करने लगती है। इसके बाद एक खास थेरपी के जरिए जनन अंग को धीरे-धीरे बाहरी चीज के टच के प्रति सहज किया जाता है। फिर डाइलेटर की मदद से ज्यादा जगह बनाई जाती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज भी की जा सकती है। इसका तरीका यह है कि महिला पेशाब को रोके और छोड़ दे। फिर रोके, फिर छोड़ दे। इस तरह जनन अंग पर उसका कंट्रोल बढ़ जाता है।
सलाह : डॉक्टर कहते हैं कि संबंध कायम करने के दौरान प्रवेश का काम औरत को ही करना चाहिए क्योंकि उसे ही मालूम है कि वह कब तैयार है। ऐसे में उसे संबंध के दौरान दर्द नहीं झेलना पड़ेगा।
क्लाइमैक्स न होना या देर से होना- महिलाओं
में यह शिकायत आम है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट किए बिना ही छोड़
देता है। कुछ को ऑर्गेज्म (क्लाइमैक्स) नहीं होता और कुछ को होता है, पर
महसूस नहीं होता। कुछ महिलाओं को लुब्रिकेशन के दौरान ही जल्दी क्लाइमैक्स
हो जाता है। कुछ को बहुत देर से क्लाइमैक्स होता है। असल में क्लाइमैक्स के
दौरान महिला को अपने जनन अंग में लयात्मक संकुचन महसूस होता है और फिर मन
एकदम शांत हो जाता है। लेकिन लयात्मक संकुचन 10 में से 8 महिलाओं को ही
होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि बाकी दो को क्लाइमैक्स नहीं होता। उन्हें भी
क्लाइमैक्स होता है, बस अहसास नहीं होता। वैसे, कुछ महिलाओं में पुरुषों
की प्रीमैच्योर इजाकुलेशन की तरह शीघ्र क्लाइमैक्स होता है।
वजह : इस समस्या की वजह महिला खुद और साथी दोनों हो सकते हैं। आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि अपने पार्टनर को संतुष्ट करना ही उसकी जिम्मेदारी है। इस सोच की वजह से वह अपनी इच्छा बता नहीं पाती। दूसरी ओर, पुरुष भी कई बार खुद संतुष्ट होने के बाद महिला साथी के बारे में सोचता ही नहीं है।
इलाज : महिला अपनी झिझक खत्म करे और साथी को बताए कि वह संतुष्ट हुई या नहीं। ऐसे मुकाम पर पहुंचना जरूरी है, जहां पूरी तरह संतुष्टि महसूस हो। पुरुष को अपनी पार्टनर की इच्छा समझनी चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि उत्तम पुरुष वह है, जो महिला के कहे बिना ही उसकी बात समझ कर उसे संतुष्ट करे। मध्यम पुरुष वह है, जो कहने पर उसे संतुष्ट करे और अधम पुरुष वह है, जो कहने के बावजूद उसे असंतुष्ट छोड़ दे।
वजह : इस समस्या की वजह महिला खुद और साथी दोनों हो सकते हैं। आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि अपने पार्टनर को संतुष्ट करना ही उसकी जिम्मेदारी है। इस सोच की वजह से वह अपनी इच्छा बता नहीं पाती। दूसरी ओर, पुरुष भी कई बार खुद संतुष्ट होने के बाद महिला साथी के बारे में सोचता ही नहीं है।
इलाज : महिला अपनी झिझक खत्म करे और साथी को बताए कि वह संतुष्ट हुई या नहीं। ऐसे मुकाम पर पहुंचना जरूरी है, जहां पूरी तरह संतुष्टि महसूस हो। पुरुष को अपनी पार्टनर की इच्छा समझनी चाहिए। वैसे भी कहा जाता है कि उत्तम पुरुष वह है, जो महिला के कहे बिना ही उसकी बात समझ कर उसे संतुष्ट करे। मध्यम पुरुष वह है, जो कहने पर उसे संतुष्ट करे और अधम पुरुष वह है, जो कहने के बावजूद उसे असंतुष्ट छोड़ दे।
मीनोपॉज- आमतौर
पर मीनोपॉज हो जाने पर कुछ महिलाओं में सेक्स की इच्छा काफी घट जाती है।
लुब्रिकेशन भी कम हो जाता है। इससे संबंध बनाते हुए तकलीफ होती है। जाहिर
है, महिला इससे बचने की कोशिश करने लगती है।
वजह : हॉर्मोंस में बदलाव की वजह से ऐसा होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में सेक्स हॉर्मोन का लेवल काफी कम हो जाता है।
इलाज : फोर-प्ले में ज्यादा वक्त बिताएं। इससे नेचरल लुब्रिकेशन होता है। जरूरत पड़े तो बाहरी लुब्रिकेशन का इस्तेमाल करें। नारियल तेल अच्छा ऑप्शन हो सकता है। जरूरत पड़ने एस्ट्रोजन क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं। मीनोपॉज हो जाने पर ऐसी डाइट लें, जिसमें एस्ट्रोजन ज्यादा हो जैसे सोयाबीन, हरी सब्जियां, उड़द, राजमा आदि। डॉक्टर की सलाह पर सिंथेटिक एस्ट्रोजन की गोलियां भी ले सकती हैं।
इलाज : फोर-प्ले में ज्यादा वक्त बिताएं। इससे नेचरल लुब्रिकेशन होता है। जरूरत पड़े तो बाहरी लुब्रिकेशन का इस्तेमाल करें। नारियल तेल अच्छा ऑप्शन हो सकता है। जरूरत पड़ने एस्ट्रोजन क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं। मीनोपॉज हो जाने पर ऐसी डाइट लें, जिसमें एस्ट्रोजन ज्यादा हो जैसे सोयाबीन, हरी सब्जियां, उड़द, राजमा आदि। डॉक्टर की सलाह पर सिंथेटिक एस्ट्रोजन की गोलियां भी ले सकती हैं।
पीरियड्स के दौरान सेक्स- अगर
दोनों को इच्छा हो तो पीरियड्स के दौरान भी सेक्स कर सकते हैं, बल्कि कुछ
लोग तो इसे ज्यादा सेफ मानते हैं क्योंकि इस दौरान प्रेग्नेंसी के चांस
नहीं होते। साथ ही, पहले से ही गीलापन होने से आसानी भी होती है। लेकिन कुछ
लोग इसे हाइजिनिक नहीं मानते। ऐसे में कॉन्डोम का इस्तेमाल बेहतर है।
मास्टरबेशन- पुरुषों
की तरह महिलाएं भी खुद को संतुष्ट करने के लिए मास्टरबेशन करती हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक करीब 50 फीसदी महिलाएं ऐसा करती हैं। इसका कोई
नुकसान नहीं है, बल्कि एक्सपर्ट्स इसे बेहतर ही मानते हैं क्योंकि एक तो
इसमें प्रेग्नेंसी के चांस नहीं होते। दूसरे इसमें कोई दूसरा शख्स अपनी
पसंद-नापसंद को महिला पर थोप नहीं पाता। तीसरा एसटीडी (सेक्स ट्रांसमिटेड
डिजीज) और एड्स की आशंका नहीं होती।
वैजाइनल पेन (वुलवुडेनिया
पेल्विक पेन)- कभी-कभी महिलाओं को नाभि के नीचे और प्यूबिक एरिया के आसपास
दर्द महसूस होता है। यह दर्द वैसा ही होता है, जैसा पीरियड्स के दौरान
होता है। इसकी वजह यह है कि उत्तेजना होने पर प्राइवेट पार्ट के आसपास खून
का बहाव होता है। ऐसे में लुब्रिकेशन होता है, पर क्लाइमैक्स नहीं होता।
इससे इस एरिया में खून जम जाता है और दर्द होने लगता है। ऐसे में संतुष्ट
होना जरूरी है, फिर चाहे महिला खुद संतुष्ट हो या पुरुष उसे संतुष्ट करे।
ऐसा न होने पर दर्द होता रह सकता है और महिला चिड़चिड़ी हो सकती है।
लेक्स पैरिनियम- मैक्स
हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अनुराधा कपूर के मुताबिक उम्र बढ़ने और
बच्चे होने के बाद कुछ महिलाओं का जनन अंग ढीला पड़ जाता है, जिससे दोनों
को पूरी संतुष्टि का अहसास नहीं होता। आमतौर पर यह समस्या 40 साल के आसपास
और दो-तीन बच्चे होने पर होती है। इसके लिए कीजल एक्सरसाइज और जरूरत पड़ने
पर सर्जरी (वैजाइनोप्लास्टी) की जाती है। चार हफ्ते तक कीजल एक्सरसाइज करने
से स्त्री जनन अंग में कसाव आने लगता है।
जी स्पॉट : महिला जनन अंग में एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां सेक्स संबंधी संवेदनशीलता ज्यादा होती है। यह स्पॉट दो इंच की गहराई पर होता है। उत्तेजना बढ़ने पर यह स्पॉट थोड़ा फूल जाता है या कठोर हो जाता है। महिला को सबसे ज्यादा संतुष्टि इसी स्पॉट के छुए जाने पर होती है।
स्त्री सेक्स, मिथ और सच्चाई
जी स्पॉट : महिला जनन अंग में एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां सेक्स संबंधी संवेदनशीलता ज्यादा होती है। यह स्पॉट दो इंच की गहराई पर होता है। उत्तेजना बढ़ने पर यह स्पॉट थोड़ा फूल जाता है या कठोर हो जाता है। महिला को सबसे ज्यादा संतुष्टि इसी स्पॉट के छुए जाने पर होती है।
स्त्री सेक्स, मिथ और सच्चाई
महिलाओं को सेक्स की इच्छा कम होती हैमहिलाओं
को भी पुरुषों की तरह ही सेक्स की इच्छा होती है। बच्चे होने के बाद भी
कमी नहीं होती हालांकि कई बार परफॉर्मेंस में कमी आ जाती है। इसकी शारीरिक
और मानसिक दोनों वजहें होती हैं।
पहली बार सेक्स करते हुए ब्लड निकलना ही चाहिएलोग
मानते हैं अगर महिला वर्जिन है तो पहली बार सेक्स के दौरान इसे ब्लीडिंग
होनी ही चाहिए। यह सच नहीं है क्योंकि कुछ खेलकूद या साइकल चलाते वक्त भी
कुछ महिलाओं की हाइमेन टूट सकती है। ऐसे में पहली बार सहवास के दौरान ब्लड
नहीं निकलता।
महिलाओं को भी पुरुषों की तरह डिस्चार्ज होता हैमहिलाओं
में पुरुषों की तरह डिस्चार्ज नहीं होता। 100 में से बमुश्किल एक महिला को
थोड़ा-बहुत डिस्चार्ज होता है। उत्तेजना के दौरान होने वाले लुब्रिकेशन को
ही ज्यादातर लोग डिस्चार्ज समझ लेते हैं। हालांकि डिस्चार्ज होने या न
होने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि महिला को असली सुकून क्लाइमैक्स पर
पहुंचने से ही मिलता है।
महिलाएं चरम पर नहीं पहुंचती हैं
यह
पूरी तरह गलत है। महिलाएं भी संभोग के दौरान चरम पर पहुंचती हैं। ऐसे में
पुरुष का उसकी जरूरत को समझना और उसके मुताबिक परफॉर्मेंस देना जरूरी है।
चरम पर पहुंचने में महिलाओं को ज्यादा वक्त लगता हैसभी
महिलाएं सेक्स के चरम पर पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लेतीं। अगर
पार्टनर उनकी पसंद का है तो वे जल्दी मुकाम पर पहुंच जाती हैं। हालांकि कुछ
को ज्यादा वक्त भी लग सकता है।Wednesday, 26 December 2012
परिचय से लेकर संभोग तक आलिंगन सुख
स्त्री-पुरुष के मैथुन के 64 अंग हैं। इसकी गणना 64 कलाओ में की गई है। संभोग काल की आठ श्रेणियां मानी गई हैं और इन सभी आठ श्रेणियों के आठ-आठ भेद हैं, जिस कारण मैथुन 64 कलाओं की क्रिया है।
संभोग काल की आठ श्रेणियां:
1. आलिंगन
2. चुंबन
3. नाखून से नोंचना
4. दांत से काटना
5. संभोग के समय पुरुष द्वारा लिंग का नारी की योनि में प्रवेश
6. संभोग के समय सी-सी की आवाज करना
7. स्त्री द्वारा विपरीत रति अर्थात संभोग के समय स्त्री का ऊपर होना
8. आप्राकृति जैसे मुख व गुदा मैथुन
आलिंगन:
2. चुंबन
3. नाखून से नोंचना
4. दांत से काटना
5. संभोग के समय पुरुष द्वारा लिंग का नारी की योनि में प्रवेश
6. संभोग के समय सी-सी की आवाज करना
7. स्त्री द्वारा विपरीत रति अर्थात संभोग के समय स्त्री का ऊपर होना
8. आप्राकृति जैसे मुख व गुदा मैथुन
आलिंगन:
परिचय बढ़ाने के लिए आलिंगन
* पुरुष किसी बहाने स्त्री के शरीर से अपना शरीर स्पर्श करा दे* स्त्री एकान्त में हलके से अपना स्तन पुरुष के शरीर से सटा दे
परिचय बढ़ने पर आलिंगन
* अंधकार, भीड़ या एकान्त में मौका मिलते ही स्त्री-पुरुष का अधिक समय तक एक-दूसरे के सीने से चिपटना
* एकांत मिलते ही पुरुष स्त्री को दीवार या खंभे के सहारे टिकाकर गले लगा ले
प्रेम हो जाने के बाद खड़े-खड़े आलिंगन* पेड़
की लता के समान स्त्री पुरुष से लिपट कर चुंबन के लिए उसका चेहरा नीचे
झुकाए। इसके बाद स्त्री पुरुष की बाहों में झूलते हुए उसे ऐसे देखे जैसे
उसकी सुन्दरता निहार रही हो
स्त्री एक पैर पुरुष के पैर पर रखे एवं दूसरे से उसकी जांघ को लपेट ले। उस दौरान उसका एक हाथ पुरुष की पीठ पर हो और दूसरे हाथ से कंधे को झुकाती हुई पुरुष को चूमने का प्रयास करे
स्त्री एक पैर पुरुष के पैर पर रखे एवं दूसरे से उसकी जांघ को लपेट ले। उस दौरान उसका एक हाथ पुरुष की पीठ पर हो और दूसरे हाथ से कंधे को झुकाती हुई पुरुष को चूमने का प्रयास करे
लेटी व बैठी अवस्था में आलिंगन* स्त्री-पुरुष एक दूसरे के विपरीत लेट कर हाथ-पैरों को सहलाते हुए आलिंगन करें
* स्त्री पुरुष की गोद में बैठ जाए या लेट जाए। उस समय सुध-बुध खोकर दोनों एक-दूसरे में इस तरह समा जाएं कि होश ही न रहे
इनके अलावा भी आलिंगन के चार भेद बताए गए हैं
* स्त्री पुरुष में से कोई एक या दोनों दूसरे की एक या दोनों जांघों को अपनी जांघ के बीच पूरी शक्ति से दबाए * स्त्री पुरुष के जांघ को अपनी जांघ से दबाती हुई, उसके शरीर में नाखून व दांत गड़ाए और उसे चूमते हुए उसके ऊपर चढ़ जाए
* स्त्री
अपने स्तनों से पुरुष के सीने को मसल दे। ऐसा लगे जैसे वह पुरुष के सीने
से एकाकार होना चाहती है। फिर धीरे-धीरे वह उसके ऊपर चढ़ जाए* दोनों अपने होंठ व जीभ को एक-दूसरे के मुंह में डालकर सुध-बुध खो दे Monday, 24 December 2012
अब क्रीम दूर करेगा योनि का ढीलापन
अब क्रीम दूर करेगा योनि का ढीलापन
मुंबई। भारतीय कंपनी अल्ट्राटेक ने दावा किया है कि वो योनि का ढीलापन
खत्म करने वाली देश की पहली क्रीम बाजार में ला रही है, जिसके विज्ञापन के
अनुसार महिलाएं एक बार फिर कौमार्य का अहसास कर पाएंगी। कंपनी का मानना है
कि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा, लेकिन आलोचक कह रहे हैं कि इससे उल्टे
नारी सशक्तिकरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
बड़ा दावा है ये
18 अगेन क्रीम के विज्ञापन में साड़ी पहने एक महिला नाच-गा रही है। विज्ञापन बॉलीवुड स्टाइल में है और महिला मैडोना का हिट गाना 'आई फील लाइक ए वर्जिन' गुनगुना रही है। उसके सास-ससुर स्तब्ध हैं। जल्द ही महिला का पति भी नाच-गाने में शामिल हो जाता है। शुरू में नाक-भौं सिकोड़ती सास आखिर में इस क्रीम को ऑनलाइन खरीदने की प्रक्रिया में दिखती है। 18 अगेन क्रीम को बनाने वाली मुंबई स्थित फार्मा कंपनी अल्ट्राटेक के अनुसार भारत में ये उत्पाद पहली बार मिल रहा है।
इसे लगाने के बाद महिलाओं को होगा कौमार्य का अहसास
अल्ट्राटेक के मालिक ऋषि भाटिया कहते हैं कि करीब ढाई हजार रुपए में मिलने वाली ये क्रीम सोने की भस्म, एलोवेरा यानि घृतकुमारी, बादाम और अनार जैसे पदार्थों से बनी है और इसके क्लीनिकल टेस्ट भी हो चुके हैं। ऋषि भाटिया कहते हैं, ये एक अनूठा और क्रांतिकारी उत्पाद है जो महिलाओं के आत्मविश्वास को मजबूत करने और उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने में भी सहायता करता है। भाटिया कहते हैं कि 18 अगेन का लक्ष्य महिलाओं का सशक्तिकरण है। उनके मुताबिक ये उत्पाद कौमार्य बहाल करने का दावा नहीं कर रहा है बल्कि सिर्फ एक वर्जिन जैसे अहसास को दोबारा दिलाने की बात कह रहा है।
आने के साथ ही शुरू हो चुकी है आलोचना
महिलाओं के समूह, कुछ डॉक्टर और सोशल मीडिया पर कई लोग कंपनी के प्रचार अभियान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये उत्पाद उस भारतीय सोच का समर्थन करता है जिसमें शादी से पहले सेक्स को हीन नजर से देखा जाता है और कुछ तो इसे 'पाप' भी करार देते हैं।नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमैन की एनी राजा कहती हैं, इस तरह की क्रीम बिल्कुल बकवास है और इससे कुछ महिलाओं में हीन भावना भी आ सकती है। महिलाओं को विवाह तक वर्जिन क्यों रहना चाहिए? किसी पुरुष के साथ संभोग महिला का अपना अधिकार है लेकिन यहां समाज अब भी महिलाओं को दुल्हन बनने तक इंतजार के लिए कहता है। एनी राजा कहती हैं कि सशक्तिकरण से उलट ये क्रीम पितृसत्तात्मक समाज की उस मान्यता को मजबूत करेगी जिसके अनुसार हर पुरुष अपनी पहली रात एक वर्जिन पत्नी के साथ ही मनाना चाहता है।
मुंबई मिरर और बैंगलोर मिरर समाचार पत्रों में सेक्स पर सलाह देने वाली कॉलम के लेखक गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर महिंदा वत्स कहते हैं, वर्जिन होने को अब भी बड़ी चीज माना जाता है। मुझे नहीं लगता कि इस सदी में ये धारणा बदलने वाली है।
डॉ. वत्स ने सेक्स से संबंधित 30 हजार से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए हैं और वो कहते हैं कि उनसे बहुत से मर्द पूछते हैं कि ये कैसे पता लगाया जाए कि उनकी पत्नी वर्जिन है या नहीं। उनसे महिलाएं भी पूछतीं है कि वो अपने पतियों से कैसे छिपाएं कि वो वर्जिन नहीं हैं।
भारत में अब पहले से कहीं ज्यादा विवाह पूर्व बन रहे हैं सेक्स संबंध
डॉ. महिंदा वत्स कहते हैं, हर पुरुष को आस होती है कि वर्जिन से शादी कर रहा है लेकिन कम से कम भारत के शहरों और क़स्बों में तो लड़कियां शादी से पहले ही संभोग कर रही हैं। डॉ. वत्स कहते हैं कि कामकाजी महिलाओं में पुरुषों के साथ सेक्स संबंध को लेकर काफी आत्मविश्वास आया है। एक वेबसाइट पर सेक्स संबंधी सेहत से जुड़ी सलाह देने वाली डॉ. निसरीन नखोडा कहती हैं, ये तो पक्का है कि भारत में अब पहले से कहीं ज्यादा विवाह पूर्व सेक्स संबंध बन रहे हैं।
डॉ. नखोडा कहती हैं, मुझे नहीं पता कि 18 अगेन क्या करेगी क्योंकि योनि को मांसपेशियां सुडौल बनाती हैं। पता नहीं एक क्रीम ये काम कैसे करेगी। लेकिन वो मानती हैं कि ऐसी क्रीम भारत में खूब कमाई कर सकती है क्योंकि हालात तो बदल रहे हैं लेकिन धारणाएं नहीं।
क्या कहता है सेक्स सर्वे
पिछले साल इंडिया टुडे पत्रिका में छपे एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में सिर्फ पांच में से एक व्यक्ति ही विवाह-पूर्व सेक्स या लिव-इन संबंध यानी बिना शादी के महिला और पुरुष के साथ रहने के पक्ष में था। जबकि एक चौथाई लोगों ने कहा कि उन्हें शादी से पहले सेक्स से गुरेज नहीं है।
कई पार्टनर के साथ संभोग करने वाली महिला को वेश्या समझे जाने का डर रहता है
एक 26 वर्षीय वर्जिन महिला ने कहा, हमें ये कहते हुए पाला जाता है कि सेक्स संबंध स्थापित करना पाप है। जब आप युवा हों तब बॉयफ्रेंड का होना बहुत मुश्किल होता है। मेरे जिन दोस्तों के बॉयफ्रेंड थे भी, उन्हें अपने परिवार से खूब झूठ बोलना पड़ता था।
एक अन्य 27 वर्षीय महिला, जिसने पहली बार 20 वर्ष की उम्र में सेक्स संबंध बनाए थे और जिसके अब तक तीन ऐसे पार्टनर रह चुके हैं, वो कहती हैं कि पुरुष महिलाओं पर मालिकाना हक जताना चाहते हैं। इस महिला के अनुसार कई पार्टनर के साथ संभोग करने वाली महिला को वेश्या समझे जाने का डर तो दुनिया के सभी समाजों में मौजूद है।
'कूल' पीढ़ी शादी से पहले सेक्स को आजमाने के लिए है बेचैन
डॉक्टर नसरीन नखोडा कहती हैं, भारतीय मानसिकता बेचैनी के दौर से गुजर रही है। नई पीढ़ी ‘कूल’ बनाना चाहती है और वो शादी से पहले सेक्स को आजमाना चाहती है, लेकिन उन्हें एक परंपरागत तरीके से बड़ा किया जा रहा है जहां शादी से पहले सेक्स एक पाप है। इससे कई युवाओं में असमंजस की स्थिति बनी रहती है।
योनि के ढीलेपन को दूर करने का दावा करने वाली क्रीम से पहले योनि की चमड़ी को गोरा करने वाली क्रीम पर भी विवाद हो चुका है। ये दोनों इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे भारत में परंपरागत मूल्य नए विचारों से टकरा रहे हैं। महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एनी राजा कहती हैं कि ऐसे उत्पादों का उद्देश्य महिलाओं के व्यवहार और चेहरे-मोहरे का नियंत्रण पुरुषों को देना है।
लेकिन 18 अगेन बनाने वाली कंपनी के ऋषि भाटिया कहते हैं कि इस बारे में शोर-शराबा गैर-जरूरी है। ऋषि भाटिया कहते हैं, पुरुष सेक्स का मजा बढ़ाने के लिए कई उत्पादों का प्रयोग करते हैं, ये तो महिला के हाथ में संभोग का सुख बढ़ाने का जरिया मात्र है।
महिलाओं का कौमार्य हमेशा से रहा है मुद्दा : संध्या मूलचंदानी, प्राचीन भारतीय कामशास्त्र की जानकार
प्राचीन भारत अपने खुलेपन और आधुनिकता के लिए जाना जाता था, लेकिन एक चीज जो हमेशा से नहीं बदली है, वो है महिलाओं के वर्जिन होने की जरूरत, क्योंकि वर्ण आश्रम व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि अपनी जाति के बाहर संबंध मौत से भी बुरा माना जाता था। भगवत गीता में अर्जुन कहते हैं, हे कृष्ण, कानून का पालन ना होने की वजह से महिलाएं भ्रष्ट हो गई हैं और मिश्रित जातियां आ गई हैं जो नरक का सीधा मार्ग हैं।
शुद्धता बनाए रखने के उद्देश्य से विभिन्न सामाजिक समूहों में संबंध निषेध थे। दो किस्म की महिलाएं होती थीं- एक प्रजनन के लिए और दूसरी मौज-मस्ती के लिए। तो आपके बच्चों की मां आपकी जाति से होती थी और अगर आपको ईश्वर के प्रकोप से बचना होता तो वो वर्जिन होती। सतीत्व का अर्थ सही पुरुष का इंतजार न होकर अपनी नस्लीय शुद्धता बनाए रखना था क्योंकि सिर्फ़ वर्जिन महिलाओं को ही पत्नी बनने का अधिकार मिल सकता था।
आज के हिंदू विवाह समारोहों के केंद्र में कन्यादान होता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है कन्या (कुंवारी) का दान। गृह सूत्र के अनुसार विवाह के बाद तीन दिन तक बिना नमक और तीखेपन का भोजन करने के बाद ही संभोग किया जाना चाहिए क्योंकि संभोग का एकमात्र उद्देश्य पुत्र जनन था ताकि परिवार को आगे बढ़ाया जा सके।
लेकिन अगर आप मां नहीं बनना चाहतीं तो आपके लिए नियम बिल्कुल अलग थे। कथित निचली जाति की लड़कियों के लिए कौमार्य गैर-जरूरी ही नहीं एक बाधा भी थी क्योंकि उन्हें तो सेक्स के विषय में ज्ञान हासिल करके युवा और अमीर ग्राहकों को रिझाना होता था।
Sunday, 23 December 2012
sunday special-ब्यूटी पार्लर में मालिश
This summary is not available. Please
click here to view the post.
Subscribe to:
Posts (Atom)