बीवी को पर्याप्त यौन सुख नहीं देने पर लगा जुर्माना
लंदन।। फ्रांस की एक अदालत ने 51 साल के एक शख्स को अपनी पूर्व पत्नी को 8,500 पाउंड का हर्जाना देने का आदेश दिया है। इस शख्स का जुर्म यह है कि वह 21 साल की शादीशुदा जिंदगी में बीवी को पर्याप्त यौन सुख नहीं दे सका।इस शख्स का नाम जीन लुईस बी है। कोर्ट ने उसे फ्रांस की नागरिक संहिता के अनुच्छेद 215 के तहत दोषी माना है। इस अनुच्छेद के मुताबिक शादीशुदा जोड़े को सामुदायिक जीवन को साझा करने पर सहमति जतानी होती है। दक्षिणी फ्रांस के एक-एन-प्रोवेंस की एक अदालत ने आदेश दिया कि यौन संबंध किसी भी शादी का एक अहम हिस्सा है।जज ने कहा , ' पति और पत्नी के बीच यौन संबंध एक दूसरे प्रति प्यार जताने का एक जरिया भी है। इस मामले में इसका साफ अभाव था। शादी करते समय पति और पत्नी दोनों इस बात पर सहमति जताते हैं कि वह अपने जीवन की हर बात को साझा करेंगे और इसका साफ अर्थ है कि वे एक दूसरे के साथ यौन संबंध बनाएंगे। '
कौन देगा मुआवजा
हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा पति या पत्नी दोनों में से कोई भी एक-दूसरे से मांग सकता है। अधिनियम की धारा 24 एवं 25 कहती है- 'इस अधिनियम के अंतर्गत कोई कानूनी प्रक्रिया चलने के दौरान यदि अदालत को लगता है कि पति या पत्नी दोनों में से किसी एक के पास अपनी स्वतंत्र आय नहीं है, जिससे वह अपना गुजारा कर सके या कानूनी लड़ाई लड़ सके, तो दूसरे पक्ष को कानूनी प्रक्रिया के बीच ही भरण-पोषण एवं मुकदमा लड़ने की राशि देनी होगी।' ('यह राशि कोर्ट से नोटिस मिलने के दो महीने के अंदर देय होगी'।) 2001 के संशोधन से पहले समय सीमा नहीं थी। भारत में अनेक स्त्रियों की आय अपने पति की आय से ज्यादा है। यदि ऐसे में तलाक की नौबत आ जाए तो स्त्री तलाकशुदा पति को मुआवजा देगी। ज्यादातर लोगों को इस कानून की जानकारी नहीं है, और जिन्हें है, वे भी लोकलाज के कारण मुआवजे का दावा नहीं पेश करते।
मुकदमा समाप्त होने के बाद किसी ने स्थायी एलिमोनी या एकमुश्त मुआवजे का आवेदन नहीं भी दिया है तो अदालत सारे साक्ष्यों के आधार पर खुद भी मुआवजा या हर महीने एक राशि देने का आदेश सुना सकती है। जब कोई प्रावधान अधिनियम में ही शामिल है तो उसका लाभ पति-पत्नी दोनों को मिलेगा। इसके लिए फैसलों का उदाहरण देना जरूरी नहीं। विदेशों में मुआवजा अग्रीमेंट पर या तलाक लेते वक्त आपसी समझौते पर आधारित है, जबकि भारत में यह कानून का हिस्सा है, जिसने पति-पत्नी दोनों को एक ही पलड़े पर रखा है। मुआवजे का आदेश देते वक्त अदालत देखती है कि पति-पत्नी की आय एवं संपत्ति कितनी है। इसमें संयुक्त एवं व्यक्तिगत तथा स्थायी एवं मासिक/वार्षिक आय/संपत्ति शामिल है।
दोनों पक्षों के लिए अपनी-अपनी आय एवं संपत्ति का सच्चा ब्यौरा देना आवश्यक है। इनमें जिसकी हैसियत कम है, वह दूसरे से उसकी हैसियत के अनुसार मुआवजे की मांग कर सकता है। भारत में ज्यादातर पति आय/संपत्ति वाले हैं अत: लोगों को लगता है कि सिर्फ पत्नी ही मुआवजा लेती है। यहां पत्नी के मामले में पति की यह दलील नहीं चलेगी कि पत्नी नौकरी पाने लायक है या उसके पिता उसका भार उठा सकते हैं। यदि पति-पत्नी दोनों के पास ही कुछ नहीं है और दोनों ने ही एक-दूसरे के खिलाफ भरण-पोषण या एकमुश्त मुआवजे की मांग की है तो अदालत एक स्वस्थ पति को ही यह आदेश देगी कि वह काम करके पत्नी को कुछ दे- भले ही 100 रुपये महीने। (श्रीमती उर्मिला देवी बनाम हरिराम - पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय)।
यह मुआवजा या मासिक भत्ता तब मिलने में परेशानी होगी जब पति या पत्नी किसी और से शारीरिक रिश्ता बना लेते हैं (धारा 25, उपधारा 3)। इस हालत में पहले दिया गया आदेश समाप्त किया जा सकता है। इस तरह भारत में भी एकमुश्त मुआवजे की रकम करोड़ों तक है और यह पति या पत्नी कोई भी पा सकता है। दोनों अपने से अच्छी हैसियत रखने वाले से उसके समान अपना स्तर बरकरार रखने की मांग करते हुए राशि तय कर सकते हैं- या तो खुद समझौता करके या अदालत से मांग करके। इस तरह तलाक के मामले में भारतीय कानून भी विश्व स्तर का ही है।
जहां तलाक, आपसी सहमति द्वारा, अधिनियम की धारा 13-बी के अंतर्गत लिया जाता है, वहां पैसे-संपत्ति का लेनदेन आपसी सहमति से होता है और विदेशों की तरह ही लाखों-करोड़ों में होता है। यही नहीं, अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत यदि पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहने लगते हैं, या एक दूसरे को छोड़कर चला जाता है तो छोड़कर जाने वाले के विरुद्ध 'वैवाहिक संबंधों की वापसी' के लिए मुकदमा दायर किया जा सकता है। इस मुकदमे में भी छोड़कर जाने वाले को भरण-पोषण मांगने का अधिकार मुकदमा चलते वक्त भी है और बाद में भी। मुकदमा समाप्त होने पर घर छोड़कर जाने वाले के विरुद्ध यदि डिक्री पास कर दी जाए कि वह दूसरे पक्ष के साथ जाकर रहे और वह पक्ष ऐसा नहीं करता है तो उसकी संपत्ति जब्त कर ली जा सकती है। (आर्डर 21 रूल 32 सीपीसी 1908)।
खूंटे पर वापसी
' वैवाहिक संबंधों की वापसी' जैसी कोई अवधारणा पहले भारत के हिंदू और मुस्लिम समुदायों में नहीं थी। 1884 मंे पहली बार इस प्रावधान के अंतर्गत एक मुकदमा 22 वषीर्या रुक्मा बाई के खिलाफ उसके पति दादाजी भीखाजी ने किया। कारण, रुक्मा के पास उस समय उसके पिता द्वारा दी गई 5000 रुपये की संपत्ति थी। हिंदू तथा मुसलमानों में पति-पत्नी एक-दूसरे को छोड़कर चले जाते थे तो उन्हें कानूनन वापस लौटने पर विवश नहीं किया जा सकता था। ब्रिटेन में तब पत्नी एक 'चैटल' या 'गाय' थी, जिसे पति के खूंटे पर लाकर बांधने का काम राज्य एवं अदालत का था। ब्रिटेन में यह कानून 1970 के दशक में हटा दिया गया, पर भारत में यह अब भी लागू है। स्त्री क्रूरता की शिकार होकर अपने मायके या कहीं और चली जाती है तो इसके तहत उस पर मुकदमा हो सकता है। मुकदमा हारने पर यदि वह नहीं लौटती तो पति तलाक ले सकता है और उसकी संपत्ति भी।
सेक्स के लिए
बेस्ट डे
लंदन।। फ्रांस की एक अदालत ने 51 साल के एक शख्स को अपनी पूर्व पत्नी को 8,500 पाउंड का हर्जाना देने का आदेश दिया है। इस शख्स का जुर्म यह है कि वह 21 साल की शादीशुदा जिंदगी में बीवी को पर्याप्त यौन सुख नहीं दे सका।इस शख्स का नाम जीन लुईस बी है। कोर्ट ने उसे फ्रांस की नागरिक संहिता के अनुच्छेद 215 के तहत दोषी माना है। इस अनुच्छेद के मुताबिक शादीशुदा जोड़े को सामुदायिक जीवन को साझा करने पर सहमति जतानी होती है। दक्षिणी फ्रांस के एक-एन-प्रोवेंस की एक अदालत ने आदेश दिया कि यौन संबंध किसी भी शादी का एक अहम हिस्सा है।जज ने कहा , ' पति और पत्नी के बीच यौन संबंध एक दूसरे प्रति प्यार जताने का एक जरिया भी है। इस मामले में इसका साफ अभाव था। शादी करते समय पति और पत्नी दोनों इस बात पर सहमति जताते हैं कि वह अपने जीवन की हर बात को साझा करेंगे और इसका साफ अर्थ है कि वे एक दूसरे के साथ यौन संबंध बनाएंगे। '
लुईस
की पत्नी
ने दो साल
पहले तलाक के
लिए आवेदन किया
था। पत्नी का
दावा किया था
कि लुईस उसे
पर्याप्त यौन सुख
नहीं दे पाता।
इस आधार पर
जज ने तलाक
को मंजूरी दे
दी। तलाक मिलने
के बाद लुईस
की इस पूर्व
पत्नी ने ऊपरी
अदालत में इस
आधार हर्जाने की
मांग कर डाली
कि 21 साल के
दांपत्य जीवन में
उसे पति से
पर्याप्त यौन सुख
नहीं मिला।
पति भी ले सकता है तलाक का मुआवजा
कौन देगा मुआवजा
हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा पति या पत्नी दोनों में से कोई भी एक-दूसरे से मांग सकता है। अधिनियम की धारा 24 एवं 25 कहती है- 'इस अधिनियम के अंतर्गत कोई कानूनी प्रक्रिया चलने के दौरान यदि अदालत को लगता है कि पति या पत्नी दोनों में से किसी एक के पास अपनी स्वतंत्र आय नहीं है, जिससे वह अपना गुजारा कर सके या कानूनी लड़ाई लड़ सके, तो दूसरे पक्ष को कानूनी प्रक्रिया के बीच ही भरण-पोषण एवं मुकदमा लड़ने की राशि देनी होगी।' ('यह राशि कोर्ट से नोटिस मिलने के दो महीने के अंदर देय होगी'।) 2001 के संशोधन से पहले समय सीमा नहीं थी। भारत में अनेक स्त्रियों की आय अपने पति की आय से ज्यादा है। यदि ऐसे में तलाक की नौबत आ जाए तो स्त्री तलाकशुदा पति को मुआवजा देगी। ज्यादातर लोगों को इस कानून की जानकारी नहीं है, और जिन्हें है, वे भी लोकलाज के कारण मुआवजे का दावा नहीं पेश करते।
मुकदमा समाप्त होने के बाद किसी ने स्थायी एलिमोनी या एकमुश्त मुआवजे का आवेदन नहीं भी दिया है तो अदालत सारे साक्ष्यों के आधार पर खुद भी मुआवजा या हर महीने एक राशि देने का आदेश सुना सकती है। जब कोई प्रावधान अधिनियम में ही शामिल है तो उसका लाभ पति-पत्नी दोनों को मिलेगा। इसके लिए फैसलों का उदाहरण देना जरूरी नहीं। विदेशों में मुआवजा अग्रीमेंट पर या तलाक लेते वक्त आपसी समझौते पर आधारित है, जबकि भारत में यह कानून का हिस्सा है, जिसने पति-पत्नी दोनों को एक ही पलड़े पर रखा है। मुआवजे का आदेश देते वक्त अदालत देखती है कि पति-पत्नी की आय एवं संपत्ति कितनी है। इसमें संयुक्त एवं व्यक्तिगत तथा स्थायी एवं मासिक/वार्षिक आय/संपत्ति शामिल है।
दोनों पक्षों के लिए अपनी-अपनी आय एवं संपत्ति का सच्चा ब्यौरा देना आवश्यक है। इनमें जिसकी हैसियत कम है, वह दूसरे से उसकी हैसियत के अनुसार मुआवजे की मांग कर सकता है। भारत में ज्यादातर पति आय/संपत्ति वाले हैं अत: लोगों को लगता है कि सिर्फ पत्नी ही मुआवजा लेती है। यहां पत्नी के मामले में पति की यह दलील नहीं चलेगी कि पत्नी नौकरी पाने लायक है या उसके पिता उसका भार उठा सकते हैं। यदि पति-पत्नी दोनों के पास ही कुछ नहीं है और दोनों ने ही एक-दूसरे के खिलाफ भरण-पोषण या एकमुश्त मुआवजे की मांग की है तो अदालत एक स्वस्थ पति को ही यह आदेश देगी कि वह काम करके पत्नी को कुछ दे- भले ही 100 रुपये महीने। (श्रीमती उर्मिला देवी बनाम हरिराम - पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय)।
यह मुआवजा या मासिक भत्ता तब मिलने में परेशानी होगी जब पति या पत्नी किसी और से शारीरिक रिश्ता बना लेते हैं (धारा 25, उपधारा 3)। इस हालत में पहले दिया गया आदेश समाप्त किया जा सकता है। इस तरह भारत में भी एकमुश्त मुआवजे की रकम करोड़ों तक है और यह पति या पत्नी कोई भी पा सकता है। दोनों अपने से अच्छी हैसियत रखने वाले से उसके समान अपना स्तर बरकरार रखने की मांग करते हुए राशि तय कर सकते हैं- या तो खुद समझौता करके या अदालत से मांग करके। इस तरह तलाक के मामले में भारतीय कानून भी विश्व स्तर का ही है।
जहां तलाक, आपसी सहमति द्वारा, अधिनियम की धारा 13-बी के अंतर्गत लिया जाता है, वहां पैसे-संपत्ति का लेनदेन आपसी सहमति से होता है और विदेशों की तरह ही लाखों-करोड़ों में होता है। यही नहीं, अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत यदि पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहने लगते हैं, या एक दूसरे को छोड़कर चला जाता है तो छोड़कर जाने वाले के विरुद्ध 'वैवाहिक संबंधों की वापसी' के लिए मुकदमा दायर किया जा सकता है। इस मुकदमे में भी छोड़कर जाने वाले को भरण-पोषण मांगने का अधिकार मुकदमा चलते वक्त भी है और बाद में भी। मुकदमा समाप्त होने पर घर छोड़कर जाने वाले के विरुद्ध यदि डिक्री पास कर दी जाए कि वह दूसरे पक्ष के साथ जाकर रहे और वह पक्ष ऐसा नहीं करता है तो उसकी संपत्ति जब्त कर ली जा सकती है। (आर्डर 21 रूल 32 सीपीसी 1908)।
खूंटे पर वापसी
' वैवाहिक संबंधों की वापसी' जैसी कोई अवधारणा पहले भारत के हिंदू और मुस्लिम समुदायों में नहीं थी। 1884 मंे पहली बार इस प्रावधान के अंतर्गत एक मुकदमा 22 वषीर्या रुक्मा बाई के खिलाफ उसके पति दादाजी भीखाजी ने किया। कारण, रुक्मा के पास उस समय उसके पिता द्वारा दी गई 5000 रुपये की संपत्ति थी। हिंदू तथा मुसलमानों में पति-पत्नी एक-दूसरे को छोड़कर चले जाते थे तो उन्हें कानूनन वापस लौटने पर विवश नहीं किया जा सकता था। ब्रिटेन में तब पत्नी एक 'चैटल' या 'गाय' थी, जिसे पति के खूंटे पर लाकर बांधने का काम राज्य एवं अदालत का था। ब्रिटेन में यह कानून 1970 के दशक में हटा दिया गया, पर भारत में यह अब भी लागू है। स्त्री क्रूरता की शिकार होकर अपने मायके या कहीं और चली जाती है तो इसके तहत उस पर मुकदमा हो सकता है। मुकदमा हारने पर यदि वह नहीं लौटती तो पति तलाक ले सकता है और उसकी संपत्ति भी।
अंतरिक्ष में सेक्स पर स्टडी
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि नासा को अंतरिक्ष में सेक्स पर स्टडी करनी चाहिए। उनके मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा हमेशा इस विषय पर चुप्पी साध लेती है, जबकि इस बारे में अध्ययन होना चाहिए कि क्या अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण बल के बीच सेक्स करके एक महिला गर्भवती हो सकती है?इस बारे में जर्नल ऑफ कॉस्मोलॉजी में प्रकाशित 'सेक्स ऑन मार्स' अध्याय में कैलिफोर्निया की ब्रेन रिसर्च लेबोरेट्री के डॉ. हॉन जोसेफ ने अपने विचार लिखे हैं। उन्होंने उन सभी परिस्थितियों का भी जिक्र किया है, जिसमें अन्य ग्रहों पर बच्चे को जन्म देने की संभावनाएं बनती हैं। उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा,'मनुष्य के मन में सेक्स की भावना हमेशा रहती है। ऐसे में अगर आप मंगल ग्रह पर हैं तो काफी अकेलापन महसूस करेंगे। इस अकेलेपन को दूर करने के लिए अंतरिक्ष में सेक्स की संभावना पर अध्ययन होना बहुत जरूरी है।'डॉ . जोसेफ के अनुसार नासा की लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे के काफी करीब आ जाते हैं, इसके बावजूद वे आपस में शारीरिक संबंध नहीं बना पाते। उनका कहना है कि अंटार्कटिक क्षेत्र की तुलना भी अंतरिक्ष से की जा सकती है। यहां तापमान के शून्य से कई डिग्री नीचे होने के कारण लोग बाहर नहीं निकलते।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि नासा को अंतरिक्ष में सेक्स पर स्टडी करनी चाहिए। उनके मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा हमेशा इस विषय पर चुप्पी साध लेती है, जबकि इस बारे में अध्ययन होना चाहिए कि क्या अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण बल के बीच सेक्स करके एक महिला गर्भवती हो सकती है?इस बारे में जर्नल ऑफ कॉस्मोलॉजी में प्रकाशित 'सेक्स ऑन मार्स' अध्याय में कैलिफोर्निया की ब्रेन रिसर्च लेबोरेट्री के डॉ. हॉन जोसेफ ने अपने विचार लिखे हैं। उन्होंने उन सभी परिस्थितियों का भी जिक्र किया है, जिसमें अन्य ग्रहों पर बच्चे को जन्म देने की संभावनाएं बनती हैं। उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा,'मनुष्य के मन में सेक्स की भावना हमेशा रहती है। ऐसे में अगर आप मंगल ग्रह पर हैं तो काफी अकेलापन महसूस करेंगे। इस अकेलेपन को दूर करने के लिए अंतरिक्ष में सेक्स की संभावना पर अध्ययन होना बहुत जरूरी है।'डॉ . जोसेफ के अनुसार नासा की लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्री एक-दूसरे के काफी करीब आ जाते हैं, इसके बावजूद वे आपस में शारीरिक संबंध नहीं बना पाते। उनका कहना है कि अंटार्कटिक क्षेत्र की तुलना भी अंतरिक्ष से की जा सकती है। यहां तापमान के शून्य से कई डिग्री नीचे होने के कारण लोग बाहर नहीं निकलते।
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली जल्द
महिलाओं के लिए
गर्भनिरोधक दवाएं तो दशकों
से मौजूद हैं,
लेकिन पुरुषों के
लिए ऐसी कोई
गोली उपलब्ध नहीं
है। मगर अब
वैज्ञानिकों ने दावा
किया है कि
वे पुरुष गर्भनिरोधक
दवा बनाने की
प्रक्रिया के काफी
करीब पहुंच गए
हैं। वैज्ञानिकों ने
चूहों पर इसका
सफल परीक्षण भी
किया है।
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली न होने की वजह से बड़ी संख्या में अनियोजित गर्भ धारण करने के मामले सामने आते रहे हैं। वैज्ञानिकों के सामने चुनौती एक ऐसी दवा बनाने की थी, जो खून से सीधे अंडकोष में जा सके। यह शोध अमेरिकी पत्रिका सेल में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चूहों पर दवा के परीक्षण से उनकी यौन क्रियाओं पर असर नहीं पड़ा, लेकिन उनकी प्रजनन क्षमता अस्थाई तौर पर समाप्त हो गई। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह परीक्षण काफी उत्साहपूर्ण है, इंसान पर इसका परीक्षण होना अभी बाकी है। डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसन में अमेरिकी शोधकर्ता 'जेक्यू1' नाम की दवा का परीक्षण कर रहे थे। यह दवा प्रोटीन की एक किस्म पर निशाना साधती है, जो सिर्फ अंडकोष में ही पाया जाता है और शुक्राणु उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। जिन चूहों को दवा दी गई, उनके अंडकोष सिकुड़ने लगे। शुक्राणु कम होने लगे और कुछ की प्रजनन क्षमता अस्थाई तौर पर चली गई।यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के डॉक्टर ऐलन पेसी ने बताया कि अब तक जितने भी परीक्षण हुए हैं, उनमें इंजेक्शन या इम्प्लांट के जरिए टेस्टोस्टिरोन हार्मोन से छेड़छाड़ की जाती थी, ताकि शुक्राणु न बन सकें, लेकिन यह तकनीक रुटीन इस्तेमाल में नहीं लाई जा सकी। इसलिए ऐसी दवा की जरूरत है, जो हार्मोन पर निर्भर न हो।
पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली न होने की वजह से बड़ी संख्या में अनियोजित गर्भ धारण करने के मामले सामने आते रहे हैं। वैज्ञानिकों के सामने चुनौती एक ऐसी दवा बनाने की थी, जो खून से सीधे अंडकोष में जा सके। यह शोध अमेरिकी पत्रिका सेल में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चूहों पर दवा के परीक्षण से उनकी यौन क्रियाओं पर असर नहीं पड़ा, लेकिन उनकी प्रजनन क्षमता अस्थाई तौर पर समाप्त हो गई। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह परीक्षण काफी उत्साहपूर्ण है, इंसान पर इसका परीक्षण होना अभी बाकी है। डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसन में अमेरिकी शोधकर्ता 'जेक्यू1' नाम की दवा का परीक्षण कर रहे थे। यह दवा प्रोटीन की एक किस्म पर निशाना साधती है, जो सिर्फ अंडकोष में ही पाया जाता है और शुक्राणु उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। जिन चूहों को दवा दी गई, उनके अंडकोष सिकुड़ने लगे। शुक्राणु कम होने लगे और कुछ की प्रजनन क्षमता अस्थाई तौर पर चली गई।यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के डॉक्टर ऐलन पेसी ने बताया कि अब तक जितने भी परीक्षण हुए हैं, उनमें इंजेक्शन या इम्प्लांट के जरिए टेस्टोस्टिरोन हार्मोन से छेड़छाड़ की जाती थी, ताकि शुक्राणु न बन सकें, लेकिन यह तकनीक रुटीन इस्तेमाल में नहीं लाई जा सकी। इसलिए ऐसी दवा की जरूरत है, जो हार्मोन पर निर्भर न हो।
पहली मुलाकात में शारीरिक संबंध
लंदन।। शादी
से पहले शारीरिक संबंध
न बनाने की
सदियों पुरानी मान्यता यूं
ही नहीं बन
गई है। अब
अनुसंधानकताओं
ने इसके कारगर
होने की पुष्टि
की है। उनका
कहना है कि
शादी तक यौन
संबंध बनाने से
परहेज करने वाले
जोड़े खुश रहते
हैं और उनका
रिश्ता ज्यादा टिकता
है,बनिस्बत उनके
जो पहली ही
मुलाकात में इस हद
तक पहुंच जाते
हैं।
अपनी तरह के
इस पहले अध्ययन
में कोरनेल विश्वविद्यालय के
अनुसंधानकर्ताओं
ने कहा कि
शुरू में ही
यौन संबंध बना
लेने से अच्छे
संबंधों से जुड़े बाकी
तथ्यों की तरफ
से ध्यान हट
जाता है। इनमें
एक दूसरे के
प्रति वचनबद्धता, परवाह,
आपसी समझ और
साझे मूल्य शामिल
हैं।
द इंडिपेंडेंट ने अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से कहा, शादी से पहले यौन गतिविधियों में संयम बरतने से रिश्ते की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने इस संबंध में 600 जोड़ों से उनके रिश्ते के बारे में बात की। जोड़ों के यौन जीवन के बारे में पूछताछ के बाद उनसे उनके रिश्तों के बारे में पूछा गया और उसी के आधार पर इस अध्ययन का उपरोक्त निष्कर्ष निकाला गया।
द इंडिपेंडेंट ने अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से कहा, शादी से पहले यौन गतिविधियों में संयम बरतने से रिश्ते की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने इस संबंध में 600 जोड़ों से उनके रिश्ते के बारे में बात की। जोड़ों के यौन जीवन के बारे में पूछताछ के बाद उनसे उनके रिश्तों के बारे में पूछा गया और उसी के आधार पर इस अध्ययन का उपरोक्त निष्कर्ष निकाला गया।
हर काम के लिए
एक दिन, एक
वक्त होता है
और सेक्स के
लिए सबसे अच्छा
दिन गुरुवार है।
यह बात एक
नई में कही
गई है। एक
मैगजीन की रिसर्च
के अनुसार, सोमवार
कैमरा खरीदने के
लिए बेहतर है
तो मंगलवार हवाई
यात्रा के लिए
सबसे सस्ता दिन
है। वैसे बाहर
खाने-पीने के
लिए भी मंगलवार
काफी फायदेमंद माना
जा रहा है।
बुधवार को बाजारों में भीड़ काफी कम होती है इसलिए इस दिन शॉपिंग करने का आइडिया कूल है, साथ ही इस दिन आप अपनी सैलरी इंक्रीमेंट की बात भी कर सकते हैं। दोनों ही बातों में फायदा मिलेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि गुरुवार की सुबह सेक्स के लिए सबसे अच्छा वक्त होता है, क्योंकि इस वक्त सेक्स हार्मोन्स को बढ़ाने वाले नैचुरल कोर्टिसोल का लेवल बहुत ऊंचा रहता है।
शुक्रवार का दिन घर बेचने और शादी करने के लिए परफेक्ट माना जाता है। और आखिर में अगर बात संडे की करें, तो यह दिन ऑनलाइन शॉपिंग के लिहाज से फायदामेंद साबित होता है।
बुधवार को बाजारों में भीड़ काफी कम होती है इसलिए इस दिन शॉपिंग करने का आइडिया कूल है, साथ ही इस दिन आप अपनी सैलरी इंक्रीमेंट की बात भी कर सकते हैं। दोनों ही बातों में फायदा मिलेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि गुरुवार की सुबह सेक्स के लिए सबसे अच्छा वक्त होता है, क्योंकि इस वक्त सेक्स हार्मोन्स को बढ़ाने वाले नैचुरल कोर्टिसोल का लेवल बहुत ऊंचा रहता है।
शुक्रवार का दिन घर बेचने और शादी करने के लिए परफेक्ट माना जाता है। और आखिर में अगर बात संडे की करें, तो यह दिन ऑनलाइन शॉपिंग के लिहाज से फायदामेंद साबित होता है।
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