महिलाओं के शरीर में स्तनों
का विशिष्ट स्थान है, इस दृष्टि से इनकी देखभाल और सुरक्षा करना बहुत जरूरी
है।
आज हर युवती चाहती है कि उसके स्तन उन्नत, सुडौल व विकसित दिखें। चेहरे के अलावा स्त्रियों के उन्नत स्तन ही आकर्षण का केन्द्र होते हैं।
जब किसी कारण किसी युवती के वक्षस्थल का समुचित विकास नहीं हो पाता तो वह चिंतित और दुःखी हो उठती है, प्रायः हमउम्र सहेलियों एवं परिवार की महिलाओं के सामने लज्जा का अनुभव करती है। उसे यह भी संकोच और भय होता है कि विवाह के बाद पति के सामने उसकी क्या स्थिति होगी।
शारीरिक सौंदर्य एवं देहयष्टि की दृष्टि से स्त्री शरीर में सुन्दर, स्वस्थ और सुडौल स्तन शारीरिक आकर्षण के प्रमुख अंग तो हैं ही, नवजात शिशु को पोषक, शुद्ध और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार उपलब्ध कराने वाले एकमात्र अंग भी हैं। कुमारी अथवा विवाहित युवतियों के लिए इन अंगों का स्वस्थ, पुष्ट और सुडौल होना आवश्यक माना जाता है।
स्त्री के शरीर में पुष्ट, उन्नत और सुडौल स्तन जहां उसके अच्छे स्वास्थ्य के सूचक होते हैं, वहीं नारित्व की गरिमा और सौन्दर्य वृद्धि करने वाले प्रमुख अंग भी होते हैं। अविकसित, सूखे हुए और छोटे स्तन भद्दे लगते हैं, वहीं ज्यादा बड़े-ढीले और बेडौल स्तन भी स्त्री के व्यक्तित्व और सौन्दर्य को नष्ट कर देते हैं। स्तनों का सुडौल, पुष्ट और उन्नत रहना स्त्री के अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ शरीर पर ही निर्भर है। घरेलू कामकाज और खासकर हाथों से परिश्रम करने के काम अवश्य करना चाहिए।
स्तनों का उचित विकास न होने के पीछे शारीरिक स्थिति भी एक कारण होती है। यदि शरीर बहुत दुबला-पतला हो, गर्भाशय में विकार हो, मासिक धर्म अनियमित हो तो युवती के स्तन अविकसित और छोटे आकार वाले रहेंगे, पुष्ट और सुडौल नही हो पाएंगे। एक कारण मानसिक भी होता है, लगातार चिंता, तनाव, शोक, भय और कुंठा से ग्रस्त रहने वाली, स्वभाव से निराश, नीरसऔरउदासीन प्रवृत्ति की युवती के भी स्तन अविकसित ही रहेंगे।
यदि वंशानुगत शारीरिक दुबलापन न हो तो उचित आहार और हलके व्यायाम से शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाया जा सकता है। जब पूरा शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाएगा तो स्तन भी विकसित और पुष्ट हो जाएंगे। शरीर बहुत ज्यादा दुबला-पतला, चेहरा पिचका हुआ और आंखें धंसी हुई होंगी तो यही हालत स्तनों की भी होता स्वाभाविक है।
इसके अलावा युवतियों की एक समस्या और है- बेडौल, ज्यादा बड़े आकार के व शिथिल स्तन होना। इसके कारण हैं शरीर का मोटा होना, चर्बी ज्यादा होना, ज्यादा मात्रा में भोजन करना, मीठे व गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, सुबह ज्यादा देर तक सोना, दिन में अधिक देर तक सोना आदि।
मानसिक कारणों में एक कारण और है- कामुक विचारों का चिंतन करना, अश्लील साहित्य या चित्रों का अवलोकन, हमउम्र सहेलियों से कामुकतापूर्ण बातें, किसी बहाने से अपने स्तन सहलवाना या मर्दन करवाना, किसी बहाने से स्तनों को छूने के पुरुषों को ज्यादा मौके देना आदि।
आज हर युवती चाहती है कि उसके स्तन उन्नत, सुडौल व विकसित दिखें। चेहरे के अलावा स्त्रियों के उन्नत स्तन ही आकर्षण का केन्द्र होते हैं।
जब किसी कारण किसी युवती के वक्षस्थल का समुचित विकास नहीं हो पाता तो वह चिंतित और दुःखी हो उठती है, प्रायः हमउम्र सहेलियों एवं परिवार की महिलाओं के सामने लज्जा का अनुभव करती है। उसे यह भी संकोच और भय होता है कि विवाह के बाद पति के सामने उसकी क्या स्थिति होगी।
शारीरिक सौंदर्य एवं देहयष्टि की दृष्टि से स्त्री शरीर में सुन्दर, स्वस्थ और सुडौल स्तन शारीरिक आकर्षण के प्रमुख अंग तो हैं ही, नवजात शिशु को पोषक, शुद्ध और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार उपलब्ध कराने वाले एकमात्र अंग भी हैं। कुमारी अथवा विवाहित युवतियों के लिए इन अंगों का स्वस्थ, पुष्ट और सुडौल होना आवश्यक माना जाता है।
स्त्री के शरीर में पुष्ट, उन्नत और सुडौल स्तन जहां उसके अच्छे स्वास्थ्य के सूचक होते हैं, वहीं नारित्व की गरिमा और सौन्दर्य वृद्धि करने वाले प्रमुख अंग भी होते हैं। अविकसित, सूखे हुए और छोटे स्तन भद्दे लगते हैं, वहीं ज्यादा बड़े-ढीले और बेडौल स्तन भी स्त्री के व्यक्तित्व और सौन्दर्य को नष्ट कर देते हैं। स्तनों का सुडौल, पुष्ट और उन्नत रहना स्त्री के अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ शरीर पर ही निर्भर है। घरेलू कामकाज और खासकर हाथों से परिश्रम करने के काम अवश्य करना चाहिए।
स्तनों का उचित विकास न होने के पीछे शारीरिक स्थिति भी एक कारण होती है। यदि शरीर बहुत दुबला-पतला हो, गर्भाशय में विकार हो, मासिक धर्म अनियमित हो तो युवती के स्तन अविकसित और छोटे आकार वाले रहेंगे, पुष्ट और सुडौल नही हो पाएंगे। एक कारण मानसिक भी होता है, लगातार चिंता, तनाव, शोक, भय और कुंठा से ग्रस्त रहने वाली, स्वभाव से निराश, नीरसऔरउदासीन प्रवृत्ति की युवती के भी स्तन अविकसित ही रहेंगे।
यदि वंशानुगत शारीरिक दुबलापन न हो तो उचित आहार और हलके व्यायाम से शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाया जा सकता है। जब पूरा शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाएगा तो स्तन भी विकसित और पुष्ट हो जाएंगे। शरीर बहुत ज्यादा दुबला-पतला, चेहरा पिचका हुआ और आंखें धंसी हुई होंगी तो यही हालत स्तनों की भी होता स्वाभाविक है।
इसके अलावा युवतियों की एक समस्या और है- बेडौल, ज्यादा बड़े आकार के व शिथिल स्तन होना। इसके कारण हैं शरीर का मोटा होना, चर्बी ज्यादा होना, ज्यादा मात्रा में भोजन करना, मीठे व गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, सुबह ज्यादा देर तक सोना, दिन में अधिक देर तक सोना आदि।
मानसिक कारणों में एक कारण और है- कामुक विचारों का चिंतन करना, अश्लील साहित्य या चित्रों का अवलोकन, हमउम्र सहेलियों से कामुकतापूर्ण बातें, किसी बहाने से अपने स्तन सहलवाना या मर्दन करवाना, किसी बहाने से स्तनों को छूने के पुरुषों को ज्यादा मौके देना आदि।
No comments:
Post a Comment