एक जैसा फन देते हैं, सेक्स और फुटबॉल
ये दुनिया में सबसे ज़्यादा देखे और पसंद किए जाने वाले खेल फुटबॉल के दीवानों को और दीवाना बना देने वाली ख़बर है। कहते हैं कि औरतों को जलन होती है कि कई पुरुष सेक्स की बजाय सॉकर को पसंद करते हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी सॉकर फैन के लिए अपनी घरेलू टीम को फुटबॉल मैच में गोल करते देखना बिल्कुल सेक्स जैसा एहसास जगाता है।
इस बेहद मजेदार नतीजे पर पहुंचने वाले रिसर्चर बताते हैं कि जब कोई फुटबॉल फैन अपनी होम टीम को गोल करते हुए देखता है , तो दिमाग के अगले हिस्से यानी सिंगुलेट कॉर्टेक्स में जोरदार हलचल होती है। विज्ञानी बताते हैं कि आनंद के चरम या सेक्स के दौरान भी दिमाग के इसी हिस्से में सबसे ज़्यादा हलचल होती है। ग्लास्गो के सदर्न जनरल हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल साइंस के प्रमुख रिसर्चर जॉन मैकलीन इस नतीजे से इत्तफाक रखते हैं। रिपोर्ट के नतीजे की तस्दीक करते हुए उन्होंने कहा कि रिसर्च के दौरान हमारा मुख्य मकसद इस बात का पता लगाना था कि क्या सेक्स के दौरान पैदा होने वाले एहसास क्या फुटबॉल जैसे बेहद रोमांचक खेल में अपनी टीम को गोल करते हुए देखने के एहसास के आस-पास ठहरता है या नहीं।
मैकलीन कहते हैं कि रिसर्च के बाद हम कह सकते हैं कि दोनों क्रियाओं के समय इंसानी दिमाग में होने वाली हलचल तकरीबन एक जैसी है। यही वजह है कि हमारे एहसास भी कमोबेश एक-जैसे हैं।
ये दुनिया में सबसे ज़्यादा देखे और पसंद किए जाने वाले खेल फुटबॉल के दीवानों को और दीवाना बना देने वाली ख़बर है। कहते हैं कि औरतों को जलन होती है कि कई पुरुष सेक्स की बजाय सॉकर को पसंद करते हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी सॉकर फैन के लिए अपनी घरेलू टीम को फुटबॉल मैच में गोल करते देखना बिल्कुल सेक्स जैसा एहसास जगाता है।
इस बेहद मजेदार नतीजे पर पहुंचने वाले रिसर्चर बताते हैं कि जब कोई फुटबॉल फैन अपनी होम टीम को गोल करते हुए देखता है , तो दिमाग के अगले हिस्से यानी सिंगुलेट कॉर्टेक्स में जोरदार हलचल होती है। विज्ञानी बताते हैं कि आनंद के चरम या सेक्स के दौरान भी दिमाग के इसी हिस्से में सबसे ज़्यादा हलचल होती है। ग्लास्गो के सदर्न जनरल हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल साइंस के प्रमुख रिसर्चर जॉन मैकलीन इस नतीजे से इत्तफाक रखते हैं। रिपोर्ट के नतीजे की तस्दीक करते हुए उन्होंने कहा कि रिसर्च के दौरान हमारा मुख्य मकसद इस बात का पता लगाना था कि क्या सेक्स के दौरान पैदा होने वाले एहसास क्या फुटबॉल जैसे बेहद रोमांचक खेल में अपनी टीम को गोल करते हुए देखने के एहसास के आस-पास ठहरता है या नहीं।
मैकलीन कहते हैं कि रिसर्च के बाद हम कह सकते हैं कि दोनों क्रियाओं के समय इंसानी दिमाग में होने वाली हलचल तकरीबन एक जैसी है। यही वजह है कि हमारे एहसास भी कमोबेश एक-जैसे हैं।
No comments:
Post a Comment