सेक्स संबंधी भ्रांतियां और यथार्थ
आधुनिकता की ओर अग्रसर हमारे भारतीय समाज में आज मनुष्य द्वारा की जाने वाली कुछ क्रियाएं ऐसी हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वर्जित कर्म की श्रेणी में रखा जाता है. इतना ही नहीं सार्वजनिक रूप से इनके बारे में बात करना तक निषेध माना गया है. “सेक्स” की शब्दावली समाज द्वारा निर्धारित वर्जित कर्मों की सूची में सबसे ऊपर है, जिसका सार्वजनिक उपयोग करना पूर्णत: अनैतिक और घृणित कृत्य माना गया है. हालांकि गांवों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में लोग थोड़ा-बहुत सेक्स के स्वरूप को लेकर जागरुक हुए हैं लेकिन उनके मस्तिष्क में भी सेक्स को लेकर कई भ्रांतियां मौजूद हैं. यद्यपि वह ऐसा नहीं सोचते और जो धारणा वह बना चुके हैं उसे ही सच मान लेते हैं. लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश लोग सेक्स की उपयुक्तता, स्वास्थ्य के साथ उसके संबंध और आवश्यकता को लेकर आज भी असमंजस की स्थिति में हैं.
आमतौर पर सेक्स के बारे सब कुछ जानने वाले लोग भी सेक्स संबंधित विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने के बारे में नहीं सोचते. हार्मोन हार्मनी नामक किताब की लेखिका एलिसिआ स्टैंटन ने सेक्स को लेकर समाज में व्याप्त विभिन्न भ्रांतियों के समाधान हेतु निम्नलिखित बिंदु रेखांकित किए हैं, जो काफी हद तक सेक्स से जुड़ी गलत धारणाओं को समाप्त कर सकते हैं:
आमतौर पर यह माना जाता है कि निर्धारित समय के बाद महिलाओं में शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि समाप्त हो जाती है. जबकि यह कथन कदापि उपयुक्त नहीं है. इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि महिलाओं का शारीरिक संबंधों के प्रति आकर्षण उम्र का मोहताज नहीं होता. कई महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद भी हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और संबंध स्थापित करने में सक्षम होती हैं. इसके अलावा गर्भावस्था का भी संभोग की प्रवृत्ति से कोई संबंध नहीं होता.
- शारीरिक संबंध बनाने के लिए केवल टेस्टोस्टीरोन नामक हार्मोन की आवश्यकता होना एक गलत धारणा है. यद्यपि यह हार्मोन शारीरिक क्रियाओं के लिए जरूरी होता है लेकिन शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए एस्ट्रोजन की आवश्यकता महिला और पुरुष में सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा कोरटिसोल नामक हार्मोन की अधिक उपस्थिति आपके भीतर संभोग के प्रति अरुचि उत्पन्न कर सकती है. मुख्यत: यह माना जाता है कि अगर आप किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो आपके अंदर अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होने लगती है. जबकि वास्तविकता यह है कि प्रेम सिर्फ शारीरिक आकर्षण का ही मोहताज नहीं होता. अगर आप किसी से सच में प्यार करते हैं तो आप सबसे पहले उसे जानना-समझना चाहेंगे, उसकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखकर ही कोई कदम उठाएंगे. जिसके कारण आपके लिए सेक्स की महत्ता गौण हो जाएगी और आप अपने साथी को खुश रखने के नए-नए तरीके तलाश करने लगेंगे.

आमतौर पर यह माना जाता है महिलाओं की
अपेक्षा पुरुष शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार रहते हैं. लेकिन यह सच
नहीं है. जो पुरुष ज्यादा शराब पीते हैं या विभिन्न दवाइयों का सेवन करते
या तनाव में रहते हैं, उनमें संभोग के प्रति रुचि समाप्त हो जाती है.
ऐसा मानना कि हार्मोनल असंतुलन की वजह
से ही सेक्स के प्रति रुझान समाप्त हो जाता है, उपयुक्त नहीं है. हार्मोन
के अलावा भी कई ऐसे कारक हैं जो आपकी व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव डालते हैं.
जैसे अधिक मदिरापान, अवसाद या तनाव की स्थिति, घातक बीमारियां जैसे कैंसर
और डाइबिटीज आदि. इसके अलावा उच्च रक्तचाप और संबंधों में तनाव भी सेक्स के
प्रति इच्छा को समाप्त कर देता है.
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