क्रीम से लौटेगा कौमार्य ...?
महिलाओं
के समूह, कुछ डॉक्टर और सोशल मीडिया पर कई लोग कंपनी के प्रचार अभियान की
कड़ी आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि ये उत्पाद उस भारतीय सोच का
समर्थन करता है जिसमें शादी से पहले सेक्स को हीन नज़र से देखा जाता है और
कुछ तो इसे ‘पाप’ भी क़रार देते हैं. नेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमैन की एनी राजा कहती हैं, “इस तरह की क्रीम बिल्कुल बकवास है और इससे कुछ महिलाओं
में हीन भावना भी आ सकती है. महिलाओं को विवाह तक वर्जिन क्यों रहना
चाहिए? किसी पुरुष के साथ संभोग महिला का अपना अधिकार है लेकिन यहां समाज
अब भी महिलाओं को दुल्हन बनने तक इंतज़ार के लिए कहता है. ” एनी राजा कहती
हैं कि सशक्तिकरण से उलट ये क्रीम पितृसत्तात्मक समाज की उस मान्यता को
मजबूत करेगी जिस के अनुसार हर पुरूष अपनी पहली रात एक वर्जिन पत्नी के साथ
ही मनाना चाहता है.
मुंबई मिरर और बैंगलोर मिरर समाचार पत्रों में सेक्स पर सलाह देने वाली कॉलम के लेखक गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर महिंदा वत्स कहते हैं, “वर्जिन होने को अब भी बड़ी चीज़ माना जाता है. मुझे नहीं लगता कि इस सदी में ये धारणा बदलने वाली है. ” डॉ. वत्स ने सेक्स से संबंधित 30 हज़ार से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए हैं और वो कहते हैं कि उनसे बहुत से मर्द पूछते हैं कि ये कैसे पता लगाया जाए कि उनकी पत्नी वर्जिन है या नहीं. उनसे महिलाएं भी पूछतीं है कि वो अपने पतियों से कैसे छिपाएं कि वो वर्जिन नहीं हैं. डॉ. महिंदा वत्स कहते हैं, “हर पुरुष को आस होती है कि वर्जिन से शादी कर रहा है लेकिन कम से कम भारत के शहरों और क़स्बों में तो लड़कियां शादी से पहले संभोग कर रही हैं. ”
वत्स कहते हैं कि
कामकाजी महिलाओं में पुरुषों के साथ संबंधों के विषय में आत्मविश्वास आया
है. एक वेबसाइट पर सेक्स संबंधी सेहत से जुड़ी सलाह देने वाली डॉ निसरीन
नखोडा कहती हैं, “ये तो पक्का है कि भारत में अब पहले से कहीं ज़्यादा
विवाह पूर्व सेक्स संबंध बन रहे हैं.” डॉ. नखोडा कहती हैं, “मुझे नहीं पता
कि 18 अगेन क्या करेगी क्योंकि योनि को मांसपेशियां सुडौल बनाती हैं. पता
नहीं एक क्रीम ये काम कैसे करेगी.” लेकिन वो मानती हैं कि ऐसी क्रीम भारत
में ख़ूब कमाई कर सकती है क्योंकि हालात तो बदल रहे हैं लेकिन धारणाएं
नहीं. पिछले साल इंडिया टुडे पत्रिका में छपे एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत
में सिर्फ़ पांच से एक व्यक्ति ही विवाह-पूर्व सेक्स या लिव-इन संबंध यानी
बिना शादी के महिला और पुरुष के साथ रहने के पक्ष में था. जबकि एक चौथाई
लोगों ने कहा कि उन्हें शादी से पहले सेक्स से गुरेज़ नहीं है बशर्ते से
उनके परिवार में ना हो रहा हो. एक 26 वर्षीय वर्जिन महिला ने कहा, “हमें
ये कहते हुए पाला जाता है कि सेक्स संबंध स्थापित करना भद्दा काम है. जब आप
युवा हों तब बॉयफ़्रेंड का होना बहुत मुश्किल होता है. मेरे जिन दोस्तों
के बॉयफ़्रेंड थे भी, उन्हें अपने परिवार से ख़ूब झूठ बोलना पड़ता था. ”
एक
अन्य 27 वर्षीय महिला, जिसने पहली बार 20 वर्ष की उम्र में सेक्स संबंध
बनाए थे और जिसके अब तक तीन ऐसे पार्टनर रह चुके हैं, वो कहती हैं कि पुरूष
महिलाओं पर मालिकाना हक़ जताना चाहते हैं. इस महिला के अनुसार कई पार्टनर
के साथ संभोग करने वाली महिला को वेश्या समझे जाने का डर तो दुनिया के सभी
समाजों मौजूद है. डॉक्टर नसरीन नखोडा कहती हैं, “भारतीय मानसिकता एक
बेचैनी के दौर से गुज़र रही है. नई पीढ़ी ‘कूल’ बनाना चाहती है और वो शादी
से पहले सेक्स को आज़माना चाहती है लेकिन उन्हें एक परंपरागत तरीके से बड़ा
किया जा रहा है जहां शादी से पहले सेक्स एक पाप है. इससे कई युवाओं में
असमंजस की स्थिति है.”
योनि के ढीलेपन को दूर करने का दावा करने वाली क्रीम से पहले योनि की चमड़ी को गोरा करने वाली क्रीम पर भी विवाद हो चुका है. ये दोनों इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे भारत में परंपरागत मूल्य नए विचारों से टकरा रहे हैं. महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एनी राजा कहती हैं कि ऐसे उत्पादों का उद्देश्य महिलाओं के व्यवहार और चेहरे-मोहरे का नियंत्रण पुरूषों को देना है. लेकिन 18 अगेन बनाने वाली कंपनी के ऋषि भाटिया कहते हैं कि इस बार में शोर-शराबा ग़ैर-ज़रूरी है. ऋषि भाटिया कहते हैं, “पुरूष सेक्स का मज़ा बढ़ाने के लिए कई उत्पादों का प्रयोग करते हैं, ये तो महिला के हाथ में संभोग का सुख बढ़ाने का ज़रिया मात्र है.”
भारत
में शादी से पहले सेक्स पर रूढ़ीवादी रवैया है, हालांकि शहरों और क़स्बों
में इसके प्रति लचीला रूख़ सामने आ रहा है. एक भारतीय कंपनी ने दावा किया
है कि वो योनि का ढीलापन ख़त्म करने वाली देश की पहली क्रीम बाज़ार में ला
रही है, जिसके विज्ञापन के अनुसार महिलाएं एक बार फिर कौमार्य का अहसास कर
पाएंगी. कंपनी का मानना है कि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा लेकिन आलोचक
कह रहे हैं कि इससे उल्टे नारी सशक्तिकरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. ये एक
बड़ा दावा है.
‘18 अगेन’ क्रीम के विज्ञापन में
साड़ी पहने एक महिला नाच-गा रही है. विज्ञापन बॉलीवुड स्टाइल में है और
महिला मैडोना का हिट गाना ‘आई फ़ील लाइक ए वर्जिन’ गुनगुना रही है. उसके
सास-ससुर स्तब्ध हैं. जल्द ही महिला का पति भी नाच-गाने में शामिल हो जाता
है. शुरू में नाक-भौं सिकोड़ती सास आख़िर में इस क्रीम को ऑनलाइन ख़रीदने
की प्रक्रिया में दिखती है. 18 अगेन क्रीम को
बनाने वाली मुंबई स्थित फ़ार्मा कंपनी अल्ट्राटेक के अनुसार भारत में ये
उत्पाद पहली बार मिल रहा है. अल्ट्राटेक के मालिक ऋषि भाटिया कहते हैं कि
करीब ढाई हज़ार रुपए में मिलने वाली ये क्रीम सोने की भस्म, एलो वेरा यानि
घृतकुमारी, बादाम और अनार जैसे पदार्थों से बनी है. और इसके क्लीनिकल टेस्ट
भी हो चुके हैं.
मुंबई मिरर और बैंगलोर मिरर समाचार पत्रों में सेक्स पर सलाह देने वाली कॉलम के लेखक गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर महिंदा वत्स कहते हैं, “वर्जिन होने को अब भी बड़ी चीज़ माना जाता है. मुझे नहीं लगता कि इस सदी में ये धारणा बदलने वाली है. ” डॉ. वत्स ने सेक्स से संबंधित 30 हज़ार से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए हैं और वो कहते हैं कि उनसे बहुत से मर्द पूछते हैं कि ये कैसे पता लगाया जाए कि उनकी पत्नी वर्जिन है या नहीं. उनसे महिलाएं भी पूछतीं है कि वो अपने पतियों से कैसे छिपाएं कि वो वर्जिन नहीं हैं. डॉ. महिंदा वत्स कहते हैं, “हर पुरुष को आस होती है कि वर्जिन से शादी कर रहा है लेकिन कम से कम भारत के शहरों और क़स्बों में तो लड़कियां शादी से पहले संभोग कर रही हैं. ”
योनि के ढीलेपन को दूर करने का दावा करने वाली क्रीम से पहले योनि की चमड़ी को गोरा करने वाली क्रीम पर भी विवाद हो चुका है. ये दोनों इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे भारत में परंपरागत मूल्य नए विचारों से टकरा रहे हैं. महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एनी राजा कहती हैं कि ऐसे उत्पादों का उद्देश्य महिलाओं के व्यवहार और चेहरे-मोहरे का नियंत्रण पुरूषों को देना है. लेकिन 18 अगेन बनाने वाली कंपनी के ऋषि भाटिया कहते हैं कि इस बार में शोर-शराबा ग़ैर-ज़रूरी है. ऋषि भाटिया कहते हैं, “पुरूष सेक्स का मज़ा बढ़ाने के लिए कई उत्पादों का प्रयोग करते हैं, ये तो महिला के हाथ में संभोग का सुख बढ़ाने का ज़रिया मात्र है.”
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