नो सेक्स प्लीज ...और भी गम हैं इस ज़माने में
दुनिया में करीब 70 मिलियन लोगों को सेक्स की जरूरत ही महसूस नहीं होती। कनाडा बेस्ड एक प्रफेसर ने रिसर्च में जब से इसका खुलासा किया है, पूरी दुनिया में लोग इस पर बहस कर रहे हैं। जानते हैं, एक्सपर्ट्स इससे कितने सहमत हैं :
सेक्स के तीन टाइप मेल, फीमेल और एलजीबीटी तो आपने सुने होंगे, लेकिन पिछले कुछ अरसे में एक नया ऑप्शन खूब चर्चा बटोर रहा है। कनाडा बेस्ड प्रोफेसर एंटोनी बोगर्ट ने रिसर्च के बाद इसका खुलासा किया है कि इस चौथी कैटिगरी यानी एसेक्सुअल लोगों की संख्या दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है। एसेक्सुअल वे लोग हैं, जो किसी भी सेक्स की ओर अट्रैक्ट नहीं होते।
बेशक, एक्सपर्ट्स भी बोगर्ट की बात से इत्तफाक रखते हैं। उनका मानना है कि दुनिया की कुल पॉपुलेशन का एक फीसदी यानी कि करीब 70 मिलियन लोग ऐसे हैं, जिनकी कोई सेक्सुअल अट्रैक्शन नहीं है।
सायकायट्रिस्ट अंजलि छाबड़ा कहती हैं, 'एसेक्सुअल वह इंसान है, जो किसी भी तरह का सेक्सुअल अट्रैक्शन फील नहीं करता। इसका मतलब यह है कि वह फिजिकल ब्यूटी को पसंद करता है और उसकी तारीफ करता है, लेकिन अपने आपको उसमें इन्वॉल्व नहीं करना चाहता। उसका अट्रैक्शन फिजिकली की बजाय सिर्फ फ्रेंडली टाइप का होता है। यही वजह है कि उन्हंे किसी दूसरे इंसान को लेकर सेक्सुअल या रोमांटिक डिजायर फील नहीं होती।'
अपनी बुक में एसेक्सुअल की बात करने वाले प्रोफेसर बोगर्ट कहते हैं, 'एसेक्सुअल में भी दो तरह के लोग होते हैं। पहले वे जिन्हें सेक्स को लेकर थोड़ा-बहुत अट्रैक्शन होता है, लेकिन इसके लिए वे किसी के साथ सेक्स करने की बजाय मस्टरबेशन से काम चला लेते हैं। वहीं दूसरी तरीके के लोग वे होते हैं, जिनमें सेक्स को लेकर बिल्कुल भी अट्रैक्शन नहीं होता।'
हां, ना के बीच
हालांकि सायकायट्रिस्ट पारूल टांक बोगर्ट की बात से सहमत नहीं हैं। वह कहती हैं, 'मैं प्रोफेसर बोगर्ट की बात से सहमत नहीं हंू, क्योंकि मेरा मानना है कि हरेक इंसान जिसके सेक्सुअल ऑर्गन हैं, उसे सेक्सुअल नीड जरूर फील होती है। हो सकता है कि यह किसी को कम और किसी को ज्यादा हो, लेकिन सेक्स को लेकर कोई अट्रैक्शन न होने की बात को कतई एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि कुछ लोगों में स्ट्रेस या किसी और वजह से ये प्रॉब्लम आ गई हो। लेकिन इसके चलते उनकी अलग कैटिगरी एसेक्सुअल बनाना ठीक नहीं है।' 30 साल की प्रफेशनल नीना वर्गीज को लीजिए। वह एसेक्सुअल का ही एक उदाहरण हैं , जो एक एक्सिडेंट के बाद से सेक्स को पसंद नहीं करतीं। वह कहती हैं , ' मुझे फिजिकल इंटिमेसी या सेक्स कतई पसंद नहीं है। अगर कोई मुझे ऐसा ऑफर भी करता है , तो मुझे बुरा लगता है। दरअसल , मैं ईव टीजिंग की शिकार रही हंू , जिस वजह से मुझे किसी पुरुष के मुझे छूने के अहसास से ही डर लगता है। '
वजहें एसेक्सुएलिटी की
वैसे , तमाम रिपोर्ट्स की मानें , ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं , जो बेहद कम सेक्स करते हैं या नॉर्मल सेक्स करने के बावजूद उन्हें अपोजिट सेक्स से कोई अट्रैक्शन नहीं होता। ऐसे लोग अपने पार्टनर से सिर्फ इमोशनल अटैचमेंट रखना चाहते हैं। यही नहीं , वे बच्चे पैदा करने के लिए भी सेक्स की बजाय आईवीएफ का ही सहारा लेते हैं।
सायकायट्रिस्ट आरती छाबडि़या का मानना है कि एसेक्सुएलिटी के पीछे तमाम फैक्टर्स जिम्मेदार हैं। कुछ जगहों पर सेक्सुलअल डिजायर को टैबू माना जाता है , जिस वजह से लोग इसे सामने नहीं लाते। खासकर इस मामले में धार्मिक और व्यक्तिगत सोच इम्पोर्टेंट रोल निभाते हैं।
कई बार तो लोग जानबूझकर अपनी सेक्सुअल डिजाइर को कंट्रोल कर लेते हैं। फिर ऐसा भी हो सकता है कि इंबैलेंस्ड हॉर्मोन या फिर केमिकल्स की वजह से किसी इंसान में सेक्सुअल डिजायर कम हो। ऐसा किसी डिप्रेशन या फिर किसी और टेंशन की वजह से भी हो सकता है। वहीं कई केसेज में ऐसा भी देखने में आया है कि फिजिकल या इमोशनल एब्यूज के बाद भी इंसान का मन सेक्स से हट जाता है।
दुनिया में करीब 70 मिलियन लोगों को सेक्स की जरूरत ही महसूस नहीं होती। कनाडा बेस्ड एक प्रफेसर ने रिसर्च में जब से इसका खुलासा किया है, पूरी दुनिया में लोग इस पर बहस कर रहे हैं। जानते हैं, एक्सपर्ट्स इससे कितने सहमत हैं :
सेक्स के तीन टाइप मेल, फीमेल और एलजीबीटी तो आपने सुने होंगे, लेकिन पिछले कुछ अरसे में एक नया ऑप्शन खूब चर्चा बटोर रहा है। कनाडा बेस्ड प्रोफेसर एंटोनी बोगर्ट ने रिसर्च के बाद इसका खुलासा किया है कि इस चौथी कैटिगरी यानी एसेक्सुअल लोगों की संख्या दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है। एसेक्सुअल वे लोग हैं, जो किसी भी सेक्स की ओर अट्रैक्ट नहीं होते।
बेशक, एक्सपर्ट्स भी बोगर्ट की बात से इत्तफाक रखते हैं। उनका मानना है कि दुनिया की कुल पॉपुलेशन का एक फीसदी यानी कि करीब 70 मिलियन लोग ऐसे हैं, जिनकी कोई सेक्सुअल अट्रैक्शन नहीं है।
सायकायट्रिस्ट अंजलि छाबड़ा कहती हैं, 'एसेक्सुअल वह इंसान है, जो किसी भी तरह का सेक्सुअल अट्रैक्शन फील नहीं करता। इसका मतलब यह है कि वह फिजिकल ब्यूटी को पसंद करता है और उसकी तारीफ करता है, लेकिन अपने आपको उसमें इन्वॉल्व नहीं करना चाहता। उसका अट्रैक्शन फिजिकली की बजाय सिर्फ फ्रेंडली टाइप का होता है। यही वजह है कि उन्हंे किसी दूसरे इंसान को लेकर सेक्सुअल या रोमांटिक डिजायर फील नहीं होती।'
अपनी बुक में एसेक्सुअल की बात करने वाले प्रोफेसर बोगर्ट कहते हैं, 'एसेक्सुअल में भी दो तरह के लोग होते हैं। पहले वे जिन्हें सेक्स को लेकर थोड़ा-बहुत अट्रैक्शन होता है, लेकिन इसके लिए वे किसी के साथ सेक्स करने की बजाय मस्टरबेशन से काम चला लेते हैं। वहीं दूसरी तरीके के लोग वे होते हैं, जिनमें सेक्स को लेकर बिल्कुल भी अट्रैक्शन नहीं होता।'
हां, ना के बीच
हालांकि सायकायट्रिस्ट पारूल टांक बोगर्ट की बात से सहमत नहीं हैं। वह कहती हैं, 'मैं प्रोफेसर बोगर्ट की बात से सहमत नहीं हंू, क्योंकि मेरा मानना है कि हरेक इंसान जिसके सेक्सुअल ऑर्गन हैं, उसे सेक्सुअल नीड जरूर फील होती है। हो सकता है कि यह किसी को कम और किसी को ज्यादा हो, लेकिन सेक्स को लेकर कोई अट्रैक्शन न होने की बात को कतई एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि कुछ लोगों में स्ट्रेस या किसी और वजह से ये प्रॉब्लम आ गई हो। लेकिन इसके चलते उनकी अलग कैटिगरी एसेक्सुअल बनाना ठीक नहीं है।' 30 साल की प्रफेशनल नीना वर्गीज को लीजिए। वह एसेक्सुअल का ही एक उदाहरण हैं , जो एक एक्सिडेंट के बाद से सेक्स को पसंद नहीं करतीं। वह कहती हैं , ' मुझे फिजिकल इंटिमेसी या सेक्स कतई पसंद नहीं है। अगर कोई मुझे ऐसा ऑफर भी करता है , तो मुझे बुरा लगता है। दरअसल , मैं ईव टीजिंग की शिकार रही हंू , जिस वजह से मुझे किसी पुरुष के मुझे छूने के अहसास से ही डर लगता है। '
वजहें एसेक्सुएलिटी की
वैसे , तमाम रिपोर्ट्स की मानें , ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं , जो बेहद कम सेक्स करते हैं या नॉर्मल सेक्स करने के बावजूद उन्हें अपोजिट सेक्स से कोई अट्रैक्शन नहीं होता। ऐसे लोग अपने पार्टनर से सिर्फ इमोशनल अटैचमेंट रखना चाहते हैं। यही नहीं , वे बच्चे पैदा करने के लिए भी सेक्स की बजाय आईवीएफ का ही सहारा लेते हैं।
सायकायट्रिस्ट आरती छाबडि़या का मानना है कि एसेक्सुएलिटी के पीछे तमाम फैक्टर्स जिम्मेदार हैं। कुछ जगहों पर सेक्सुलअल डिजायर को टैबू माना जाता है , जिस वजह से लोग इसे सामने नहीं लाते। खासकर इस मामले में धार्मिक और व्यक्तिगत सोच इम्पोर्टेंट रोल निभाते हैं।
कई बार तो लोग जानबूझकर अपनी सेक्सुअल डिजाइर को कंट्रोल कर लेते हैं। फिर ऐसा भी हो सकता है कि इंबैलेंस्ड हॉर्मोन या फिर केमिकल्स की वजह से किसी इंसान में सेक्सुअल डिजायर कम हो। ऐसा किसी डिप्रेशन या फिर किसी और टेंशन की वजह से भी हो सकता है। वहीं कई केसेज में ऐसा भी देखने में आया है कि फिजिकल या इमोशनल एब्यूज के बाद भी इंसान का मन सेक्स से हट जाता है।
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