Tuesday 30 October 2012

फीमेल आर्गजि़मक डिज़ार्डर

फीमेल आर्गजि़मक डिज़ार्डर
महिलाओं में लगातार सेक्सुअल अराउज़ल के बाद भी आर्गज़्म के ना आने को फीमेल आर्गजि़मक डिज़ार्डर कहते हैं। महिलाओं को आर्गज़्म फेज़ तक आने में जो समय लगता है उसे क्लाइमैक्स कहते हैं। महिलाओं में आर्गज़्म आने का समय अकसर फोरप्ले या जी स्पाट के स्टिमुलेशन पर निर्भर करता है।
 
 वो महिलाएं जिन्हें इस प्रकार की परेशानी होती है उनमें इस डिज़ार्डर की इन्टेंसिटी को पहले चेक किया जाता है। कुछ महिलाएं कभी भी क्लाइमेक्स तक नहीं पंहुच पाती हैं और कुछ महिलाएं सिर्फ मास्टर्बेशन से ही क्लाइमेक्स तक पहुंच पाती हैं लेकिन अपने पार्टनर्स के साथ कभी भी इस स्टेज तक नहीं पंहुच पातीं।

  • इस तरह की समस्या के कारण बहुत से हो सकते हैं। लेकिन इसका एक मुख्य कारण पार्टनर से संकोच या किसी प्रकार का डर भी हो सकता है।
  • कुछ महिलाओं में क्लिटोरिस और वैजाइना को भी स्टिमुलेशन की ज़रूरत होती है। ऐसी स्थितियों में महिलाएं अपने पार्टनर के साथ इस स्थिति तक पंहुच पाती हैं।
  • वो महिलाएं जिन्हें कि आर्गज़्म तक आने में ज़्यादा समय नहीं लगता उनमें यह समस्या आजीवन हो सकती है या यह परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।
  • इस तरह के डिज़ार्डर का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन ऐसा पाया गया है कि ज़्यादातर स्थितियों में ऐसी परेशानियों का कारण फिज़ियोलाजिकल से ज़्यादा साइकालाजिकल होता है।
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  • आर्गज़्म सम्बन्धी विकार उन स्थितियों में और बढ़ जाता है जब महिला इस स्थिति तक पहुंचने की बहुत कोशिश करती है।
  • जब आर्गज़्म तक पंहुचना ही ध्येय होता है, तो ऐसी स्थिति में तनाव उत्पन्न हो जाता है जिससे कि आर्गज़्म तक पंहुचना और भी मुश्किल हो जाता है। क्लाइमेक्स तक पंहुचने की स्थिति में पार्टनर्स का मूड भी बहुत हद तक ज़िम्मेदार होता है। अगर ऐसी स्थिति में महिला परेशान है या दोनों पार्टनर्स में से कोई भी परेशान है या दिमागी तनाव से ग्रसित है तो ऐसी स्थिति में भी आर्गज़्म तक पंहुचना मुश्किल हो जाता है।
इस तरह के डिजार्डर का अभी तक कोई उपचार सामने नहीं आया है। लेकिन महिलाओं में यह वैजाइना के डा्रई होने से हो सकता है ऐसे में ल्यूब्रिकेंट्स का इस्तेमाल उपयोगी होता है।
  • अगर आर्गज़्म तक ना पंहुच पाने का कारण साइकालाजिकल है तो ऐसी स्थिति में पार्टनर्स को आराम से ऐसी प्रक्रीया करनी चाहिए और ऐसे में आर्गज़्म तक पंहुचने की कोशिश ना कर के आनंद का अनुभव करना चाहिए।
  • पार्टनर्स को एक दूसरे को समझने की और खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।
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  • वो पार्टनर्स जो आर्गज़्म सम्बन्धी विकार से ग्रसित हैं उन्हें एक दूसरे से बातचीत करनी चाहिए। फोरप्ले में अधिक समय देना चाहिए इससे ऐडिक्वेट ल्युब्रिकेशन भी होता है।
  • लव मेकिंग के दूसरे तरीके अपनायें जैसे ओरल सेक्स या म्यूचुअल मास्टर्बेशन।
  • आर्गज़्म तक पंहुचने का सबसे आसान तरीका है सेक्सुअल इन्टरकोर्स के दौरान पाज़िटिव सोचना। इसकी तुलना में निगेटिव सोच से ऐसी परेशानियां और बढ़ जाती हैं।

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