पुलिस
ने अपनी जांच में बनवारी के खिलाफ भैंस के साथ यौनाचार का आरोप सही पाया
और अदालत में उसके खिलाफ़ मुक़दमा पेश किया, लेकिन इस फैसले तक
पहुंचते-पहुंचते पांच साल लग गए. सीकर में श्रीमाधोपुर कस्बे के अपर मुख्य
न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मंगलवार को दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद
बनवारी को पशुगमन का दोषी पाया और पांच साल की सज़ा सुनाई. अभियोजन पक्ष ने
आरोप सिद्ध करने के लिए ग्यारह गवाह पेश किए और उनके अदालत में बयान दिए
जिनमें भैंस का मालिक भी शामिल था. सरकारी वकील महेश जैन ने बताया कि
अभियोजन पक्ष ने पशु चिकित्सक की रिपोर्ट पेश की जिसमें भैंस के साथ मानव
शुक्राणुओं की उपस्थिति के संकेत मिले थे. बचाव पक्ष ने इन आरोपों को ग़लत
बताया लेकिन वो बचाव में केवल एक ही गवाह पेश कर पाए. अभियोजन की दलीलों के
विरुद्ध बचाव पक्ष ने कहा कि बनवारी बेगुनाह है और उसे सिर्फ पुरानी रंजिश
की वजह से फंसाया गया है. लेकिन वो अदालत में अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर
सका. हालांकि अभी उसके पास अपील करने का मौका बाकी है.
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