Sunday 14 October 2012

स्‍पून-फिटिंग सेक्‍स

स्‍पून-फिटिंग  सेक्‍स 

प्‍यार के अंतिम चरण जिसे हम संभोग कहते हैं, उसे लेकर कामसूत्र में कई क्रियाएं यानी पोजीशन बताई गई हैं। सबसे अहम बात यह है कि पोजीशन बदल-बदल कर संभोग करने से प्रेम का अनुभव कई गुना बढ़ जाता है। सबसे अहम बात यह है कि हर पोजीशन का अपना महत्‍व है।यहां पर हम बात करेंगे 'स्‍पून-फिटिंग पोजीशन' जो न केवल संभोग का सुखद अहसास कराती है, बल्कि दो दिलों के बीच प्रेम के बंधन को मजबूत करती है। 

क्‍या है पोजीशन

स्‍पून-फिटिंग पोजीशन के नाम से ही आप समझ गए होंगे, कि जिस तरह दो एक जैसे चम्‍मच एक दूसरे में फिट हो जाते हैं, उसी प्रकार इस पोजीशन में पुरुष व स्‍त्री एक दूसरे में फिट हो जाते हैं। स्‍त्री आगे की ओर होती है और बायीं या दायीं ओर करवट करके लेटती है, जबकि पुरुष उसके पीछे उसी करवट में लेटता है। वदंपत्तियों में यह पोजीशन सबसे अच्‍छी मानी जाती है। इस पोजीशन में पुरुष स्‍त्री के हर अंग को आसानी से स्‍पर्ष कर सकता है। यह ऐसी पोजीशन है जिसमें दोनों शरीरों का स्‍पर्ष भाग सबसे अधिक होता है। इस पोजीशन में पुरुष आसानी से अपने पार्टनर को सेक्‍स के प्रति उकसा सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर 

यह पोजीशन गर्भवती महिला के लिए एक दम सही है खास तौर से अंतिम व पहले तीन महीनों में। क्‍योंकि यही वो समय होते हैं जब गर्भवती महिला को सबसे ज्‍यादा सावधानियां बरतनी होती हैं। इस पोजीशन में स्‍त्री पर सबसे कम दबाव पड़ता है। आम तौर पर स्त्रियों को सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में काफी वक्‍त लगता है, ऐसे में यह पोजीशन बेहतर साबित हो सकती है। लगभग पूरे शरीर के स्‍पर्ष के कारण इस पोजीशन में स्‍त्री आसानी से संभोग के चरम तक पहुंच सकती हैं।

बॉडी लैंग्‍वेज से जानिये सेक्‍स सिग्‍नल

बॉडी लैंग्‍वेज से जानिये सेक्‍स सिग्‍नल

 यूं तो प्‍यार अनुभव करने की चीज होती है, पर इसकी भी एक भाषा होती है। पशु-पक्षी व अन्‍य जीव प्रणय निवेदन की भाषा को अच्‍छी तरह अनुभव कर लेते हैं, पर इंसानों के भीतर प्रेम को परखने की यह क्षमता ज्‍यादा तीक्ष्‍ण नहीं होती। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि मनुष्‍य सभ्‍य समाज में रहने वाला सामाजिक प्राणी है। इस वजह से उसे कई तरह के मर्यादाओं और बंधनों को स्‍वीकार करना पड़ता है। इस क्रम में वह स्‍वाभाविक व स्‍वच्‍छंद प्रेम और कामेच्‍छाओं को मनचाहे तरीके से तृप्‍त नहीं कर सकता। कई बार तो पुरुष और स्‍त्री एक-दूसरे के निवेदन के 'सिग्‍नल' को ही नहीं पकड़ पाते।

यही वजह है कि इस विषय पर और शोध करने की जरूरत आज भी महसूस की जाती है। शोधकर्ताओं ने स्‍त्री-पुरुष की भाव-भंगिमाओं को लेकर कुछ ठोस निष्‍कर्ष निकाले हैं। एक-दूसरे से प्‍यार और 'संबंध' बनाने को इच्‍छुक लोगों की बॉडी लैंग्‍वेज के बारे में कुछ तथ्‍य इस प्रकार हैं-

प्‍यार के आगोश में पड़ने वाले व्‍यक्ति के चेहरे के उस हिस्‍से में कसावट आ जाती है, जो आमतौर पर थोड़ा फूला होता है। ऐसी स्थिति में आंखों में थोड़ी सिकुड़न भी आ जाती है। प्‍यार की चाह वाली अवस्‍था में शरीर का ढीलापन गायब हो जाता है। सीना थोड़ा बाहर की ओर निकल जाता है, साथ ही पेट थोड़ा अंदर की ओर धंस जाता है।
 अगर कामातुर महिला की बॉडी लैंग्‍वेज की बात की जाए, तो कुछ बातें एकदम स्‍पष्‍ट नजर आती हैं। स्‍त्री पुरुष को पाने के लिए अनायास ही कुछ प्रयास करती है। महिला अपने बालों को छूती है और अपने कपड़ों पर भी हाथ फेरती है। महिला के एक या दोनों हाथ अचानक पीछे की ओर चले जाते हैं। स्‍त्री अपने शरीर का कुछ भाग पुरुष की ओर झुका देती है। संभोग की इच्‍छुक महिला के गालों की लाली अचानक की बढ़ जाती है।

अगर पुरुष के पूरे शरीर पर एक निगाह डाली जाए, तो वह थोड़ा और तन जाता है। प्रेम पाने को आतुर स्‍त्री या पुरुष उस अवस्‍था में कुछ युवा नजर आने लगते हैं। ऐसी स्थिति में महिलाएं अपने हाथ की उंगलियों को पूरी तरह खोल लेती हैं। शोध में यह बात सामने आई है कि कलाई भी कामुक क्षेत्रों में से एक है। प्‍यार पाने को आतुर महिला माथे को झटककर अपने बाल पीछे की ओर कर लेती है। स्त्रियां झुकी हुई पलकों से पुरुष को निहारती हैं और कुछ देरे पर निगाहें टिकाए रहती हैं।
 पिछले हिस्‍से में पहले की तुलना में थोड़ा और उभार आ जाता है। साथ ही वह उस स्‍त्री से कुछ ज्‍यादा ही देर तक निगाहें मिलाता है। आंखों की पुतलियां भी फैल जाती हैं। किसी महिला से प्‍यार चाहने की अवस्‍था में पुरुष अपने बालों को संवारने की कोशिश करता है। स्त्रियों के होठ खुल जाते हैं और दोनों होठों पर थोड़ी तरलता आ जाती है। होठ और गाल समेत पूरे चेहरे की लालिमा बढ़ जाती है, क्‍योंकि उन भागों में रक्‍त का प्रवाह तेज हो जाता है।

कामातुर स्‍त्री प्‍यार पाने के लिए अपने पैरों को एक-दूसरे से रगड़ती है। ऐसा करके वह अपनी कोमल और प्रेमासक्‍त भावना का इजहार करती है। ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि हर परिस्थिति और हर व्‍यक्ति पर बॉडी लैंग्‍वेज के ये सूत्र लागू हों, यह कोई आवश्‍यक नहीं है। सामान्‍य अवस्‍था में स्त्रियां अपने दोनों पैरों को सटाकर रखना पसंद करती हैं, जबकि काम के आवेश में आने के बाद उसके दोनों पैरों के बीच की दूरी अचानक ही बढ़ जाती है।

 

बेडरूम में अच्छे परफॉर्मर होते हैं म्यूजिक लवर्स

बेडरूम में अच्छे परफॉर्मर होते हैं म्यूजिक लवर्स

अब स्टडी ने भी साबित कर दिया है कि गाने सुनने के शौकीन लोग दिल-विल, प्यार-व्यार में भी ज्यादा सफल रहते हैं। अमेरिकी राज्य इलिनॉय स्थित नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी की रिसर्चर डाना स्ट्रेट कहती हैं कि अगर आप किसी ऐसे को दिल सौंपना चाहते हैं जो आपकी बातों को गौर से सुने तो किसी ऐसे को हमदम बनाइए जो म्यूजिक का ट्यूशन ले रहा हो।मतलब कि जिन्हें गाने बे-इंतहा पसंद हों, वह बेहतर प्रेमी या प्रेमिका साबित होंगे। डाना कहती हैं कि ऐसे लगो अच्छे श्रोता होते हैं और ऐसे लोगों में भावनाएं भी कूट-कूट कर भरी होती हैं। 


खास बात यह है कि ऐसे लोग बहुत जल्दी और सही-सही दूसरों की भावनाओं को समझ लेते हैं। उनकी यही क्षमता उन्हें पढ़ाई, वर्करूम और यहां तक कि बेडरूम में भी बेहतर परफॉर्मर बनाती है। ऐसे लोग अन्य लोगों की बातों का गूढ़ अर्थ भी निकाल लेते हैं, जिन्हें आमतौर पर लोग समझ नहीं पाते।

वाइल्ड सेक्स से बढ़ जाते हैं प्रेग्नंसी के चांस

वाइल्ड सेक्स से बढ़ जाते हैं प्रेग्नंसी के चांस

प्रेग्नंसी के लिए कपल्स क्या-क्या नहीं करते। डॉक्टरों के चक्कर काटने से लेकर वूडू तक सब किया जाता है। लेकिन साइंटिस्ट कहते हैं कि एक आसान तरीका भी है। वाइल्ड सेक्स कीजिए। 

यानी इतने जोश और जुनून से कि सारी सीमाएं टूट जाएं।साइंटिस्ट कहते हैं कि लव मेकिंग यानी सेक्स की क्वॉलिटी जितनी अच्छी होगी , महिलाओं के कन्सीव करने के चांस उतने ही ज्यादा होंगे। 

शेफील्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर लेक्चरर ऐलन पासी के मुताबिक ऐसा सेक्स , जिसमें दोनों पार्टनर एक-दूसरे को संतुष्ट करने की पूरी कोशिश करते हैं , प्रेग्नंसी के चांस को बढ़ा देता है। 

वह कहते हैं कि जो कपल बच्चे के लिए कोशिश कर रहे होते हैं , वे अक्सर सेक्स को एक काम की तरह करते हैं। पासी के मुताबिक ऐसे कपल्स ने बताया है कि उनका सेक्स बहुत मशीनी और रूटीन काम जैसा होता है। यह गलत है। 

ब्रिटिश फर्टिलिटी सोसायटी के सेक्रटरी पासी कहते हैं कि सेक्स वैसा ही वाइल्ड और थ्रिलिंग होना चाहिए , जैसा आप पहली बार मिलने पर कर रहे थे और बच्चे के बारे में नहीं सोच रहे थे। आमतौर पर इंटरकोर्स के दौरान 25 करोड़ स्पर्म्स पैदा होते हैं। 

लेकिन एक रिसर्च के मुताबिक जब पुरुष सेक्स में पूरी तरह संतुष्ट होता है , तो स्पर्म्स की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ जाती है। पासी बताते हैं कि अगर आप सेक्स को रूटीन से पांच मिनट ज्यादा लंबा खींचते हैं , तो स्पर्म्स की संख्या ढाई करोड़ तक बढ़ सकती है।