Saturday 8 December 2012

क्या सेक्स ही प्रेम है?

क्या सेक्स ही प्रेम है?
क्या प्रेम का परिणाम सेक्स है या कि प्रेम भी गहरे में कहीं कामेच्छा ही तो नहीं? फ्रायड की मानें तो प्रेम भी सेक्स का ही एक रूप है। फिर सच्चे प्रेम की बात करने वाले नाराज हो जाएँगे। वे कहते हैं कि प्रेम तो दो आत्माओं का मिलन है। तब फिर 'मिलन' का अर्थ क्या? शरीर का शरीर से मिलन या आत्मा का आत्मा से मिलन में क्या फर्क है? प्रेमशास्त्री कहते हैं कि देह की सुंदरता के जाल में फँसने वाले कभी सच्चा प्रेम नहीं कर सकते।

 कामशास्त्र मानता है कि शरीर और मन दो अलग-अलग सत्ता नहीं हैं बल्कि एक ही सत्ता के दो रूप हैं। तब क्या संभोग और प्रेम भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? धर्मशास्त्र और मनोविज्ञान कहता है कि काम (सेक्स) एक ऊर्जा है। इस ऊर्जा का प्रारंभिक रूप गहरे में कामेच्छा ही रहता है। इस ऊर्जा को आप जैसा रुख देना चाहें दे सकते हैं। यह आपके ज्ञान पर निर्भर करता है। परिपक्व लोग इस ऊर्जा को प्रेम या सृजन में बदल देते हैं।

शरीर भी कुछ कहता है :
किशोर अवस्था में प्रवेश करते ही लड़के और लड़कियों में एक-दूसरे के प्रति जो आकर्षण उपजता है उसका कारण उनका विपरीत लिंगी होना तो है ही, दूसरा यह कि इस काल में उनके सेक्स हार्मोंस जवानी के जोश की ओर दौड़ने लगते हैं। तभी तो उन्हें राजकुमार और राजकुमारियों की कहानियाँ अच्छी लगती हैं। फिल्मों के हीरो या हीरोइन उनके आदर्श बन जाते हैं।

आकर्षित करने के लिए जहाँ लड़कियाँ वेशभूषा, रूप-श्रृंगार, लचीली कमर एवं नितम्ब प्रदेशों को उभारने में लगी रहती हैं, वहीं लड़के सिक्स पैक लैब्स, एट पैक लैब्स और स्टाइलिश वेशभूषा के अलावा बहादुरी प्रदर्शन के लिए सदा तत्पर रहते हैं। आखिर वह ऐसा क्यूँ करते हैं? क्या यह यौन इच्छा का संचार नहीं है?

आनंद की तलाश :
दर्शन कहता है कि कोई आत्मा इस संसार में इसलिए आई है कि उसे स्वयं को दिखाना है और कुछ देखना है। पाँचों इंद्रियाँ इसलिए हैं कि इससे आनंद की अनुभूति की जाए। प्रत्येक आत्मा को आनंद की तलाश है। आनंद चाहे प्रेम में मिले या संभोग में। आनंद के लिए ही सभी जी रहे हैं। सभी लोग सुख से बढ़कर कुछ ऐसा सुख चाहते हैं जो शाश्वत हो। क्षणिक आनंद में रमने वाले लोग भी अनजाने में शाश्वत की तलाश में ही तो जुटे हुए हैं।

 ध्यान का जादू :
यदि आपकी ओर कोई ध्यान नहीं देगा तो आप मुरझाने लगेंगे। बच्चा ध्यान चाहता है तभी तो वह हर तरह की उधम करता है, ताकि कोई उसे देख ले और कहे कि हाँ तुम भी हो धरती पर। युवक-युवतियाँ सज-धज इसीलिए तो करते हैं कि कोई हमारी ओर आकर्षित हों।

 ध्यान देने से ज्यादा व्यक्ति ध्यान पाने कि मनोवृत्ति से ग्रस्त रहता है। ध्यान देने और पाने की मनोवृत्ति को जो छोड़ देता है उसे ही ध्यानी कहते हैं। ध्यानी व्यक्ति स्वयं की मनोवृत्तियों पर ही ध्यान देता है।
आखिर प्रेम क्या है? 


आत्मीयता ही प्रेम है :
विद्वान लोग कहते हैं कि दो मित्रों का एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता हो जाना ही प्रेम है। एक-दूसरे को उसी रूप और स्वभाव में स्वीकारना जिस रूप में वह हैं। दोनों यदि एक-दूसरे के प्रति सजग हैं और अपने साथी का ध्यान रखते हैं तो धीरे-धीरे प्रेम विकसित होने लगेगा।

 अंतत: देह और दिमाग की सारी बाधाओं को पार कर जो व्यक्ति प्रेम में स्थित हो जाता है सच मानो वही सचमुच का प्रेम करता है। उसका प्रेम आपसे कुछ ले नहीं सकता आपको सब कुछ दे सकता है। तब ऐसे में प्रेम का परिणाम सेक्स को नहीं करुणा को माना जाना चाहिए।

Friday 7 December 2012

चॉकलेट बढ़ाती है महिलाओं में कामेच्छा

चॉकलेट बढ़ाती है महिलाओं में कामेच्छा

चॉकलेट पर फिदा रहने वाली महिलाएं बेहतर सेक्स का आनंद उठाती हैं – वैसे हम आपको बता दें कि यह किसी कामसूत्र आधारित फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है बल्कि एक वैज्ञानिक शोध का नतीजा है।अमूमन चॉकलेट खाने वाली महिलाओं की सेक्स जिंदगी उन महिलाओं के मुकाबले ज्यादा बेहतर होती है जो चॉकलेट ज्यादा पसंद नहीं करती हैं। मिलान स्थित सेन राफेले हॉस्पिटल के शोधार्थियों ने दावा किया है कि ऐसी महिलाओं की इच्छाएं काफी ज्यादा और सेक्स को लेकर संतुष्टि का स्तर काफी अधिक होता है। 

सलोनिया ने "हैल्थ डे वेबसाइट" को बताया कि कामेच्छा उन महिलाओं में ज्यादा नजर आई जिन्होंने चॉकलेट को अपनी पसंद बताया था बनिस्बत उनके जो मीठी चीजों से दूर रहना चाहती थीं।

सलोनिया लंदन में फरवरी में होने जा रही "सेक्सुअल मैडिसन" पर यूरोपियन सोसायटी की कॉन्फ्रेंस में अपने पेपर रखेंगी जिसके मुताबिक, रोज चॉकलेट खाने वाली महिलाओं में दूसरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा कामेच्छा होती है। चॉकलेट दरअसल ऐसी महिलाओं की सेक्सुएलिटी पर मनोवैज्ञानिक रूप से सकारात्मक असर डालती है।

हालांकि सलोनिया ने चेताया कि इसका मतलब यह नहीं है कि सेक्स और चॉकलेट के बीच कोई सीधा संबंध है। उन्होंने हैल्थ डे से कहा कि यह एक परिकल्पना मात्र है कि चॉकलेट से महिलाओं के सेक्सुएलिटी पर मनोवैज्ञानिक रूप से सकारात्मक असर पड़ता है।


सलोनिया ने वेबसाइट से कहा कि चॉकलेट को एक ऐसी दवा समझा जाए जो मूड बनाने का काम करती है। सलोनिया ने जोड़ा कि खासतौर से महावरी चक्र के चलते सेक्स को लेकर मूड न होने की समस्या से चॉकलेट छुटकारा दिला सकती है। 

Thursday 6 December 2012

सहवास

किसी भी व्यक्ति की खूबसूरती पर उसके लंबी चलने चलने सहवास क्रिया का बहुत असर पड़ता है। यह क्रिया एक तो शरीर के अन्दर के अंगों की मालिश करती है, शरीर में खून के बहाव को बढ़ाती है वैसे ही यह शरीर को स्वस्थ और मजबूत और चुस्त बनाती है। संभोग के समय वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के लिये आप संभोग से पहले की क्रियाओं को देर तक चला सकती है। इसके लिये सबसे पहले पुरुष के लिंग को पूरी तरह उत्तेजित होने दें और उसे उत्तेजना की अवस्था में ही बनाए रखें। मगर इस सब क्रिया में खुद को इतना मत उत्तेजित होने दीजिए कि वीर्यपात हो जाए। सहवास के दौरान एक दूसरे के शरीर के अंगों से छेड़छाड़ करने से यौन तनाव भरी मात्रा में बढ़ जाता है तथा आप उसको जितनी देर तक रोक कर रखेंगी उतना ही आपकी खूबसूरती में बढ़ोतरी होगी। 
 संभोग करते समय मुंह से निकलने वाली लंबी सांसों को लेने से दिल तेज गति से धड़कता है तथा शरीर में खून का बहाव बढ़ता है। जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है जो त्वचा को मुलायम और जवान बनाती है। संभोग क्रिया में कोषों को भी जितना खून चाहिए उतने ही मात्रा मिलती है जिससे शरीर के सारे अंग अच्छी तरह से काम करते है। संभोग करने की क्रिया में ज्यादा समय बिताना चाहिए जल्दी नहीं करनी चाहिए। आप ने जब सोच लिया है कि आपने आज दुनिया का सारा आनन्द लेना है तो बाकी सब कुछ भूल जाए। संभोग क्रिया की लंबी अवधि आपको बहुत आनन्द तो देती ही है साथ ही काफी समय तक आपकी खूबसूरती का उपचार भी करती है। 

अगर आपने अभी तक संभोग क्रिया का आनन्द नहीं लिया है तो बिना झिझक के अपने पति से बात करे और उन्हें बताएं कि आपको किस से उत्तेजना मिलती है। जब तक आपको संभोग क्रिया में मजा नहीं आएगा तब तक आपको कोई फायदा नहीं होगा और वो सुख का अवसर बनने के स्थान पर दर्दनाक काम बन जायेगा। इसलिए अपने बैडरूम में आपकों सहवास क्रिया में आनन्द लेने के लिये चाहे कितना भी बेशर्म बनना पड़े तो बनने में कोई हर्ज नहीं है। ऐसा करने से आपको अपने पति से प्यार ही मिलेगा क्योंकि जिस क्रिया में आपको आनन्द आयेगा उस में ही आपके पति को भी खुशी मिलेगी। संभोग करने की क्रिया कभी भी एक तरफ से नहीं होती इसमें अपने साथी को देने का नाम ही लेना होता है। जब-तब को छोड़ देना चाहिए अगर उत्तेजना के समय संभोग करने का नाम पहले आप पर आता है तो आने दें। यह पुरुषों के लिये ज्यादा खास होता है 

क्योंकि वो अपनी साथी से पहले यौनसुख को भोगता है। वीर्य निकलने से रोक देने से संभोग करने से मिलने वाली खूबसूरती बढ़ जाती है। अगर आपको लगता है कि आपका साथी संभोग क्रिया करते समय संभोग के आखिरी पड़ाव पर पहुंच गया है तो वीर्य को निकलने से रोकने के लिये लिंग पर अपना हाथ रखकर अपने अंगूठे को लिंग के साथ ऊपर ले जाने वाली नस पर रख दें। फिर अंगूठे से उस पर जोर से दबाव देकर छोड़ दें। लिंग की नस पर दिया गया यह दबाव वीर्य को ग्रन्थि में नहीं आने देता जिससे की वीर्यपात नहीं हो पाता अब इस संभोग करने के समय को जितना चाहे बढ़ाएं और देखें कि इससे आपके शरीर की खूबसूरती कितनी बढ़ती है। अगर आपका शरीर स्वस्थ है तो आपकी आत्मा भी जरूर खुश होगी।
सहवास करने के लाभ-संभोग क्रिया करने के दौरान अगर स्त्री को मिलने वाला यौनसुख केवल शरीर को सुकून पहुंचाने को स्रोत नहीं होता बल्कि यह किसी भी बदसूरत व्यक्ति को खूबसूरत बना सकता है। यौनसुख बस एक साधारण शारीरिक प्रतिक्रिया होती है। थोड़े समय में रोजाना यौनसुख भोगने वाली स्त्री में सिर से लेकर पैरों के नाखूनों तक बदलाव आता है। संभोग क्रिया करते समय ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़ जाती है और इस क्रिया के अन्त में मुश्किल प्रतिक्रियाएं होती है तथा पिट्यूररी ग्रन्थि खून में हार्मोन्स का स्राव करती है जो यौन अंगो में प्रतिक्रियाओं को बढ़ाते है। 
 संभोग करने की इच्छा के लिये यौन हार्मोन्स होना जरूरी है। पिट्यूटरी ग्रन्थि को मास्टर यौन ग्रथि कहा जाता है क्योंकि इसके हार्मोन्स शरीर की दूसरी यौन ग्रंथियों पर अधिकार रखते है। यह ग्रन्थि अलग-अलग हार्मोन्स को अलग-अलग यौन ग्रन्थियों तक इस सन्देश के साथ भेजती है कि वो अपने खुद के हार्मोन्स को भरने के लिये तैयार रहे।
 ये यौन ग्रन्थिया जब एक बार खुद एक बार हार्मोन्स से भर जाती है तो पिट्यूटरी ग्रन्थि को सन्देश भेजती है, अब हम खुद सावधान है और हमे तुम्हारी मदद की कोई जरूरत नहीं है। इन सब ग्रन्थियों का व्यक्ति को जवान बनाए रखने और उसकी खूबसूरती बनाए रखने से सीधा संबध होता है। सहवास करने के दौरान खून को बहाने वाली नसों पर काबू रखने वाली छोटी मांसपेशियां अनैच्छिक रुप से सिकुड़ जाती है जिसके कारण स्त्रियां अपनी पूरे शरीर में गर्माहट सी महसूस करती है। छोटी खून को बहाने वाली नसें शान्त रहकर शरीर में बहुत ज्यादा खून और गर्माहट लाती है। इसी कारण से कभी-कभी पूरे शरीर की त्वचा में लालपन आ जाता है।

 यह प्रक्रिया त्वचा के लिए बहुत अच्छी चिकित्सा का काम करती है क्योंकि यह त्वचा की परतों में खून के बहाव को बढ़ा देती है तथा शरीर के रोम छिद्रों में तेल और नमी को पहुंचाती है जिससें त्वचा को जवानी और चमक मिलती है। त्वचा के अन्दर नमी के जमा होने से त्वचा के कमजोर होने की प्रक्रिया रूक जाती है जिससे त्वचा मुलायम और खूबसूरत बनी रहती है। संभोग क्रिया त्वचा के अलावा बाकी शरीर को भी स्वस्थ और चुस्त बनाए रखने में मदद करती है।

 

चिकित्सा-

फेफड़े-

सहवास करते समय सांस चलने की गति बहुत ज्यादा तेज हो जाती है जिसके कारण शरीर में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। जिसके कारण फेफड़े तो अपनी पूरी ताकत के साथ काम करते ही है बल्कि मुंह से निकलने वाली गन्दी सांसों के साथ शरीर के जहरीले पदार्थ भी बाहर आ जाते है।



दिल-

सहवास क्रिया के दौरान पूरे शरीर में खून के घूमने के दौरान खून के चलने की गति पर भी असर पड़ता है जिससे दिल की धड़कन भी नहीं बचती। व्यक्ति के आराम करने के समय नब्ज चलने की गति 72 धड़कन की होती है जो संभोग क्रिया के समय प्रति मिनट 180 हो जाती है इससे दूसरे व्यायामों की तुलना में दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है तथा यह रोजाना की क्रिया दिल का दौरा पड़ने के खतरे को कम कर देती है।

आंखें-

संभोग क्रिया करते समय आंखों की पुतलियां सिकुड़ जाती है इससे आंखों के आसपास जो छोटी-छोटी मांसपेशियां होती है उनकी कसरत हो जाती है। इस दौरान बढ़ी हुई खून की रफ्तार आंखों को स्वस्थ और चमकीला बनाती है और आंखों के आसपास छोटी-छोटी झुर्रियां और फुलाव नहीं होने देती है।



बाल-

संभोग क्रिया करते समय बढ़ी हुई उत्तेजना के दौरान दिल की धड़कन की रफ्तार तेज होने से पूरे शरीर में तेज गति से खून का संचार होता है। यह खून शरीर के दूसरे अंगों में पहुंचने के साथ-साथ बालों की जड़ों में भी पहुंचकर उनका पोषण करता है। सिर के बालों को उस समय ज्यादा लाभ मिलता है जब आप संभोग क्रिया के समय बिस्तर पर बिना तकिया लगाए बिल्कुल सीधी लेटी रहती है तथा संभोग की किसी दूसरी मुद्रा में नहीं होती है।

भुजा तथा टांगे-

सहवास के समय आप की भुजाओं की मांसपेशिया बिना इच्छा के ही सिकुड़ जाती है जिससे आपकी भुजाएं मजबूत और सुडौल लगती है। ऐसे ही टांगों की मांसपेशियां भी सिकुड़ जाती है यहां तक कि पैरों की उंगलियां भी मुट्ठी की तरह भिंच जाती है। इसलिये सहवास से ना केवल आपको सुकून मिलता है बल्कि पिण्डली, जंघा, पंजे और उंगलियों की मांसपेशियां भी मजबूत होती है।

पेट की मांसपेशियां-

संभोग क्रिया करते समय पेट की मांसपेशियों में बिना इच्छा के सिकुड़ापन आ जाता है तथा संभोग के दौरान शरीर को बिस्तर पर उठाने से पेट की मांसपेशिया तन जाती है जिससे उनमें कसाव पैदा होता है और वह मजबूत बन जाती है।

गाल-

सहवास करते समय पूरे शरीर के साथ चेहरे की मांसपेशिया भी एकदम कस सी जाती है। रोजाना संभोग करने से चेहरा भर जाता है। अगर आप के गाल पिचके हुए है तो रोजाना संभोग करने से वह भर जाएंगे। इसके साथ ही इस क्रिया में गर्दन की मांसपेशियों के अन्दर खिंचाव आता है जिससे गर्दन मुलायम और सुन्दर बन जाती है और जबड़े वाला हिस्सा भी पिलपिला सा नहीं रहता है। ठोड़ी भी दोहरी होने से बच जाती है। इसलिये हमेशा के लिये मजबूत और आकर्षक शरीर चाहते है तो जी भर के सहवास का लाभ उठाइयें।



श्रोणी मांसपेशियां-

सहवास करते समय शरीर का एकदम कठोर हो जाना नितंबों के नीचे के भाग की मांसपेशियों में कसाव पैदा करता है और उन्हे ढीला पड़ने से बचाता है। आप की ये सिकुड़न जितने ही लंबे समय के होंगी आप की मांसपेशियां उतनी ही मजबूत बनेगी।


सहवास को मादक कैसे बनायें


सहवास को मादक कैसे बनायें ?
बेहतर सहवास के लिये क्या आप जानते हैं कि महिला चाहती क्या है? बेडरूम में उसे उन्मत्त (जंगली ) की तरह चलाइए और इस शानदार ड्राइव का दोनों आनंद उठाइये. और यहां गलतियां माफ हैं. यहां आप अपनी सहवास क्षमता का पूरा और सही प्रयोग करें. इसके साथ ही यह सुनिश्चित करें की जब भी वह आप के साथ सहवास कर रही है तो वह तीव्र उत्साह और उत्तेजना में हो और वह आपमें आनंद ढूंढ़े. कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें अपनाने के बाद नकली उत्तेजना की आवश्यकता नहीं पड़ती. यहां अपनी पत्नी या पार्टनर के बेहतर सहवास का आनंद देने के कुछ तरीके बताए जा रहे हैं -



कैसे बहकाएं पत्नी को :
महिला को बहकाना हमेशा पुरुषों के लिए चुनौती होता है. किन्तु किसी अवसर पर जीवन साथी को बहकाने का अच्छा प्रतिफल मिलता है.
शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़े पाते हैं कि सहवास और दृढ़ता अपनी वास्तविक चमक खोती जा रही है साथ ही दिन-ब-दिन सहवास करना सिर्फ एक रुटी उद्देश्य रह जाता है. जो कि उनकी कल्पनाशीलता और उत्तेजना को कम करता जाता है.
एक समय यह क्रिया विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब महिला एक बच्चे को जन्म देती है. अक्सर बच्चे के जन्म के बाद महिला विशेषतःअन सेक्सी महसूस करती है. यह कठोर सोच उन्हे एक बड़े परिवर्तन के तहतउसे शारीरिक और मानसिक रूप से नीचे ले जाते हैं. बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं की यह सामान्य सोच बन जाती है कि वह पहले मां है बाद में प्रेमिका.
एक आदमी इस परिस्थिति को समझते हुए तरीके से अपने पार्टनर को आकर्षक और सेक्सी बना सकता है. इसका सबसे बेहतर तरीका है कि पॉजिटिव प्रयासों से अपने पार्टनर को बहकाएं (उत्तेजित करें )


ज्यादातर आदमी इस परिस्थितियों से उकता कर नए प्रेम प्रसंगों के प्रलोभन से जुड़ने का प्रयास करते हैं, जबकि यह उचित नहीं है. यदि आप अपने जीवन साथी को बहकाने जा रहे हैं या प्रयास कर रहें हैं तो यह आपको उन प्रलोभनों की वास्तविकता से बेहतर क्षण प्रदान करेगा. ऐसे में विशेषतः ज्यादातर महिलाएं रोमांस और पूर्वज्ञान से आनंदित होकर पुरुषों को पू्र्ण आनंद देती हैं.

अच्छी तरह बढ़ कर तैयारी करें :
अपने पूर्व ज्ञान को आधे मजाक का रूप दें. यह बहकावे के प्लान को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है. कुछ लोग बहकावे को लेकर उन क्षणों की तैयारी का आनंद उठाते हैं.


यदि आपके कोई बच्चा है तो उसकी कोई उचित व्यवस्था पहले से कर दें ताकि बाद के अंतिम लम्हों में आपको किसी प्रकार की हिचक न हो. यह अरेंजमेंट हर उस स्थान में कर सकते हैं. जहां का आप इरादा रखते हैं. स्थान को लेकर संकोच नहीं करना चाहिये. यदि आप बाहर खाना सुनिश्चित करते हैं तो मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि यह एक बेहतर अवसर है जहां आपकी पत्नी काफी इन्ज्वाय करेगी. ठीक ऐसी ही परिस्थितियां तब भी होंगीं जब आप अपरान्ह का फिल्म शो देखने का मन बनाते हैं.


बहलाने का कोई भी मौका मिलता है तो उसे न छोड़ें. यही स्थिति ऐसी होगी जब आपकी पत्नी यह सहजता से सोचेगी कि आप उसे कितना चाहते हैं. कभी-कभी उसे उपहार भी दें . जैसे उसकी बगैर जानकारी के उसके लिये उसका पसंदीदा परफ्यूम लाकर दें या फिर कोई सहवासी सा अण्डरवियर उसे गिफ्ट करें. ऐसे में जब भी वह इनका प्रयोग करेगी आपको याद करे रोमांचित होगी.

दिन का समय :

शाम के बेहतर बहकावे के लिये अपरान्ह में दोनों के बीच कोई गैर सेक्सुअल हरकत अच्छे वार्म- अप का काम करती है. कोई रोमांटिक फिल्म देखने जाएं या फिर मौका मिलने पर पैदल साथ-साथ बाजार घूमने निकल जाएं. इस तरह के कई अवसर उन्हें बहलाने के बेहतर साधन हो सकते हैं. इससे वे एक ओर तो पारिवारिक दबाव से मुक्त होगी साथ ही उसे एक नएपन का भी एहसास होगा.



सुहानी शाम और डिनरः
शाम की शुरुआत कैंडल लाइट डिनर से की जा सकती है. जो कि या तो किसी मनपसंद रेस्टोरेंट में हो सकता है या फिर घर में ही इसकी तैयारी की जा सकती है, वह भी बगैर घर की किचन में बगैर समय गवांए. भोजन करने के दौरान न तो ज्यादा खाएं न ही ज्यादा पियें और न ही एक दूसरे को ज्यादा के लिये प्रेरित करें.
साथ ही इस बात का ख्याल रखना चाहिये कि क्या खा रहे हैं. निश्चित मात्रा का भोजन खाने में काफी सहवासी होता है, और आदमी इसे और बेहतर बना सकता है. इस दौरान अपनी पत्नी को अपनी डिश चखाएं और उसकी डिश का भी आनंद ले. यह सब बिना झिझक और औपचारिकता के करें.
बस यहीं से बहकाने का सेक्सुअल पार्ट शुरू होता है, लेकिन यह कार्य अब भी आधा किया जा चुका है.

आपस में छेड़छाड़ करें
आपसी छेड़छाड़ दो प्रेमियों के बीच का महत्वपूर्ण फोरप्ले होती है. इस दौरान धीमी लाइट जलाकर कोई पसंदीदा संगीत चालू कर लें. छेड़छाड़ के बीच-बीच में एक दूसरे को किस करने का मौका न गंवाएं साथ ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे.इस दौरान पूरी सौम्यता बरते न कि सीधे सहवास के लिए उन्मुख हो जाएं.



उसके कपड़े उतारें
छेड़छाड़ के दौरान धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारें और उसके सुंदर शरीर की तारीफ करने से न चूके. उसे यह बताएं की उसकी वजह से आप किस तरह ऑन होते हैं. यही वह प्वांइट होगा जब आप दोनों को एक दूसरे की गर्मी और उत्तेजना का अहसास होना शुरू हो जाएगा. अब जबकि उसके बदन में नाम मात्र के कपड़े बचे हों तो उसे भी इस क्रिया में सहभागी बनने को कहें. यह उसके लिये भी एक वास्तविक टर्न ऑन होगा, ठीक उसी तरह जैसे की आपका.
जब वह पूरी तरह कपड़े उतार चुकी हो तब वगैर वक्त गंवाए उसके शारीरिक सौंदर्य का महिमामंडन कर लें, साथ ही सहवासी कमेंट पास करें. इस दौरान के सहवासी कमेंट उसे शारीरिक रूप के अलावा मानसिक रूप से भी उत्तेजित करते हैं.

रतिक्रिया
यदि अभी तक सब कुछ ठीक रहा है तो यह स्टेज आपके कुछ हटकर आनंद देने वाली है.
इसके लिये आप उसे अपनी टांगे फैला कर लेटने को कहें और धीरे-धीरे उसके शरीर को नख से सिर तक दुलारें. जगह-जगह दबाएं यदि उसे पसंद हो. उसके स्तनों को खरोंचते हुए दबाएं ताकि उसे एक मीठे दर्द का अहसास हो साथ ही इस दौरान स्तन के निप्पल को भी खींचे. बीत-बीच में इन सभी अंगों को मसलें. 


अब आप देखेंगे की उसकी उत्तेजना कैसे उसके चेहरे पर झलकने लगी है, जिसकी गवाही उसका शरीर भी देने लगेगा.
अब उसके भग और भगशिश्न को सहलाएं. आप पाएंगे कि वह तीव्र उत्तेजित हो गई है. इस दौरान आप हर उस हरकत को बढ़ावा दे जिसपर आप पाएं कि ऐसा करने पर उसे आनंद की अनुभूति हो रही है और वह उत्तेजना के शिखर की ओर बढ़ रही है. अब जबकि वह तीव्र उत्तेजित हो गई है और अच्छी तरह स्निग्ध हो चुकी है तब आप उसकी योनि में पहले एक अंगुली डाले फिर दो … फिर आप वह करें जो उसे पसंद हो…

सहवास का उपयुक्त समय
अब जबकि वह तीव्र उत्तेजित हो चुकी होगी और वह आप से एकाकार होने की इच्छा रखने लगी है. अब यह अहठधर्मी सहवास पोजीशन के साथ सहवास करने का उचित समय है, जो कि उसके लिये नई सनसनाहट पैदा करेगा. इस दौरान बीच-बीच में आप सहवास पोजीशन में बदलाव ला सकते हैं . अब यदि इस दौरान वह एक उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच कर संतुष्ट हो जाएगी. यदि आप एक और दौर चाहते हैं तो उसकी पसंद के अनुरूप आप दूसरा दौर भी चला सकते हैं.


वहीं यदि आपकी पार्टनर जल्दी ही बच्चे की मां बनने वाली है तो सहवास का तरीका थोड़ा बदलना होगा. इस दौरान गहराई वाले तथा झटकेदार सहवास से बचें . इसके लिए अपने पार्टनर को चरम उत्तेजित करें फिर उसकी योनि पर अपने शिश्न के अग्रभाग को प्रवेश कराकर बगैर गहराई में गए ही सहवास करें. इसके अलावा अपने चिकित्सक से भी सलाह लें.

बेहतर सहवास पोजीशन
सहवास करने के शुरुआती दौर में सबसे पहले वह सहवास पोजीशन चयन करनी चाहिए जो शुरुआती दौर में कम गहराई वाली हो और बाद में गहरे में प्रवेश करता हो. लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि दूरदर्शी युगल इन क्षणों की उत्तेजना के तरीके स्वयं खोज लेते हैं और यह आनंददायी स्थितियां जो वे अपने अनुरूप पाते हैं उसे प्रयुक्त करते हैं. यह तरीका किसी भी विशेषज्ञ के बताए तरीके से बेहतर होता है. कुल मिलाकर पोजीशन वह होनी चाहिए जिसमें दोनों को बराबर की आनंदानुभूति हो .
सहवास पोजीशन को लेकर यद्यपि कई अवरोध हैं फिर भी इसे अपनी सुविधानुसार इसका प्रयोग करना चाहिये. सहवास के दौरान पुरुष का ऊपर होना आधार पोजीशन होती है. फिर भी कई बार इसमें प्रवेश गहराई तक नहीं हो पाता है.


इसके लिए बेहतर विकल्प है कि उसके नितम्ब के नीचे कुछ रखें इसके लिए सबसे बेहतर है कि तकिये का प्रयोग किया जाये. इस तरीके में वह अपने नितंब का एंगल बना सकती है. इसलिये जब आप प्रवेश करेंगे तो वह प्रवेश के कोण को नियंत्रित कर सकने में सक्षम होती है. ऐसे में वह सहवास के दौरान आघात पहुंचाने वाले क्षेत्र पर भी नियंत्रण पा सकती है. कुछ मामलों में महिलाएं सहवास के लिए खुद को उपर रखना पसंद करती है. क्योंकि इस स्थिति में वह प्रवेश को और बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकती हैं.

और बाद में
अब जब आप रतिक्रिया पूर्ण कर चुके हैं, अब आप पत्नी पर छोड़ दे कि शाम की शुरुआत का सबसे सुखद अंत क्या होगा. अब वह आपकी बांहों के घेरे में सोना चाहेगी या फिर वह आपसे कुछ चीजों के बारे में बात करना चाहेगी, जो आप दोनों के लिए प्यार भरी और संदेश देने वाली होगी. इस दौरान आप उसे बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं और आपको उसकी कितनी आवश्यकता है. इसके अलावा उससे चर्चा करें कि जब आप दोनों साथ में थे तो सबसे ज्यादा आनंददायी क्षण कौन से रहे. फिर आप दिनभर के साथ की चर्चा कर उसमें नई अनुभूति की जान छिड़क सकते हैं. इस सबके दौरान उसके जवाबों पर ध्यान देकर आप अपना नया अनुभव तैयार करें, ताकि अगली बार आप और बेहतर कर सकें..



रूषों को नापंसद है सात बातें यौन-बिस्तर में :- यौन संबंध बनाते वक्त यह बहुत जरूरी है कि इस बात का विरोष ध्यान रखा जाए कि आपके साथी की पंसद नापंसद क्या है। एक अध्ययन के अनुसार खासकर पुरूषों में यौन-संबधो को लेकर खास पसंद-नापसंद होती हैं। इसलिए महिलायों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आपके पुरूष साथी को क्या पसंद नही है। हॉंलाकि यह सब बाते सभी जो़डो पर एक समान रूप से लागू नही होती है क्योंकि हम सभी की सेक्स के लिए अलग-अलग आवश्यकताए होती हैं। आइए हम आपको बतातें है कि ऎसी कौनसी सात बाते है जो पुरूषों को अपने साथी के साथ यौन-संबंध बनाते वक्त बिलकुल नापंसद होती है

1. सबसे महत्वपूर्ण व बुरी बात जो पुरूषो को बिल्कुल नापसंद है, वह है कि कुछ महिलाए सेक्स के दौरान कुछ नही करती है, बस एक मृत शरीर की तरह लेट जाती है इस उम्मीद के साथ कि उनका साथी ही सब कुछ करेगा। महिलाओं को चाहिए कि अपने साथी को इस बात का एहसास दिलाए कि आप भी उस समय सेक्स का भरपूर मजा ले रही है। इसलिए महिलाओं को पुरूषों के शीर्ष से शुरूआत कर अंत तक अपनी सुहानी अदाओं से आर्कषित करना चाहिए


2. लगभग सभी महिलाएं इस बात से सहमत है कि उन्हें अपने शरीर पर चुंबन पसंद है ठीक वैसा ही पुरूषों के साथ है वह भी आपके द्वारा अपने शरीर पर किए गए चुंबन व आंलिगन से पागल हो जाते है इसलिए चुंबन व आंलिगनो के इस सिलसिले को लगातार बरकरार रखना चाहिए।
3. कुछ पुराने जमाने की महिलाओं को अब भी लगता है कि बिस्तर पर सेक्स की सारी जिम्मेदारी सिर्फ पुरूष की ही होती है, जो कि बिलकुल गलत है , आपको भी अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने साथी को यह एहसास दिलाना चाहिए कि आप सेक्स चाहती है साथ ही यह भी बतायें कि आपके साथी पुरूष को आपके साथ क्या करना चाहिए
4. जैसे हर महिला चाहती है कि पुरूष उसके साथ ब़डी नाजुकत के साथ पेश ऑंए, उसी प्रकार पुरूषों को भी अपने साथ नाजुकता पसंद है। पुरूषों का शरीर भी बहुत नाजुक होता है जो आपके सुहाने स्पर्श से यौन संबंध बनाने के लिए जल्द ही तैयार हो जाता है। इसलिए महिलाओं को सेक्स के दौरान अपने पुरूष साथी को बहुत नाजुकता के साथ भरपूर आनंद देने की कोशिश करनी चाहिए


5. अगर आप स्वंय सेक्स के सुख का अनुभव करना चाहती है तो अपने साथी को भी इसका सुखद अनुभव देना न भूलें। कई बार पुरूष इस विचार में उलझे रहते है कि हमबिस्तर होते वक्त उनकी महिला साथी को उनके द्वारा की गई क्रिया-प्रतिकियाओ की कोई भावना नही है। इसके लिए आपको चाहिए कि आप यौन संबंध बनाते वक्त ये जरूर बताए कि ""आप इसे कितना पसंद करती हैक् "" ""आपको ऎसा करने में कैसा महसूस हो रहा हैक्"" इत्यादि
6. अपने साथी को भ्रमित न करें, कई बार पुरूष ये समझ नही पाते कि उनके द्वारा यौन संबंध बनाते वक्त आपको दिए जाने वाला अनुभव आप पसंद भी कर रही है या नहीक् इसलिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में किसी भी प्रकार की शर्म महसूस न करे, कुछ खुशनुमा चीखें व आवाजें निकालते रहें क्योंकि यही वो सबसे अच्छा तरीका है अपने साथी को बताने का कि आप उसके द्वारा कि जाने वाली हरकतो से सुखद अनुभव कर ही हैं।


7. क्या आपको लगता है आपका यौन-जीवन थोडा उबाऊ हो रहा हैक् तो इसमें कुछ नयापन लाइए अपने साथी को आर्कषित करने के लिए कुछ उत्तेजनक वस्त्र धारण करने में शर्म महसूस मत करिए, उसके लिए कुछ मादक-मोहक अदाओं का प्रदर्शन किजिए और फिर देखिए कि कैसे आपका साथी आपको सेक्स-सुख व प्यार का मीठा अनुभव देता हैं। याद रखिए सेक्स भी आपसी प्यार को बनने मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार महिलाओ के अंतरवस्त्रो का रंग उनके रोमांटिक मूड तथा प्रेमी व्यक्तितत्व को दर्शाता है। एक मनोवैज्ञानिक डॉ डासन के अनुसार लाल, पीला तथा नारंगी रंग गर्म स्पेक्ट्रम को दर्शाता है जो कि ऊर्जा तथा उत्साह की भावनाएं पैदा करता है, यह हमारे दिल की ध़ाडकन और रक्तचाप को भी ब़डा सकते है।


लाल/पीला/ऑंरेज:- इन रंगो के अंतरवस्त्र आवेशपूर्ण ऊर्जावान तथा नाटकीय स्वभाव को दर्शाते है। यह रंग पसंद करने वाली महिलाएं बिदास होती है तथा उनका मुड भी नाटकीय रूप से बदलता है जो कि उनके आकर्षण का एक हिस्सा है।
गुलाबी रंग:- यह रंग पसंद करने वाली महिलाएं स्वभाव से रोमांटिक तथा विन्रम होती है, इन्हे अधिक से अधिक स्त्रेह पाने की
लालसा होती है। यह महिलाएं काफी कामुक होती है परंतु कभी आगे से पहल नही करती है।
काला रंग:- यह रंग एक व्यक्तिपरक और शक्तिशाली व्यक्तित्व को दर्शाता है। इस तरह की महिलाएं सूक्षम आकर्षण वाली परन्तु आवेशपूर्ण होती है।
सफेद रंग:- यह रंग पंसद करने वाली महिलाएं मासूम परंतु सुझाव देने के लिए तत्पर रहती है। यह एक अच्छी शिक्षार्थी भी होती है।
स्किन या भूरा रंग:- यह रंग स्वाभाविक वास्तविक तथा पारदर्शी व्यक्तितत्व को दर्शाता है। इसको पसंद करने वाली महिलाएं कुछ भी छुपाना पंसद नही करती है। एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि अब 72 प्रतिशत महिलाएं अंतरवस्त्रो की खरीदारी करते समय स्किन या भूरे रंगो वाले अंतरवस्त्रो का पंसद करने लगी है इसका अर्थ यह है कि आज की महिला रोमांस के मामले मे पीछे नही है और अपने आप को पूर्ण रूप से खुले रूप में प्रदर्शित करने मे नही कतराती है। बुनियादी रूप में महिलाओं में अंतरवस्त्रो के रंगो के पंसद को इतनी तेजी से बदलने के लिए कही ना कही मशहूर हस्तियॉं जिम्मेदार है।
हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री इवा मेंडीस ने हाल ही मे यह खुलासा किया है कि वह स्किन कलर या बिलकुल सादे अंतरवस्त्रो मे सबसे ज्यादा सेक्सी लगती है। तो जनाब, अगली बार जब आप अपनी किसी महिला साथी के लिए अंतरवस्त्रो की खरीदारी पर जाये तो उनके रंगो पर जरूर विचार किजिएगा।

हाँ, लड़की गर्भ धारण कर सकती है
48 66.67%

हां, माहवारी के दौरान सम्भोग करने से लड़की गर्भधारण कर सकती है
10 13.89%

माहवारी चक्र के 14 वें दिन (रक्तस्राव रूकने के 7 से 10वें दिन)।लड़की गर्भ धारण कर सकती है
24 33.33%

लिंग को पूरी तरह न डाले या वीर्य निष्कासन के समय बाहर निकाल लें, औरत तब भी गर्भधारण कर सकती है।
8 11.11%

नहीं , लड़की गर्भ धारण नहीं कर सकती है
4 5.56%

नहीं , माहवारी के दौरान सम्भोग करने से लड़की गर्भधारण नहीं कर सकती है
9 12.50%

लिंग को पूरी तरह न डाले या वीर्य निष्कासन के समय बाहर निकाल लें, औरत तब भी गर्भधारण नहीं कर सकती है।
7 9.72%

नहीं मालूम है
4 5.56%

महिला गर्भधारण करना चाहती है तो उसे सम्भोग के उपरान्त कम से कम बीस मिनट तक खड़ नहीं होना चाहिए।
15 20.83%

Monday 3 December 2012

नारी-नितम्बों तक आ पहुँची सौन्दर्य यात्रा ! 

आज जीवित प्राइमेट (नरवानर) समुदाय) प्रजाति के लगभग २०० सदस्यों में से केवल मानव प्रजाति को ही अभारयुक्त गोलाकार नितम्बो की सौगात मिली है। नितम्बों का विकास तभी से आरम्भ हुआ जब मानव दो पाया बना और सीधे खड़े होकर चलने लगा। नितम्बों के साथ सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे मानव शरीर के ``जोक रीजन´´ का प्रतिनिधित्व करते हैं। यानि हंसी ठट्ठे का केन्द्र हैं वे !

फिर भी नारी नितम्बों का सौन्दर्य पक्ष अनदेखा नहीं किया जा सकता। नितम्बों का आकार एक सशक्त कामोद्दीपक नारी अंग की भूमिका निभाता है और हमारे उस पशु अतीत की ध्यान दिलाता रहता है, जब कामोन्मत्त नर कपि रति क्रीड़ाओ हेतु मादा के पृष्ठ भाग पर आरोही हो रहे थे। पुरुष की तुलना में नारी के नितम्ब भारी और अधिक उभार वाले होते हैं। 

इतना ही नही नारी कूल्हों के ``मटकाने´´ के गुणधर्म के चलते नारी-नितम्बों का यौनाकर्षण बढ़ जाता है। इस तरह नारी नितम्ब की तीन प्रमुख विशेषताए¡-अधिक चर्बी , उभार और मटकाने (अनडुलेशन) की स्टाइल उसे पुरुष के लिए एक अत्यन्त प्रभावशाली यौनाकर्षण का केन्द्र बिन्दु बना देती हैं।

प्रख्यात व्यवहार शास्त्री डिज्माण्ड मोरिस तो यहाँ तक कहते हैं कि अतीत की नारी के नितम्ब यौनाकर्षण की अपनी भूमिका में इतने बड़े और भारी होते गये कि रति क्रीडा का मूल उद्देश्य ही बाधित होने लगा । लिहाजा मानव को सामने से यौन संसर्ग (फ्रान्टल कापुलेशन) का विकल्प चुनना पड़ा। 

कालान्तर में नारी स्तनों ने नितम्बो के `सेक्स सिग्नल´ की वैकल्पिक भूमिका अपना ली और तब कहीं जाकर नारी नितम्बो के बढ़ते आकार पर अंकुश लग सका।

 किन्तु आज भी एक जैवीय स्मृति शेष के रूप में विश्व की कई आदिवासी संस्कृतियों में नारी नितम्बों को बहुत उभार कर दिखाने की प्रथा है। अफ्रीका की ``वुशमेन´´ आदिवासी´´ औरतें अपने नितम्बों को एक विशेष पहनावे के जरिये बहुत उभार कर ``डिस्प्ले´´ करती हैं। 

 

नारी वक्ष का यौनाकर्षण

नारी वक्ष का  यौनाकर्षण 
नारी वक्ष की दो रोल हैं- एक तो शिशु का पोषण (दुग्धपान) तथा यौनाकर्षण। किन्तु व्यवहारविदों की राय में नारी स्तनों की यौनाकर्षण वाली भूमिका ही ज्यादा अहम है। समूचे नर वानर समुदाय (प्राइमेट्स) में मानव मादा ही इतने उभरे अर्द्धगोलाकार मांसल स्तनों की स्वामिनी है। इससे यह स्पष्ट है कि मानव प्रजाति में मादा के स्तनों की मात्र शिशु पोषण वाली भूमिका ही नहीं है, जैसा कि वह नर-वानर वर्ग के कितने ही अन्य सदस्यों-चिम्पान्जी गोरिल्ला, ओरंगऊटान आदि वनमानुषों में हैं।

यह गौर तलब है कि वनमानुषों की मादाओं का स्तर अपेक्षाकृत बहुत पिचका और बिना उभार लिए होता है। नारी स्तनों की सबसे अहम भूमिका दरअसल यौनाकर्षण (सेक्सुअल सिगनलिंग) ही है। व्यवहार विज्ञानियों ने नारी वक्ष की यौनाकर्षण वाली भूमिका की एक रोचक व्याख्या प्रस्तुत की है। उनका कहना है कि नर वानर कुल के तमाम दूसरे सदस्यों में मादाओं के नितम्ब प्रणय काल के दौरान तीव्र यौनाकर्षण की भूमिका निभाते हैं - उनके रंग आकार में सहसा ही तीव्र परिवर्तन हो उठता है। उनके नर साथी इन नितम्बों के प्रति सहज ही आकर्षित हो उठते हैं। यह तो रही चौपायों की बात किन्तु मानव तो चौपाया रहा नहीं।
 विकास क्रम में कोई करोड़ वर्ष पहले ही वह दोपाया बन बैठा-दो पैरों पर वह सीधा खड़ा होकर तनकर चलने लगा। वैसे तो और उसके पृष्ठभाग में नितम्ब अपने कुल के अन्य सदस्यों की ही भा¡ति अपनी यौनकर्षण वाली भूमिका का परित्याग नहीं कर पाये हैं- 

मानव के ज्यादातर कार्य व्यापार आमने सामने से ही होने लगे, और नितम्ब पीछे की ओर चले गये। अब जरूरत आगे, सामने की ओर ही वैकल्पिक यौनाकर्षक `नितम्बों´ की थी और यह भूमिका ग्रहण की नारी स्तनों ने। 

नारी के वक्ष दरअसल उसी आदि यौन संकेत का ही बखूबी सम्प्रेषण करते हैं - सेक्सुअल नितम्बों का भ्रम बनाये रखते हैं, मगर सामने से मानव मादा के स्तनों की यह नयी यौन भूमिका कुछ ऐसी परवान चढ़ी कि उसके मूल जैवीय कार्य यानी शिशु को स्तनपान कराने में मुश्किलें आने लगीं।


अपने उभरे हुए गुम्बदकार स्वरूप में नारी के स्तन शिशुओं का मुंह ढ़क लेते हैं, स्तनाग्र अपेक्षाकृत इतने छोटे होते हैं कि शिशु उन्हें ठीक से पकड़ नहीं पाता। उसकी नाक स्तन से ढक जाती है और वह सांस भी ठीक से नहीं ले पाता। प्राइमेट कुल के अन्य सदस्यों के शिशुओं को यह सब जहमत नहीं झेलनी पड़ती। क्योंकि उनकी मा¡ओ के स्तन छोटे पतले और पिचके से होते हैं और चूचक लम्बे, जिन्हें शिशु आराम से मु¡ह में लेकर दुग्ध पान करते हैं। 
 नारी के पूरे जीवन में स्तनों की विकास यात्रा सात चरणों में पूरी होती है। जिनमें बाल्यावस्था के `चूचुक स्तन´, सुकुमारी षोडशी के उन्नत शंकुरूपी स्तन, नवयौवना के स्थिर उभरे स्तन तथा मातृत्व और प्रौढ़ा के पूर्ण विकसित, अर्द्धगोलाकार - गुम्बद रूपी स्तन और वृद्धावस्था के सिकुड़े स्तन की अवस्थाए¡ प्रमुख हैं।
मानव की `आदर्श भौतिक उम्र´ 25 वर्ष की मानी गयी है। इस अवस्था तक पहुंचते -पहुंचते समस्त शरीरिक विकास पूर्णता तक पहुँच चुका होता है। अत: इस उम्र तक नारी स्तन का विकास अपने उत्कर्ष पर जा पहुंचता है और भरपूर यौनाकर्षण की क्षमता मिल जाती है। ठीक इसके पश्चात् ही मातृत्व का बोझ नारी स्तन की ढ़लान यात्रा को आरम्भ करा देता है और वे अधोवक्षगामी होने लगती है।


जैवविदों के अध्ययन के मुताबिक पतली तन्वंगी नायिका के स्तन विकास की यात्रा धीमी होती है। जबकि हृष्ट-पुष्ट (बक्जम ब्यूटी) नायिका के स्तनों का विकास तीव्र गति से होता है। अब तो सौन्दर्य शल्य चिकित्सा (कास्मेटिक सर्जरी) के जरिये प्रौढ़ा के भी स्तनों में नवयौवना के स्तनों सा उभार ला पाना सम्भव हो गया है। विभिन्न तरह के वस्त्राभूषणों पहनावों के जरिये किसी भी उम्र की नारी अपने उसी ``नवयौवना´´ काल के स्तनों की ही प्रतीति कराती है। 




परम्परावादियों की कोप दृष्टि हमेशा नारी स्तनों पर रही है। विश्व की कई संस्कृतियों में सामाजिक नियमों के जरिये नारी स्तनों को ढ़कने छिपाने के कड़े प्रतिबन्ध जारी किये जाते रहे हैं। ऐसी कंचुकियों/चोलियों के पहनाने पर विशेष बल दिया गया जिनसे नारी स्तनों का उभार प्रदर्शित न होता हो .सत्रहवी शताब्दी की स्पेनी नवयौवनाओं के स्तनों को सीसे की प्लेटों से दबाकर रखने का क्रूरता भरा रिवाज था, जिससे वे अपना कुदरती स्वरूप न पा सकें यानी बहुत पहले ही नारी स्तनों की यौन भूमिका जग जाहिर हो चुकी थी।
 नारी स्तन की कुदरती अर्द्धगोलाकार स्वरूप की नकल कितने ही चित्रकार, छायाकार अपनी ``रचनाओ´´ में करके उनको सौन्दर्यबोध की नित नूतन परिभाषाए¡ प्रदान करते हैं। न्यूड मैगजीन के मध्यवर्ती पृष्ठों पर नारी स्तनों की कामोद्दीपकता वाली छवि के पाश्र्व में एक छायाकार को बड़ी मेहनत मुशककत करनी पड़ती है। उसे अपने सही मॉडल के तलाश में कम पापड़ नहीं बेलने पड़ते .
 नारी स्तनों को उनके सर्वोत्कृष्ट कामोद्दीपक स्वरूप में दर्शाने के लिए एक छायाकार को एक उस षोडशी की खोज होती है, जिसके स्तन पूरी तरह विकसित हो चुके हों-अपने अर्द्धगोलाकार रूप की चरमावस्था में पहु¡च चुके हों किन्तु अभी भी उनकी `स्थिरता´ बनी हुई हो- यह विरला संयोग सहज सुलभ नहीं होता। 
 हम यही जानते हैं कि मानव मादा के बस दो ही स्तन होते हैं, पर यह सच नहीं है, हकीकत यह है कि प्रत्येक दो तीन हज़ार महिलाओं में से एक को दो से अधिक स्तन होते हैं। इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है- ऐसी घटना हमें अपने उस जैवीय अतीत की याद दिलाती है, जब हमारे आदि पशु पूर्वजों की मादायें एक वार में एक से अधिक बच्चे जनती थीं-एक साथ कई बच्चों का गुजर बसर बस जोड़ी भर स्तनों से कहा¡ होने वाला था। 

किन्तु कालान्तर में मानव मादा के आम तौर पर एक शिशु के प्रसव या अपवाद स्वरूप जुड़वे शिशुओं के जन्म के साथ ही स्तनों की संख्या दो पर ही आकर स्थिर हुई होगी। किन्तु अभी भी कुछ नारिया¡ दो से अधिक स्तनों की स्वामिनी होकर हमें अपने जैवीय इतिहास पुराण की याद दिला देते हैं।



रोमन सम्राट एलेक्जेण्डर की मा¡ को कई स्तन थे, जिसके चलते उनका नाम जूलिया मेमिया पड़ गया था। हेनरी अष्टम की अभागी पत्नी एन्नजोलिन के तीन स्तन थे। इस ``अपशकुन´´ के चलते बेचारी को अपनी जान गवानी पड़ी थी अतिरिक्त स्तनों वाली नारी को आज भी कई यूरोपीय देशों में अभिशप्त माना जाता है एवं उन्हें चुड़ैलों का सा दरजा प्राप्त है।