Saturday 13 October 2012

बैडरूम में पर्पल कलर, सेक्स लाइफ में भर देगा जोश

बैडरूम में पर्पल कलर, सेक्स लाइफ में भर देगा जोश

एक सर्वे के मुताबिक अगर बैडरूम की दीवारें पर्पल कलर से रंगी होगी तो वह आपकी सेक्स लाइफ में और ज्यादा मजा भर देगा। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक बैडरूम में बैगनी रंग इस्तेमाल करने वाले सामान्यत: सप्ताह में तीन बार सेक्स करते हैं, जो कि लाल रंग इस्तेमाल करने वालों से ज्यादा हैं। एक सर्वे के मुताबिक अगर बैडरूम की दीवारें पर्पल कलर से रंगी होगी तो वह आपकी सेक्स लाइफ में और ज्यादा मजा भर देगा। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक बैडरूम में बैगनी रंग इस्तेमाल करने वाले सामान्यत: सप्ताह में तीन बार सेक्स करते हैं, जो कि लाल रंग इस्तेमाल करने वालों से ज्यादा हैं।सेक्स में आनंद बढ़ाने में रेशमी चादरों का 4.25, कॉटन, 2.72, नॉयलोन 2.35 और पॉलिएस्टर 2.33 का रेसो है। सर्वे के मुताबिक बैंगनी दीवारों के साथ-साथ बैंगनी रेशमी चादर और बैंगनी कवर भी तो यह सेक्स का मजा कई गुना बढ़ा देता है।सेक्स में आनंद बढ़ाने में रेशमी चादरों का 4.25, कॉटन, 2.72, नॉयलोन 2.35 और पॉलिएस्टर 2.33 का रेसो है। सर्वे के मुताबिक बैंगनी दीवारों के साथ-साथ बैंगनी रेशमी चादर और बैंगनी कवर भी तो यह सेक्स का मजा कई गुना बढ़ा देता है।

 

सेक्स और प्रेम का संबंध!

सेक्स और प्रेम का संबंध!
क्या प्रेम का परिणाम संभोग है या कि प्रेम भी गहरे में कहीं कामेच्छा ही तो नहीं? फ्रायड की मानें तो प्रेम भी सेक्स का ही एक रूप है। फिर सच्चे प्रेम की बात करने वाले नाराज हो जाएँगे। वे कहते हैं कि प्रेम तो दो आत्माओं का मिलन है। तब फिर 'मिलन' का अर्थ क्या? शरीर का शरीर से मिलन या आत्मा का आत्मा से मिलन में क्या फर्क है? प्रेमशास्त्री कहते हैं कि देह की सुंदरता के जाल में फँसने वाले कभी सच्चा प्रेम नहीं कर सकते। 
 कामशास्त्र मानता है कि शरीर और मन दो अलग-अलग सत्ता नहीं हैं बल्कि एक ही सत्ता के दो रूप हैं। तब क्या संभोग और प्रेम भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? धर्मशास्त्र और मनोविज्ञान कहता है कि काम एक ऊर्जा है। इस ऊर्जा का प्रारंभिक रूप गहरे में कामेच्छा ही रहता है। इस ऊर्जा को आप जैसा रुख देना चाहें दे सकते हैं। यह आपके ज्ञान पर निर्भर करता है। परिपक्व लोग इस ऊर्जा को प्रेम या सृजन में बदल देते हैं।
 

शरीर भी कुछ कहता है :
किशोर अवस्था में प्रवेश करते ही लड़के और लड़कियों में एक-दूसरे के प्रति जो आकर्षण उपजता है उसका कारण उनका विपरीत लिंगी होना तो है ही, दूसरा यह कि इस काल में उनके सेक्स हार्मोंस जवानी के जोश की ओर दौड़ने लगते हैं। तभी तो उन्हें राजकुमार और राजकुमारियों की कहानियाँ अच्छी लगती हैं। फिल्मों के हीरो या हीरोइन उनके आदर्श बन जाते हैं।

 आकर्षित करने के लिए जहाँ लड़कियाँ वेशभूषा, रूप-श्रृंगार, लचीली कमर एवं नितम्ब प्रदेशों को उभारने में लगी रहती हैं, वहीं लड़के अपने गठे हुए शरीर, चौड़े कंधे और रॉक स्टाइलिश वेशभूषा के अलावा बहादुरी प्रदर्शन के लिए सदा तत्पर रहते हैं। आखिर वह ऐसा क्यूँ करते हैं? क्या यह यौन इच्छा का संचार नहीं है?

आनंद की तलाश : 

 दर्शन कहता है कि कोई आत्मा इस संसार में इसलिए आई है कि उसे स्वयं को दिखाना है और कुछ देखना है। पाँचों इंद्रियाँ इसलिए हैं कि इससे आनंद की अनुभूति की जाए। प्रत्येक आत्मा को आनंद की तलाश है। आनंद चाहे प्रेम में मिले या संभोग में। आनंद के लिए ही सभी जी रहे हैं। सभी लोग सुख से बढ़कर कुछ ऐसा सुख चाहते हैं जो शाश्वत हो। क्षणिक आनंद में रमने वाले लोग भी अनजाने में शाश्वत की तलाश में ही तो जुटे हुए हैं।

ध्यान का जादू :
यदि आपकी ओर कोई ध्यान नहीं देगा तो आप मुरझाने लगेंगे। बच्चा ध्यान चाहता है तभी तो वह हर तरह की उधम करता है, ताकि कोई उसे देख ले और कहे कि हाँ तुम भी हो धरती पर। युवक-युवतियाँ सज-धज इसीलिए तो करते हैं कि कोई हमारी ओर आकर्षित हों।

 प्रेमी-प्रेमिका जब तक एक दूसरे पर ध्यान देते हैं तभी तक प्रेम कायम रहता है। लेकिन क्या ध्यान देना ही प्रेम है? यदि ध्यान हटाने से प्रेम भी हट जाता है तो फिर प्रेम कैसा। प्रेमशास्त्री तो निस्वार्थ प्रेम की बात करते हैं। फिर भी ध्यान का जादू निराला है। ध्‍यान प्रेम संबंध को पोषित करता है। प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे पर जितना ध्यान रखेंगे उतना वे खिलने लगेंगे।
 

 

ध्यान देने से ज्यादा व्यक्ति ध्यान पाने कि मनोवृत्ति से ग्रस्त रहता है। ध्यान देने और पाने की मनोवृत्ति को जो छोड़ देता है उसे ही ध्यानी कहते हैं। ध्यानी व्यक्ति स्वयं की मनोवृत्तियों पर ही ध्यान देता है।

आखिर प्रेम क्या है?
यही तो माथापच्ची का सवाल है। क्या यह मान लें कि प्रेम का मूल संभोग है या कि नहीं। सभी की इच्छा होती है कि कोई हमें प्रेम करे। यह कम ही इच्छा होती है कि हम किसी से प्रेम करें। वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रेम आपके दिमाग की उपज है। अर्थात प्रेम या संभोग की भावनाएँ दिमाग में ही तो उपजती है। दिमाग को जैसा ढाला जाएगा वह वैसा ढल जाएगा।

 

आत्मीयता ही प्रेम है :
विद्वान लोग कहते हैं कि दो मित्रों का एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता हो जाना ही प्रेम है। एक-दूसरे को उसी रूप और स्वभाव में स्वीकारना जिस रूप में वह हैं। दोनों यदि एक-दूसरे के प्रति सजग हैं और अपने साथी का ध्यान रखते हैं तो धीरे-धीरे प्रेम विकसित होने लगेगा।

अंतत: देह और दिमाग की सारी बाधाओं को पार कर जो व्यक्ति प्रेम में स्थित हो जाता है सच मानो वही सचमुच का प्रेम करता है। उसका प्रेम आपसे कुछ ले नहीं सकता आपको सब कुछ दे सकता है। तब ऐसे में प्रेम का परिणाम संभोग को नहीं करुणा को माना जाना चाहिए।

देर का विवाह कितना सही

देर का विवाह कितना सही 

बढ़ती उम्र में विवाह आकर्षण नहीं बल्कि एकदूसरे की जरूरत बन जाता है। पतिपत्नी के इस रिश्ते में प्यार, मनुहार, शारीरिक सौंदर्य का अभाव होता है और आपसी रिश्ते मात्र औपचारिकता बन जाते हैं। हमारे समाज और कानून ने भले ही शादी के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित की है लेकिन निम्नतम आयु के पश्चात उचित उम्र का निर्धारण करने जैसा महत्तवपूर्ण निर्णय हमारी स्वय की जिम्मेदारी है। जैसे कम उम्र में विवाह के अनेक दुष्परिणाम सामने आते हैं वैसे ही देर के विवाह से भी अनेक नुकसान हो सकते हैं। परिणय बंधन में बंधने जैसा महत्तवपूर्ण कार्य सही समय पर किया जाए तो निश्चित ही जीवन के हर पहलू को शांतिपूर्ण व सुखी रूप से गुजारा जा सकता है।
 शारीरिक आवश्यकता: 40 वर्ष के बाद महिलाओं में रजोवृति का समय करीब होता है। जीवन को व्यर्थ जाता देख कर, अपने शरीर पर काबू न रहने पर महिलाएं चि़डचि़डी हो जाती हैं। एक ठोस मजबूत सहारे की चाह के साथ शारीरिक चाहत भी उन्हें विवाह के लिए प्रेरित करती है। स्त्री जिस शारीरिक संतुष्टि की चाहत को युवावस्था में दबा लेती है वह उम्र बढने के साथ तीव्रतर हो जाती है और स्त्री ग्रंथि के उभरने से सेक्स की इच्छा जाग्रत होती है।
ऎसा ही कुछ पुरूषों के साथ भी होता है। अधे़डावस्था में पुरूष पुन: किशोर हो उठते हैं और वे विवाह जैसी संस्था का सहारा ढूंढ़ते हैं। लेकिन देर से किया गया विवाह न तो उन्हे शारीरिक संतुष्टि दे पाता है, साथ ही समय पर विवाह न होने से यौन संबंधी रोगों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। 

बढ़ती परेशानियां: अधिक उम्र में विवाह होने पर पतिपत्नी दोनों ही परिपक्व हो चुके होते है। दोनों को एकदूसरे के साथ विचारों में तालमेल बिठाने में कठिनाई होती है। 30 पार की महिलाओं में प्रजनन क्षमता घटने लगती है, अत: देर से विवाह होने पर स्त्री के लिए मां बनना कठिन व कष्टदायी होता है। साथ ही एक पूर्ण स्वस्थ शिशु की जन्म की संभावनाओं में कमी आने लगती है। ढ़लती उम्र में जिंदगी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबने लगती है और विवाह आनंद का विषय होने के बजाय साथी को ढ़ोना हो जाता है। 

 यदि अधे़डावस्था में विवाहित पतिपत्नी के पूर्व साथी से बच्चों हैं तो उन दो परिवारों के बच्चों में आपसी मनमुटाव हो जाता है। अधिक उम्र में विवाह होने पर विवाहित दंपत्तियों में असुरक्षा की भावना आ जाती है। दोनों को एकदूसरे पर भरोसा नहीं होता। असुरक्षा की यह भावना पतिपत्नी में विश्वास के बजाय शक और दूरी पैदा कर देती है।


देर से विवाह करने वाले स्त्रीपुरूषों के प्रति समाज का रवैया भी कुछ संदेहास्पद और मजाक का विषय बन जाता है। समाज में विवाह को युवावस्था की जरूरत माना जाता है न की अधे़डावस्था को।
देर का विवाह मतलब समझौता:
जो स्त्रीपुरूष अपनी युवावस्था रिश्तों को नापसंद करने में गुजार देंते है उन्हे बाद में अपनी सभी चाहतों से समझौता करना प़डता है। ढ़लती उम्र में जैसा साथी मिलें उसी में संतोष करना प़डता है। अपनी चाहत या पसंद उम्र के इस प़डाव पर आ कर कोई मायने नहीं रखती। अधे़डावस्था में विवाह एक जरूरत बन जाती है, जिस के लिए पतिपत्नी को हर कदम पर समझौता करना प़डता है। इस विवाह का उद्देश्य मात्र एक सहारा होता है, जो वास्तव में इस उम्र में शारीरिक अक्षमताओं की वजह से सहारा बनने के बजाय बोझ ही बनता है। 

ढ़लती उम्र का अहसास: युवावस्था में पतिपत्नी की अठखेलियां, उन का रूठना, मनाना और प्रेमालाप इन प्रौढ़ावस्था के विवाहितों में दूर-दूर तक नजर नहीं आता। युवक की खत्म होती शारीरिक क्षमताएं, पस्त होता रोमाचं और उत्साह, साथ ही नारी के नारीसुलभ आकर्षण का अभाव उन में एक दूसरे से प्यार, लगाव व रूचि को खत्म कर देता है। अधे़डावस्था में युवाओं जैसा उत्साह, रोमाचं व शारीरिक क्षमता नहीं रहती तब उन का एकमात्र ध्येय अपने अकेलेपन को दूर करना होता है, जिससे जीवन में नीरसता आ जाती है और दंपत्ति को अपनी ढ़लती उम्र का अहसास सताने लगता है।

अधे़डावस्था के विवाह में उत्साह व जोश की कमी के कारण जीवन में आनंद नहीं रहता और वह रिश्ता एक जरूरत और औपचारिकता बन कर रह जाता है। अधे़डावस्था में विवाह होने पर दंपत्ति के पास भविष्य के लिए योजनाएं बनाने का न तो समय होता है और ना ही उनमें उनको पूरा करने का शारीरिक सामर्थय होता है।ढ़लती उम्र का अहसास उनके जीवन मे गंभीरता व नीरसता भर देता है और परिवार में हंसीमजाक, ल़डना-झग़डना व रूठना-मनाना जैसे उत्सवों का कोई नाम नहीं होता। 

Friday 12 October 2012

30 के पड़ाव की महिलाएं होती हैं ज्यादा कामुक


30 के पड़ाव की महिलाएं होती हैं ज्यादा कामुक

 एक सर्वे के मुताबिक, 30 के पड़ाव में चल रही महिलाओं में इसी एज ग्रुप के पुरुषों से ज्यादा सेक्स की इच्छा होती है। इस आंकड़े को सही ढंग से समझने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से पूछा कि पुरुषों और महिलाओं में उनके ट्वेंटीज़ से फिफ्टीज़ के बीच कब और क्यों सेक्स की इच्छा कम-ज्यादा होती है? जानें एक्सपर्ट्स के जवाब...

20' s में 

महिलाएं: इस एज ग्रुप में ज्यादातर महिलाओं को रेग्युलर पीरियड्स होते हैं और उसी के चलते उनमें सेक्स की इच्छा बदलती रहती है। वहीं कई महिलाएं इस वक्त अपनी बॉडी की इमेज की समस्या से जूझ रही होती हैं, तो कई काम में अपने को खड़ा करने और अपने लिए मिस्टर राइट की तलाश करने में बिजी होती हैं।


पुरुष: सेक्स के लिए जोश और उसमें कुछ नया करने की इच्छा इस एज ग्रुप के पुरुषों में सबसे ज्यादा होती है।

 अच्छी सेहत, जवान और एक नया रिलेशनशिप या शादी मिलकर सेक्स को और भी एक्साइटिंग बना देते हैं।

30's में

महिलाएं: इस उम्र में महिलाएं ऑर्गेज्म हासिल करने और एक शादीशुदा या टिकाऊ रिलेशनशिप के लिए अच्छे से तैयार रहती हैं। हालांकि, इस उम्र के पड़ाव में बच्चे की परवरिश की चिंता, फैमिली और करियर सेक्स की इच्छा को कम कर देते हैं।

 पुरुष: इस उम्र में पुरुषों पर शादी, बच्चे और करियर ग्रोथ हावी रहती है, जिसके चलते वे थका हुआ महसूस करते हैं और स्मोक, ड्रिंक करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में पुरुषों में सेक्स की इच्छा धीरे-धीरे कम होने लगती है।

40's में

महिलाएं: इस पड़ाव में हॉरमोन लेवल कम होना शुरू हो जाता है, लेकिन यह समय सेक्स की इच्छा को दोबारा जगाने का भी हो सकता है। कई महिलाएं इस समय खुद को बच्चों की जिम्मेदारी और पैसों की परेशानी से उबरा हुआ महसूस करती हैं, जिनकी वजह से उनमें सेक्स की इच्छा उनके थर्टीज़ में कम हो गई थी।


पुरुष: इस समय ज्यादातर पुरुष अपने करियर में अच्छे से सेटल हो चुके होते हैं और चीजों को अपने अनुरूप महसूस करते हैं। वे अब टाइम और एनर्जी दोनों ही भरपूर तरह से महसूस करते हैं।

50'S में

महिलाएं: इस पड़ाव में अक्सर महिलाएं मीनोपॉज़ का सामना करती हैं, लेकिन इससे वे खुद को पीरियड्स और कॉन्ट्रसेप्टिव की झंझट से फ्री महसूस करती हैं। उन्हें लगने लगता है कि यह पड़ाव उनके लिए एक बार फिर से सेक्स की वही इच्छा वापस लेकर आया है। हालांकि,हॉरमोनल चेंजेज इस इच्छा को थोड़ा फीका कर सकते हैं।


पुरुष: इस समय पुरुषों में ब्लड प्रेशर, डायबीटीज जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं और इनकी वजह से कई बार कुछ दवाओं उनमें इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कर देती हैं।



हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेक्स एक्सपायरी डेट के साथ नहीं आता। 

Wednesday 10 October 2012

सेक्‍स के दौरान कैसे करें मुख मैथुन?

सेक्‍स के दौरान कैसे करें मुख मैथुन?

वात्‍यायन के कामसूत्र के मुताबिक सहवास करते समय ऐसी कई कलाओं का प्रयोग किया जाता है, जिससे पार्टनर को ज्‍यादा से ज्‍यादा यौन सुख की अनुभूती हो। उन्‍हीं कलाओं में से एक कला है मुख मैथून, हालाकि भारत में इसे पूरी तरह से सही करार नहीं दिया गया है, मगर लोगों का मानना है कि यह सेक्स क्रिया के दौरान सबसे ज्‍यादा सुख प्रदान करने वाली कला है। मुखमैथून के दौरान ज्‍यादातर पुरूष चाहते है उन्‍हें अपने पार्टनर का हर अंग दिखाई देता रहे और घुटने के बल बैठी महिला पार्टनर की दमदार किक का पूरा मजा उसे मिल सके। हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिससे सेक्‍स के दौरान मुखमैथुन को और बेहतर बनाया जा सकता है।

 

इसके लिए सबसे पहले आप अपनी पाटर्नर को पीठ के बल लेट जाने के लिए कहें, हां एक बात का ध्‍यान रखें आपकी पार्टनर को इस तरह लिटाएं जिससे आप अपने मुख द्वारा अधिकतम गहराई का आनंद दे सकें। इस तरीके से जहां आपकी महिला पार्टनर को गहराई से सुख की अनुभूती होगी वहीं आपके पास उसका पूरा कंट्रोल भी रहेगा। मुखमैथुन के दौरान पाटर्नर को सेक्सी रोमांच प्रदान करने के लिये उसकी आंखों से आंखे मिलाएं रखे।
मुखमैथून करते समय आप चाहें तो अपने हाथों का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसके लिए अपनी हथेलियो को लिंग के चारों ओर रखें और अपने होठों को उस पर धीमे-धीमे घुमांए इससे आपके पुरूष पार्टनर को सुख की अनुभूती होगी। मुख मैथून करते समय कुछ पुरूषों को अपना हाथ सिर के पीछे रखते है इससे वे कठोर मैथून करना चाहते है, अगर आपको इस से कोई भी तकलीफ हो तो बेहिचक अपने पुरूष पार्टनर को बता दें।
मुखमैथून के दौरान अपनी महिला पार्टनर की सिसकियों को ध्‍यान से सुने और ध्‍यान दें उसे क्‍या ज्‍यादा पसंद आ रहा है। जब महिला मुख मैथुन कर रही हो तब हो सकता है उस महिला की उंगलियां पुरूष के अन्‍य अंगों को सहला रहीं हों। 

अगर आप चाहें तो उस दौरान महिला का हाथ अपनी पसंद की जगह पर रख सकते हैं। कुछ लोगों को मुख मैथून के दौरान लिंग मुख में ज्‍यादा अंदर तक ले जाना पसंद होता है। इसके लिए मुख के तालू को ऊपर उठा कर मुख मैथून करें इससे लिंग को ज्‍यादा अंदर जाने के स्‍पेस मिल जाता है। मुख मैथून के दौरान एक बात का विषेश ध्‍यान रखें कि कुछ का लिंग काफी बड़ा होता है, जिससे हो सकता है महिला पार्टनर को दिक्‍कत हो सकती है। इसलिए मुख मैथून के दौरान कोई जबरजस्‍ती न करें।

एक औरत को बगैर छुए कैसे करें उत्‍तेजित?

एक औरत को बगैर छुए कैसे करें उत्‍तेजित?

एक सुखद सेक्‍स लाइफ के लिए मर्द और औरत दोनों का एक समान भावना का होना बहुत ही आवश्‍यक होता है। लेकिन कभी-कभी सेक्‍स की पूरी जानकारी न होने के कारण दोनों से कुछ न कुछ चूक हो जाती है और दोनो ही एक बेहतर सेक्‍स लाइफ से वंचित रह जाते है। किसी भी मर्द के लिए एक औरत को उत्‍तेजना के चरमोत्‍कर्ष पर पहुंचाना बहुत ही आसान होता है बशर्ते मर्द को इसके सभी तरीकों के बारें में पूरी जानकारी है। 

सेक्‍स के दौरान दोनों का आपस में मिलन करना एक दूसरे के अंगो को छूना, चुम्‍बन आदी शामिल होता है। लेकिन क्‍या आप जानते है कि, एक औरत को बगैर छुए ही आप पूर्णरूपेण उत्‍तेजित कर सकते है। यह सुनकर आपको थोड़ी हैरानी जरूर हुई होगी। लेकिन यह सच है इस लेख में हम आपको बताऐंगे क‍ि किसी भी औरत को बगैर छुए कैसे उत्‍तेजित करें। इसके लिए बस आपको थोड़े से नये तरीकों को अपनाना होगा।
कैसे करे औरत को उत्‍तेजित? 

फूलों का प्रयोग: सुगंध का एक सेक्‍स लाईफ में बहुत ही महत्‍व होता है, और किसी फूल से बेहतर सुगंध का कोई दूसरा बेहतर विकल्‍प नहीं हो सकता है। इस दौरान आप अपने पार्टनर के शरीर को उसके पसंद के किसी फूल से आहिस्‍ते-आहिस्‍ते स्‍पर्श करें, ध्‍यान रखें इस दौरान आपका हाथ उनके शरीर को न छुए। फूल का मुलायम स्‍पर्श आपके पार्टनर को मादकता का अहसास करायेगा और उन्‍हे धीमें-धीमें उत्‍तेजित करेगा।

बगैर स्‍पर्श के करीब आयें: फूलों के प्रयोग के बाद धीमें से पार्टनर के करीब आयें लेकिन ध्‍यान रहें इस दौरान आपका शरीर उनसे स्‍पर्श न करें। उसके बाद उनके गले और बालों के महक को महसूस करें, अपने पार्टनर को अपनी तेज सांसो से ऐसा अहसास करायें कि आप उनके बहुत ही करीब हो और किसी भी वक्‍त उन्‍हें स्‍पर्श कर सकतें है लेकिन स्‍पर्श न करें। ऐसा करने के बाद धीमें-धीमें उनसे दूर जायें लेकिन एक अमिट अहसास छोड़ जायें कि आप अभी भी उनके करीब है। 


अंगूर और स्ट्रॉबेरी का प्रयोग: पार्टनर के इच्‍छा के अनुरूप उन्‍हे उत्‍तेजित करने में फल भी आपको पूरा सहयोग करेंगे। इसके लिए आप अंगूर या फिर स्ट्रॉबेरी को अपने होंठो से दबाकर उनके शरीर पर धीमें से स्‍पर्श करें। इस दौरान फल को पार्टनर के होठों के पास ले जाना न भूलें। लेकिन ध्‍यान रहें शरीर स्‍पर्श न होनें पाये। इसके अलावा आप चॉकलेट या क्रीम का भी प्रयोग कर सकतें है। 


पंखो से अहसास: पंख का प्रयोग भी किसी भी औरत को बहुत ही प्रिय होता है। इसके लिए आप बेहद ही मुलायम पंख का प्रयोग करें। पंख से धीमें-धीमें पार्टनर के शरीर को स्‍पर्श करें। इस दौरान पार्टनर के गले, चेहरे, होंठ, पैर, और पीठ पर आसानी से बहुत ही प्‍यार से पंख को घुमाऐं।
बात-चीत: ये सारे नुस्‍खें अपनाने के दौरान अपने पार्टनर के कानों के पास आकर धीमीं आवाज में प्‍यार का इजहार करें। याद रखें कि इस वक्‍त सिर्फ आप प्‍यार की बातें ही करें अपने दैनिक जीवन से जुड़ी बातें न करें। इस दौरान आपके प्‍यार के अहसास को पाकर आपकी पार्टनर पूरी तरह उत्‍तेजित हो जायेंगी।

कंडोम से परहेज करते हैं टीनेजर्स

कंडोम से परहेज करते हैं टीनेजर्स

टीनेजर्स के अंदर अपनी यौन इच्‍छाओं को पूरा करने की ललक हमेशा से ज्‍यादा रही है। जीवन का यह दौर ऐसा होता है, जिसमें बच्‍चे बिना सोचे समझे कई ऐसे काम कर जाते हैं, जिनके परिणाम काफी खतरनाक हो सकते हैं। इन्‍हीं में से एक है असुरक्षित यौन संबंध स्‍थापित करना। जी हां एक शोध में यह पाया गया है कि ज्‍यादातर टीनेजर्स सेक्‍स करते वक्‍त कंडोम का प्रयोग नहीं करते। 

वो सोचते हैं कंडोम से सेक्‍स का अनुभव फीका पड़ जाता है। जबकि ऐसा करने से वो अनचाहे गर्भधारण, एड्स और यौन संचारित रोगों को दावत देते हैं। अभी तक यौन संचारित रोगों का मुख्‍य कारण अज्ञानता ही बताया जाता था, लेकिन एक अध्‍ययन में यह पता चला है कि युवाओं में सेक्‍स के बेहतर अनुभव की ललक भी ऐसे रोगों को दावत दे रही है।
 ब्रेडली हैस्‍ब्रो चिल्‍ड्रेन रिसर्च सेंटर ने तीन अन्‍य संस्‍थानों के साथ मिलकर हाल ही में 15 से 21 वर्ष की आयु के बच्‍चों पर एक अध्‍ययन किया। इस अध्‍ययन में 1400 ऐसे बच्‍चे शामिल किए गए, जिन्‍होंने बीते तीन महीनों में असुरक्षित यौन संबंध स्‍थापित किए थे।

अध्‍ययन में पाया गया कि टीनेजर्स जो कंडोम का इस्‍तेमाल नहीं करते हैं, उनके मन में यह धारणा है कि कंडोम से यौन सुख फीका पड़ जाता है। कई ऐसे भी टीनेजर्स थे, जिनके पास कंडोम था, लेकिन उनके पार्टनर ने उसके इस्‍तेमाल से इंकार कर दिया।टीनेजर्स पर किए गए इस अध्‍ययन ने खतरे की घंटी जरूर बजा दी है। वो इसलिए क्‍योंकि दुनिया भर में फैल रहे यौन संचारित रोगों व एड्स के बढ़ने का खतरा और अधिक हो गया है। 
विशेषज्ञों का कहना है कि टीनेजर्स को ज्‍यादा से ज्‍यादा जागरूक करने की जरूरत है। हालांकि विशेषज्ञों ने इस बात से इंकार नहीं किया है कि गर्भनिरोधक गोलियों के बढ़ते चलन के कारण कंडोम का इस्‍तेमाल घटा है। आज टीनेजर्स का विश्‍वास गर्भनिरोधक गोलियो पर ज्‍यादा हो गया है, लेकिन वे ये नहीं जानते कि असुरक्षित यौन संबंध उनके जीवन को बर्बाद कर सकता है।

 

महिलाएं कैसे करती है हस्‍तमैथुन?

महिलाएं कैसे करती है हस्‍तमैथुन?

ऐसा अक्‍सर महिलाओं के बारें में सुना जाता है क‍ि वो अपनी काम इच्‍छाओं की पूर्ति के लिए हस्‍तमैथुन का सहारा लेती है। लेकिन ऐसा कभी भी कोई महिला कहने को तैयार भी नहीं होती है। लेकिन यह सच है कि महिलाएं हस्‍तमैथुन के लिए तरह-तरह के उपाय करती है। कुछ महिलाएं हस्‍तमैथुन के लिए अपनी उंगलियों का सहारा लेती है तो कुछ इसके लिए बाजारों में उपलब्‍घ वाइब्रेटर आदि का सहारा लेती है। 

 

आज हम आपकों यहा कुछ ऐसे उपायों के बारें में बतायेंगे जो सामान्‍यत: महिलाओं द्वारा हस्‍तमैथुन के लिए प्रयोग किया जाता है। वैसे तो हस्‍तमैथुन करके कामोत्‍तेजना के चरमोत्‍कर्ष तक पहुंचने के बहुत से तरीके है लेकिन यहां उनमें से कुछ 5 तरीकों में बताया जा रहा है जो ज्‍यादातर महिलाओं द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।
महिलाओं द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले हस्‍तमैथुन के 5 तरीके: 

सब्जियां: जी हां आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि, सब्जियों से किस प्रकार हस्‍तमैथुन किया जा सकता है। लेकिन यह सच है कि महिलाएं हस्‍तमैथुन के लिए सब्जियों का भी प्रयोग करती है। सब्जियों में विशेष प्रकार से वो ककड़ी, गाजर, हरी बैंगन या मूली का प्रयोग करती है। इन सब्जियों को प्रयोग में लाने का कारण इसका आकार होता है। क्‍योंकि महिलाऐं मानती है कि ये सब्जियां उन्‍हे एक पुरूष के लिंग का अनुभव कराती है। 

केला: ऐसा कई बार देखा गया है कि महिलाऐं जब केले का सेवन करती है तो उन्‍हे वो बहुत ही स्‍टाइल और पैशनेट तरीके से खाती है। कुछ ऐसे ही वो केले का प्रयोग हस्‍तमैथुन के लिए भी करती है। केले को भी महिलायें ह‍स्‍तमैथुन में प्रयोग करके काम वासना का पुरा आनंद लेती है। इसके लिए महिलायें कच्‍चे केले का प्रयोग करती है। 

मोमबत्ती: जी हां मोमबत्तियों के बारें में सुनकर भी आपको थोड़ा आश्‍चर्य हुआ होगा। लेकिन ये सच है कि कुछ महिलाओं को सख्‍त चीजों से हस्‍तमैथुन करने का शौक होता है। ऐसी महिलायें मोमबत्तियों का प्रयोग करती है, और मोमबत्तियों को अपने गुप्‍तांग में डालकर आनंद लेती है। कुछ महिलाऐं मोमबत्तियों पर उपर से कण्‍डोम लगा कर इसे प्रयोग में लाती है। क्‍योंकि हस्‍तमैथुन के दौरान यह एक बेहतर अहसास भी देता है और ही मोमबत्तियों का गुप्‍तांग में ही टूटने का खतरा भी नहीं होता है।
कुर्सी: महिलाओं को कब हस्‍तमैथुन करने का मन करता है इसका कोई समय नियत नहीं होता है, इस वजह से ऐसा भी देखने को मिलता है कि कुछ महिलायें काम-काज आदि करने के दौरान ही उत्‍तेजित हो जाती है, और इस समय वो आस-पास मौजुद कुर्सियों का प्रयोग भी हस्‍तमैथुन के लिए करती है। इस समय महिलायें कुर्सियों के हत्‍थे पर अपना गुप्‍तांग तेजी रगडती है जिसे उन्‍हे आनंद की अनुभुति होती है। 

शराब की बोतल: कुछ महिलाएं शराब की बोतल का भी प्रयोग हस्‍तमैथुन के लिए करती है। इसका मुख्‍य कारण यह होता है कि वाइन की बोतल का आगे का सिरा पतला होता है जो कि आसानी ने गुप्‍तांग में प्रवेश कर जाता है। ऐसी महिलायें जो शराब का सेवन करती है वो शराब के सेवन के बाद उत्‍तेजित होने पर शराब के बोतल का प्रयोग हस्‍तमैथुन के लिए करती है।

 

बैठकर संभोग करने में अलग अनुभव

बैठकर संभोग करने में अलग अनुभव

हर व्‍यक्ति चाहता है कि वो सेक्‍स के दौरान अपने पार्टनर को पूरी तरह संतुष्‍ट करे। यही नहीं खुद भी सेक्‍स की असीम अनुभूति में खो जाए। आप भी सोचते होंगे, रात को यादगार कैसे बनाया जाए। हो सकता है एक ही पोजीशन में सेक्‍स करते-करते भी आप ऊब गए हों। 

आइये हम आपको बताते हैं कि आप अपने साथी के साथ गुजारी गई रात को कैसे बेहतरीन बना सकते हैं। यहां हम आपको कुछ टिप्‍स बताएंगे, जो वात्‍सयायन के कामसूत्र में दी गई हैं। इसके लिए पोजीशन बदलने की जरूरत है। एक बार लेटकर नहीं बल्कि बैठकर सेक्‍स करके देखिए। आपको और आपके पार्टनर को बेहतरीन अनुभूति का अहसास होगा। बैठकर संभोग करने की कुछ क्रियाएं इस प्रकार हैं-

बंधा (बांधने की पोजीशन)

इस स्‍थति में पुरुष और स्‍त्री एक दूसरे की ओर मुख कर बैठ जाएं। पुरुष अपने हाथ स्‍त्री की कोमल गर्दन पर रखे। स्‍त्री अपनी हथेलियां पुरुष के सीने पर रख दे। दोनों एक दूसरे को चुंबन लेने के लिए होठों को संपर्क में लाएं। अब दोनों एक दूसरे की जांघों को आपस में जकड़ दें और संभोग करें। यह पोजीशन आपको यौन आनंद के नए स्‍तर पर ले जाती है। असल में इस पोजीशन में दोनों शरीर एक दूसरे में बंध से जाते हैं।
पद्मासन (लोटस पोजीशन)

जो लोग नियमित रूप से योग करते होंगे, वो इस पोजीशन को भलीभांति जानते होंगे। इसके लिए पुरुष को पद्मासन बनाकर बैठना होता है। यदि पैर मोड़ने में दिक्‍कत हो तो पैर सीधे भी रख सकते हैं। अब स्‍त्री अपने बाएं पैर का पंजा पुरुष की दायीं जांघ पर रखती है और दाया पंजा बायीं जांघ पर। स्‍त्री पार्टनर पुरुष को अपनी बाहों में भर ले। कमल की इस स्थिति में संभोग कर आप सेक्‍स की असीम अनुभूति प्राप्‍त कर सकते हैं।

कमल की स्थिति में संभोग को और ज्‍यादा रोमांटिक बनाया जा सकता है। उसके लिए पुरुष को अपने हाथों से अपने पैरों को पकड़ लेना होता है। स्‍त्री उसे अपने नरम पैर जब पुरुष की जांघों के संपर्क में आते हैं, तो उत्‍तेजना बढ़ जाती है। स्‍त्री यदि अपने पैर पुरुष के पीछे ले जाकर उसे जकड़ ले तो और अनुभूति दोगुनी हो जाती है।
परावृत्तिका (बदलाव स्थिति)
संभोग करते वक्‍त पोजीशन बदलने की य स्थिति प्रेमियों को रोमांचक अनुभव प्रदान करती है। स्‍त्री-पुरुष अपने होठ एक दूसरे में सी दें। दोनों एक दूसरे को बाहों में जकड़ लें। स्‍त्री पुरुष की जांघों पर बैठ जाए। दोनों प्रेमी अपने पैर खोल दें। अब स्‍त्री अपना एक पैर पुरुष की गर्दन पर रख दे और पुरुष संभोग की क्रिया बना ले। 

संभोग करते वक्‍त स्‍त्री धीरे-धीरे अपना पैर नीचे की ओर लाए। इस दौरान स्‍त्री अगर अपनी कोमल हाथों से स्‍पर्श करे और पुरुष उसके वक्ष पर मसाज करे तो मजा बढ़ जाता है।
इन तीनों क्रियाओं में एक बात ध्‍यान रहे कि जबतक संभोग के दौरान पुरुष और सत्री मानसिक रूप से एक दूसरे में खो जाने के प्रयास नहीं करते तबतक स्‍स्‍वस्‍थ्‍य संभेाग नहीं कर सकते। और न ही बेहतरीन यौन सुख प्राप्‍त कर सकते हैं।