Saturday 17 November 2012

सेक्‍स संतुष्टि के टिप्स

सेक्‍स संतुष्टि के टिप्स
हर कोई अपने ही अंदाज में सेक्‍स को एन्जॉय करना चाहता है। लेकिन सेक्स करने का मतलब सिर्फ एन्जॉय करना ही नहीं बल्कि चरम आनंद तक पहुंचना भी है। कोई सेक्स करने के लिए सेक्स करता है तो कोई प्यार के दौरान सेक्स करता है। आप चाहे जैसे भी सेक्स कर रहे हों लेकिन जरूरी है आपको सेक्स के दौरान भरपूर आनंद मिलें। सेक्स संतुष्टि कई बार मानसिक होती है तो कई बार शारीरिक। यदि आपका मानसिक और शारीरिक रूप से तालमेल बना हुआ है तो निश्चित रूप से आप सेक्स को एन्जॉय कर सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरीके हैं जिससे आप सेक्स का मजा ले सकते हैं और आपको पूर्ण संतुष्टि भी मिलेगी। आइए जानें सेक्स संतुष्टि के टिप्स के बारे में।
दोनों रखें एक-दूसरे का ख्याल- सेक्स संतुष्टि का अर्थ ये भी है कि दोनों पार्टनर दिमाग और शरीर से एक-दूसरे के साथ हैं और एक-दूसरे को ना सिर्फ आनंद दे रहे हैं बल्कि खुद भी सेक्स का आनंद ले रहे हैं। इसमें दोनों ही पार्टनर्स को एक-दूसरे का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है।
मानसिक रूप से तैयार होना है जरूरी- यदि आप वाकई सेक्स की संतुष्टि पाना चाहते हैं तो आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप सेक्‍स किसी दवाब में आकर ना करें बल्कि दोनों पार्टनर्स का मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है। इसके लिए चाहे तो आप पहले फोरप्ले की प्रक्रिया का आनंद ले सकते हैं।

  • ऑफ्टर प्ले भी करें- सेक्स संतुष्टि पाने के बाद यह ना हो कि दोनों में से कोई भी एक पार्टनर पीठ फेर कर सो गया या फिर कमरे से बाहर निकल गया बल्कि आप दोनों को चाहिए कि सेक्स के बाद ऑफ्टर प्ले भी करें। इसमें आप थोड़े समय तक एक-दूसरे की मालिश कर सकते हैं या फिर एक दूसरे का हाथ पकड़ कुछ बातें कर सकते हैं। अपनी भावनाओं और इच्छाओं को शेयर कर सकते हैं। आप दोनों ने सेक्स में एन्जॉय किया या नहीं, इस बार सेक्स करना पिछली बार से कितना अलग था, इत्यादि बातें करने से आप दोनों एक-दूसरे को बहुत करीब पाएंगे।

अंतरंगता के लिए सेक्स महत्वपूर्ण

नज़दीकी और अंतरंगता किसी भी रिश्ते की दो सबसे मजबूत कड़ी हैं. पुरुषों के लिए तो यह बेहतर सेक्स लाइफ का सबसे महत्वपूर्ण फंडा है. और हो भी क्यों नहीं क्योंकि अगर रिश्तों में नज़दीकी और अंतरंगता नहीं होगी तो वह रिश्ता ज़्यादा समय तक टिक नहीं सकता.



पुरुषों के सेक्स जीवन पर किए गए शोध से भी यह पता चलता है कि विश्वास के साथ-साथ नज़दीकी और अंतरंगता उनके यौन जीवन में खुशी लाती है. इस शोध के शोधकर्ताओं ने अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्राजील में जाकर करीबन 1,000 अधेड़ उम्र के पुरुषों और महिलाओं से उनकी सेक्स लाइफ पर विभिन्न प्रश्न पूछे.


इस शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने शोध में शामिल लोगों से पूछा कि:


• उनके जीवन में रिश्तों की क्या अहमियत है?
• यौन संतुष्टि उनके स्वास्थ्य में कितना सुधार लाता है?
• और कौन सी चीजें हैं जो उनके यौन जीवन में बदलाव लाती है? 

 शोध से पता चला कि अगर सेक्स के प्रति महिला और पुरुष की भागीदारी समान होती है तो उनके रिश्ते में विश्वास और सुख की बढ़ोत्तरी होती है.

शोध के आंकड़ों का आकलन करने से यह ज्ञात हुआ कि अमेरिका में 8.14 प्रतिशत पुरुष अंतरंगता के लिए सेक्स को महत्वपूर्ण मानते हैं जबकि केवल 7.5 महिलाएं इसे महत्वपूर्ण मानती हैं. इस शोध से एक बात यह पता चलती है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सेक्स को उतना महत्वपूर्ण नहीं मानती.

सेक्स संबंधी भ्रांतियां और यथार्थ

आधुनिकता की ओर अग्रसर हमारे भारतीय समाज में आज मनुष्य द्वारा की जाने वाली कुछ क्रियाएं ऐसी हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वर्जित कर्म की श्रेणी में रखा जाता है. इतना ही नहीं सार्वजनिक रूप से इनके बारे में बात करना तक निषेध माना गया है. “सेक्स” की शब्दावली समाज द्वारा निर्धारित वर्जित कर्मों की सूची में सबसे ऊपर है, जिसका सार्वजनिक उपयोग करना पूर्णत: अनैतिक और घृणित कृत्य माना गया है. हालांकि गांवों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में लोग थोड़ा-बहुत सेक्स के स्वरूप को लेकर जागरुक हुए हैं लेकिन उनके मस्तिष्क में भी सेक्स को लेकर कई भ्रांतियां मौजूद हैं. यद्यपि वह ऐसा नहीं सोचते और जो धारणा वह बना चुके हैं उसे ही सच मान लेते हैं. लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश लोग सेक्स की उपयुक्तता, स्वास्थ्य के साथ उसके संबंध और आवश्यकता को लेकर आज भी असमंजस की स्थिति में हैं.

 आमतौर पर सेक्स के बारे सब कुछ जानने वाले लोग भी सेक्स संबंधित विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने के बारे में नहीं सोचते. हार्मोन हार्मनी नामक किताब की लेखिका एलिसिआ स्टैंटन ने सेक्स को लेकर समाज में व्याप्त विभिन्न भ्रांतियों के समाधान हेतु निम्नलिखित बिंदु रेखांकित किए हैं, जो काफी हद तक सेक्स से जुड़ी गलत धारणाओं को समाप्त कर सकते हैं:

 आमतौर पर यह माना जाता है कि निर्धारित समय के बाद महिलाओं में शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि समाप्त हो जाती है. जबकि यह कथन कदापि उपयुक्त नहीं है. इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि महिलाओं का शारीरिक संबंधों के प्रति आकर्षण उम्र का मोहताज नहीं होता. कई महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद भी हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और संबंध स्थापित करने में सक्षम होती हैं. इसके अलावा गर्भावस्था का भी संभोग की प्रवृत्ति से कोई संबंध नहीं होता.



  • शारीरिक संबंध बनाने के लिए केवल टेस्टोस्टीरोन नामक हार्मोन की आवश्यकता होना एक गलत धारणा है. यद्यपि यह हार्मोन शारीरिक क्रियाओं के लिए जरूरी होता है लेकिन शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए एस्ट्रोजन की आवश्यकता महिला और पुरुष में सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा कोरटिसोल नामक हार्मोन की अधिक उपस्थिति आपके भीतर संभोग के प्रति अरुचि उत्पन्न कर सकती है. मुख्यत: यह माना जाता है कि अगर आप किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो आपके अंदर अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होने लगती है. जबकि वास्तविकता यह है कि प्रेम सिर्फ शारीरिक आकर्षण का ही मोहताज नहीं होता. अगर आप किसी से सच में प्यार करते हैं तो आप सबसे पहले उसे जानना-समझना चाहेंगे, उसकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखकर ही कोई कदम उठाएंगे. जिसके कारण आपके लिए सेक्स की महत्ता गौण हो जाएगी और आप अपने साथी को खुश रखने के नए-नए तरीके तलाश करने लगेंगे.
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ऐसा समझा जाता है कि अगर आप स्वस्थ हैं तो आपके अंदर शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि बहुत अधिक रहती है. जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है. शारीरिक संबंध बनाना तभी उपयुक्त होता है जब आप और आपका साथी सहज महसूस करें. दूसरों से तुलना करना आपके संबंध के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.
आमतौर पर यह माना जाता है महिलाओं की अपेक्षा पुरुष शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार रहते हैं. लेकिन यह सच नहीं है. जो पुरुष ज्यादा शराब पीते हैं या विभिन्न दवाइयों का सेवन करते या तनाव में रहते हैं, उनमें संभोग के प्रति रुचि समाप्त हो जाती है. ऐसा मानना कि हार्मोनल असंतुलन की वजह से ही सेक्स के प्रति रुझान समाप्त हो जाता है, उपयुक्त नहीं है. हार्मोन के अलावा भी कई ऐसे कारक हैं जो आपकी व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव डालते हैं. जैसे अधिक मदिरापान, अवसाद या तनाव की स्थिति, घातक बीमारियां जैसे कैंसर और डाइबिटीज आदि. इसके अलावा उच्च रक्तचाप और संबंधों में तनाव भी सेक्स के प्रति इच्छा को समाप्त कर देता है.

 

धोखा देने में महिलाएं भी नहीं हैं कुछ कम

आमतौर पर केवल पुरुषों के विषय में ही यह माना जाता है कि वह अपने प्रेम-संबंधों को लेकर संजीदा नहीं रहते. वह जरूरत पड़ने पर अपने साथी को धोखा देने से भी नहीं चूकते. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारी मानसिकता बिल्कुल बेबुनियाद है क्योंकि विश्वासघात और संबंधों से खेलना केवल पुरुषों का ही शौक नहीं है बल्कि महिलाएं भी इन तौर-तरीकों को अपनाने से नहीं हिचकतीं. प्रेमी को धोखा देने और उसके पीठ पीछे दूसरा प्रेम-संबंध बनाने में महिलाएं पुरुष के समान नहीं बल्कि उनसे कहीं ज्यादा आगे हैं.

 



डेली एक्सप्रेस में छपे एक शोध के नतीजों ने यह खुलासा किया है कि केवल पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं भी अपने रिश्ते की गंभीरता को समझने में चूक कर बैठती हैं. लव-ट्राएंगल जैसे संबंधों में महिलाओं की भागीदारी अधिक देखी जा सकती है. इस सर्वेक्षण में 2,000 लोगों को शामिल किया गया था जिनमें से लगभग एक चौथाई महिलाओं ने यह बात स्वीकार की है कि उन्होंने एक ही समय में एक से ज्यादा पुरुषों के साथ प्रेम-संबंध स्थापित किए हैं. जबकि केवल 15% पुरुषों ने ही यह माना है कि उन्होंने एक बार में दो से ज्यादा महिलाओं से प्रेम किया है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि लव-ट्राएंगल में महिलाओं की अधिक संलिप्तता का कारण यह है कि वह पुरुषों की अपेक्षा जल्द ही भावनात्मक तौर पर जुड़ जाती हैं जिसके कारण वह प्रेम और आकर्षण में भिन्नता नहीं कर पातीं. फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों के आगमन से भी लोगों की जीवनशैली बहुत हद तक प्रभावित हुई है. ऐसी साइटों पर पर अधिक समय बिताने के कारण महिलाएं विभिन्न स्वभाव और व्यक्तित्व वाले पुरुषों के संपर्क में आ जाती हैं. लगातार बात करने और एक-दूसरे के संपर्क में रहने के कारण वह उनके साथ जुड़ाव महसूस करने लगती हैं और अपनी भावनाओं पर काबू ना रख पाने के कारण वह जल्द ही लव ट्राएंगल के फेर में पड़ जाती हैं.
 इस शोध की सबसे हैरान करने वाली स्थापना यह है कि अधिकांश लोग यह मानते हैं कि एक समय में दो या दो से अधिक लोगों से प्यार करना और उनके साथ संबंध बनाना कोई गलत बात नहीं हैं. व्यक्ति चाहे तो वह दो लोगों से प्यार कर सकता है.महिलाओं के विषय में एक और बात सामने आई है कि वे अधिक आमदनी वाले पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं. धन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए महिलाएं आर्थिक रूप से सुदृढ़ पुरुष को मना नहीं कर पातीं.
 इस शोध की स्थापनाओं को नकारते हुए मनोचिकित्सक हमिंग्स का कहना है कि पुरुष अवसरवादी और धोखेबाज होने के साथ-साथ रिश्तों को लेकर लापरवाह और भटके हुए हो सकते हैं लेकिन महिलाएं कभी अपनी भावनाओं और संबंधों के महत्व को नकार नहीं सकतीं. रिश्तों के प्रति उनका दृष्टिकोण बहुत जटिल होता है.






यद्यपि यह रिपोर्ट एक विदेशी शोध के नतीजों के आधार पर प्रकाशित की गई है, लेकिन अगर भारत के संदर्भ में इस शोध को देखा जाए तो नतीजे जस का तस यहां भी लागू होते प्रतीत होते हैं. सदियों से पुरुषों के एकाधिकार का दंश झेलती आ रही महिलाएं, आज पुरुषों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का एक भी मौका नहीं गंवातीं. वह बड़ी कुशलता के साथ एक समय में दो या दो से अधिक पुरुषों की भावनाओं का मखौल बनाने से नहीं हिचकिचातीं. लेकिन हम मनोचिकित्सक के तथ्यों को भी अनदेखा नहीं कर सकते.


उपरोक्त चर्चा के आधार पर यह बात प्रमाणित हो जाती है कि व्यक्ति चाहे पुरुष हो या महिला सभी के स्वभाव भिन्न-भिन्न होते हैं. अगर कुछ महिलाएं और पुरुष धोखेबाज और अवसरवादी होते हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो अपने संबंध के प्रति पूर्णरूप से प्रतिबद्ध होते हैं. एक शोध के नतीजे को सभी महिलाओं या पुरुषों पर समान रूप से लागू करना तर्क-संगत नहीं हो सकता.

 

उम्र के मोहताज नहीं होते शारीरिक संबंध

एक सफल वैवाहिक संबंध में पति-पत्नी के बीच आपसी प्यार और समझ का होना बेहद आवश्यक माना जाता है. प्राय: देखा जाता है कि नव विवाहित जोड़े एक-दूसरे को आकर्षित करने और अपनी भावनाओं का इजहार करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगता है, परिवार आगे बढ़ने लगता है, वे अपने व्यक्तिगत जीवन से कहीं ज्यादा महत्व परिवार के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को देने लगते हैं. कहीं ना कहीं इसका कारण यह माना जाता है कि निर्धारित समय और आयु के बाद महिलाओं में शारीरिक संबंधों के प्रति रुचि समाप्त हो जाती है.




लेकिन एक अमेरिकी सर्वेक्षण ने इस धारणा को निराधार प्रमाणित कर दिया है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण पर नजर डालें तो यह प्रमाणित हो जाता है कि उम्र का बढ़ना भले ही महिलाओं की सेहत पर प्रभाव डालता हो, लेकिन इससे शारीरिक संबंधों में उनकी रुचि पर कोई असर नहीं पड़ता. कई महिलाएं अधेड़ अवस्था तक हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और शारीरिक संबंध स्थापित करने में सक्षम होती हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि 60-89 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं का मानना है कि एक अच्छी सेक्स लाइफ के बिना वैवाहिक जीवन को पूर्ण रूप से खुशहाल कहना सही नहीं है. उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद भी महिलाओं का मानना है कि शारीरिक संबंध ही वैवाहिक जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करते हैं. आज भी वह उन्हें उतना ही आवश्यक मानती हैं जितना पहले मानती थीं.
लगभग एक हज़ार से अधिक महिलाओं पर किए गए इस अध्ययन ने बहुत कुछ ऐसा स्थापित किया है, जो थोड़ा अटपटा लग सकता है. अभी तक पुरुषों को ही लंबी आयु तक शारीरिक रूप से सक्रिय माना जाता था, ऐसे में यह शोध जो महिलाओं को संभोग के प्रति ज्यादा आकर्षित दर्शाता है, नि:संदेह चौकाने वाला है.



दूसरी ओर वैज्ञानिकों ने शारीरिक संबंधों के प्रति इस बढ़ती रुचि को सकारात्मक बताते हुए यह संभावना जताई है कि अगर महिलाएं लंबे समय तक खुद को शारीरिक संबंध बनाने के लिए सक्षम मानती हैं, तो वह खुद को अधिक समय तक स्वस्थ और मानसिक तौर पर मजबूत रख सकती हैं. क्योंकि मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ व्यक्ति ही संभोग के प्रति आकर्षित होता है.
 लेकिन भारतीय परिदृश्य में यह शोध थोड़ा अटपटा लगता है. क्योंकि यहां प्राय: ऐसे हालात कम ही देखने को मिलते हैं, जिसमें महिलाएं अधेड़ अवस्था पर पहुंचने के बाद भी शारीरिक संबंधों में रुचि रखती हों. भारतीय परिवेश में बुजुर्ग दंपत्ति सम्मान और आदर योग्य माने जाते हैं, जिसके कारण बुजुर्गों का भी यह उत्तरदायित्व बन जाता है कि वह अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं. विशेषकर दादा-दादी बनने के बाद तो उनकी प्राथमिकता बच्चे ही होते हैं. वह एक-दूसरे के साथ समय बिताने से कहीं ज्यादा महत्व अपने परिवार और बच्चों को देने लगते हैं. ऐसा नहीं है कि उनके बीच का प्यार और लगाव अब समाप्त हो चुका होता है, बल्कि उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद, एक-दूसरे के साथ अत्याधिक समय व्यतीत करने के साथ उन दोनों के बीच आपसी समझ इस हद तक विकसित हो चुकी है कि अगर वह आपस में समय ना भी बिता पाएं, तब भी उन्हें इस बात से कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ता. उनका वैवाहिक जीवन और आपसी प्यार शारीरिक संबंधों पर आधारित नहीं रहता है.



 

रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है सेक्स

भले ही आधुनिक होता भारतीय समाज आज कुछ मसलों में अपनी संकुचित मानसिकता को त्याग रहा हो, लेकिन आज भी कुछ विषय ऐसे हैं जिन्हें सामाजिक तौर पर पूर्णत: वर्जित कर्म माना जाता है और जिनके बारे में बात करना तक अनैतिक और संस्कारों के विरुद्ध माना जाता है. सेक्स की शब्दावली भी उन्हीं सामाजिक निषेध क्रियाओं में से एक है जिसे हमेशा पति-पत्नी का आपसी मसला ही माना जाता रहा है. इसी कारण विवाह पूर्व इसका अनुसरण एक निंदनीय और घृणित कृत्य माना गया है. भले ही शहरी क्षेत्रों में कुछ खास वर्ग के लोग इसे अन्य विषयों जैसा ही सामान्य विषय मानते हों लेकिन ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इसका जिक्र करना तक गलत मानते हैं.

 वास्तविकता ये है कि जाहिरा तौर पर ना सही, लेकिन यह एक ऐसा विषय है जो हमेशा से लोगों की जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ है. पहले इस मानवीय जिज्ञासा का हल खोजना बहुत मुश्किल काम था. लेकिन अब कंप्यूटर क्रांति और हाईटेक उपकरणों के आने के बाद यह काम अत्यंत आसान हो गया है. कंप्यूटर पर एक ही क्लिक से आपको अपनी सारी जिज्ञासाओं का विस्तारपूर्वक समाधान मिल सकता है.

 लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि कंप्यूटर और नए-नए उपकरणों की सहायता से आपने सेक्स से जुड़ी अपनी सभी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कर लिया है तो शायद आपकी जानकारी आधी-अधूरी है. एक नए सर्वेक्षण के बाद शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे दिलचस्प तथ्य खोज निकाले हैं, जिसके बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि शारीरिक संबंध ना सिर्फ आपकी भावनाओं को बढ़ाता है बल्कि यह समान रूप से आपकी मानसिकता, सेहत और बाहरी व्यक्तित्व को भी प्रभावित करता है.इस शोध की स्थापनाओं को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है:





  • हालांकि रोमांटिक उपन्यास पढ़ना अधिकांश युवतियों को पसंद होता है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि महिलाएं अपनी भावनाओं को अधिक तरजीह देती हैं. उन्हें प्रेम-प्रसंगों और आपसी भवानाओं से संबंधित विषयों में बहुत रुचि होती है. लेकिन शोधकर्ताओं ने उनकी इस रुचि को भी शारीरिक संबंधों के साथ जोड़ दिया है. उनका कहना है कि जो युवतियां रोमांटिक उपन्यास या कहानियां पढ़ती हैं, वे शारीरिक संबंधों के लिए भी बहुत अधिक आकृष्ट होती हैं. 
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शारीरिक संबंध ना सिर्फ आपसी भावनाओं को बढ़ाता है, बल्कि यह आपकी सेहत को भी बेहतर रखता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर सप्ताह में दो-तीन बार शारीरिक संबंध बनाया जाए तो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.
  • जो पुरुष शारीरिक संबंधों में बहुत रुचि रखते हैं या अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय रहते हैं उनकी दाढ़ी भी बहुत तेजी से बढ़ती है.
  • शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया है कि पुरुष अधिकांश समय केवल सेक्स के बारे में ही सोचते हैं. वह शारीरिक संबंधों में इतनी दिलचस्पी रखते हैं कि औसतन वह हर सात सेकेंड में सेक्स के बारे में ही सोचते हैं.
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  • वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि अगर शारीरिक संबंधों में आपकी रुचि समाप्त या अपेक्षाकृत कम हो गई है तो स्केटिंग या कोई अन्य एक्सरसाइज द्वारा अपनी इच्छाओं और भावनाओं को बढ़ाया जा सकता है.

  • इतना ही नहीं शारीरिक संबंध और आपकी सेक्स लाइफ सीधे तौर पर आपकी जीवन प्रत्याशा से संबंधित है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप स्वभाव से रोमांटिक है तो आप लंबे समय तक स्वयं को युवा रख सकते हैं.सक्रिय रूप से सेक्स करना ना सिर्फ आपको स्वस्थ रखता है बल्कि यह आपकी सुंदरता को भी कई गुणा बढ़ा देता है.

महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लगा देती है ढलती उम्र

फिल्मी कहानियों में आपने 20-22 साल के ऐसे युवक को जरूर देखा होगा जो एक परिपक्व महिला के प्रति आकर्षण महसूस करने लगता है. जहां उसकी हम उम्र लड़कियां मेक-अप और स्टाइल की मदद से युवकों को रिझाने का प्रयत्न करती हैं वहीं वह युवक 30-35 वर्षीय महिला की सादगी पर फिदा हो जाता है.


आमतौर पर ऐसी प्रेम कहानियों को रीयल लाइफ में महज इसलिए नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि हम यह मानते हैं कि युवावस्था में महिलाएं सबसे अधिक आकर्षक लगती हैं, कोई युवक उन्हें नकार कर एक परिपक्व महिला के प्रति रुझान रख ही नहीं सकता. अगर आप भी ऐसी ही मानसिकता रखते हैं और तीस से ऊपर आयु वाली महिलाओं की सुंदरता की कद्र नहीं करते तो हाल ही में हुआ एक अध्ययन आपकी इस धारणा को पूरी तरह बदल सकता है.
 फैशन रिटेलर सीसी द्वारा प्रायोजित एक अध्ययन में ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने पाया कि तीस वर्ष पार करते ही महिलाओं की सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है. इस सर्वेक्षण में यह स्थापित किया गया है कि 35 वर्ष की उम्र में महिलाएं फैशन की उंचाइयां छूने लगती हैं. उनमें फैशन की समझ किसी भी युवती से कहीं ज्यादा हो जाती है.
डेट पर जाने के फंडे
 वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि अपनी सुंदरता के प्रति युवावस्था में जो रुझान पैदा होता है उसका सबसे अधिक परिणाम तीस वर्ष के बाद ही पता चलता है. युवतियां स्टाइल और फैशन की मदद से आकर्षक लगती हैं लेकिन एक परिपक्व महिला अपनी उम्र को ध्यान में रखकर बेहद खूबसूरती से तैयार हो सकती है. उन्हें अपना रूप बेहद संतुष्टि देता है और साथ ही उनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी होती है.

शोध में शामिल हर तीन में से एक महिला अपने रूप और काया को लेकर संतुष्ट नजर आई. जिनका कहना था कि समय बीतने के साथ उनमें फैशन की समझ भी बढ़ती गई.

उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो वैश्विक स्तर पर भारत की महिलाओं को खूबसूरती में ऊंचा दर्जा प्राप्त है. शालीनता और सादगी को अपना गहना समझने वाली भारतीय महिलाओं को अगर हम ब्यूटी विद ब्रेन कहें तो गलत नहीं होगा. मातृत्व ग्रहण करने के बाद महिलाओं के व्यवहार में जो परिपक्वता आती हैं वह उनके पहनावे और स्टाइल में साफ झलकती है. हां, यह बात और है कि एक आम भारतीय महिला भले ही युवावस्था में अपनी काया और बाहरी व्यक्तित्व को लेकर जागरुक रहती हो लेकिन विवाह के बाद वह पूरी तरह अपने परिवार के प्रति समर्पित हो जाती है जिनकी देखभाल करते हुए उसका ध्यान खुद पर से हट जाता है और वह अपनी सुंदरता को नजरअंदाज कर देती है. 

लेकिन इन सब के बावजूद वह ना तो अपनी शालीनता से दूर होती है और ना ही अपनी सादगी को नजरअंदाज करती है.

 

क्यूं भाते हैं अधिक उम्र के पुरुष ?

हर लड़की अपने लिए ऐसे लड़के की तलाश करती है जो जवान हो, खूबसूरत हो. लेकिन कुछ लड़कियां अक्सर ऐसे लड़कों को अपना जीवनसाथी और प्यार बनाना चाहती हैं जो उम्रदराज और अनुभवी होता है. ऐसा साथी चुनने के पीछे उनकी दलील भी बहुत ही अजीब ही होती है. यूं तो यह एक लड़की के दिल की बात है जिस दिल को खुदा भी नहीं समझ सकता है. लेकिन महिलाओं की इस आदत के पीछे की दलीलें और वजह ऐसी हैं जिन्हें जानने के बाद यह सही भी लगता है. आइए जानें आखिर महिलाओं को क्यों भाते हैं अधिक उम्र के पुरुष:




प्यार से रखने वाले
अनुभव जीवन को ना सिर्फ सुंदर बनाता है बल्कि यह इंसान के साथ रहने वाले जीवन को भी सुंदर बना देता है. उम्रदराज और अकसर तलाक शुदा पुरुषों को लड़कियों के बारे में अधिक अनुभव होता है इसलिए उनसे महिलाएं अधिक प्यार की उम्मीद करती हैं. यह सही भी है. जब आपके पास कोई मोबाइल हो और आपने उसे चलाया हो तो आपको दूसरे मोबाइल चलाने में भी अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती. अब यह महिलाएं भी किसी मशीन से कम जटिल नहीं हैं.

रोमांस फैक्टर 
यूं तो रोमांस की कोई उम्र नहीं होती लेकिन कहते हैं जिस तरह शराब जितनी पुरानी हो उतनी सर चढ़कर बोलती है उसी तरह रोमांस की उम्र जितनी पुरानी हो उसमें नशा उतना ही होता है. अधिक उम्र के होने के बाद पुरुषों में रोमांस का स्तर बढ़ जाता है और वह अपने पार्टनर को पूरा समय और प्यार देते हैं.

नहीं होता अहम का टकराव
अकसर देखने में आता है कि युवा वर्ग अपने अहम की वजह से रिश्तों को तोड़ देता है लेकिन एक उम्र के बाद पुरुषों के अंदर अहम का भाव खत्म हो जाता है और वह महिलाओं को भी अपनी जिंदगी में समान अधिकार देते हैं और रिश्ते में पूरा स्पेस देते हैं.

हमेशा तैयार
अधिक समय तक काम करने के बाद अकसर उम्रदराज पुरुष प्यार करने और रोमांस के लिए समय निकालने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.

सरप्राइज (Surprises)  मिलने के रहते हैं अधिक चांस
गिफ्ट्स हर लड़की को पसंद होते हैं. जितने ज्यादा गिफ्ट उतना इन लड़कियों के दिल में जगह और यह बात तो प्रमाणित है कि उम्रदराज पुरुष युवाओं के मुकाबले अधिक गिफ्ट्स देते हैं.

मिस्टर मनीबैग (Moneybag)
उम्रदराज पुरुष के पास पैसे की ज्यादा समस्या नहीं होती और एक रिश्ते को स्थिर रखने में पैसे का कितना अहम रोल होता है यह सभी जानते हैं. लड़कियों के खर्चे को हंसते-हंसते स्वीकार करने की कला इन पुरुषों को बनाती है लड़कियों की पहली पसंद.

 

ब्रेस्ट आयरनिंग

 आज आए दिन हमें मीडिया के द्वारा रेप (Rape), बलात्कार और छेड़छाड़ देखने को मिलते हैं. ऐसी घटना होते ही बार-बार लोग महिलाओं के कपडों को इसका दोषी मानते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर महिलाएं क्या करें कि वह पुरुषों की वहशियत की शिकार ना हों? इस सवाल का जवाब चाहे आपके पास ना हो लेकिन अफ्रीका के एक देश कैमरून में एक ऐसी दर्दनाक प्रथा का इस्तेमाल किया जाता है जिससे माना जाता है कि महिलाओं के शादी से पहले ही गर्भवती होने का डर खत्म हो जाता है

What is Breast Ironing : ब्रेस्ट आयरनिंग क्या है

दरअसल अफ्रीका के कैमरून में “ब्रेस्ट आयरनिंग” नामक एक प्रथा प्रचलित है. ब्रेस्ट आयरनिंग में किशोरावस्था के शुरू होते ही लड़कियों के ब्रेस्ट को लकड़ी के टुकड़ों से दागा जाता है, ताकि वह बढ़ न सकें.

Breast Ironing Procedure : क्यूं की जाती है ब्रेस्ट आयरनिंग
इस अनोखी और दर्दनाक प्रथा को लड़की की मां ही अंजाम देती है. इसके पीछे मान्यता यह है कि गर्म लकड़ी से स्तन को दागने से महिलाओं की छाती चपटी हो जाती है और उन पर पुरूषों का ध्यान नहीं जाता. माना जाता है कि अगर लड़कियों की जवानी के लक्षण जल्द दिखाई देने लगें तो पुरुषों का ध्यान उन पर जाता है और ऐसे में लड़कियों के शादी से पहले ही गर्भवती होने का डर बना रहता है.

बेहद क्रूर है यह प्रथा
यह प्रथा बेहद दर्दनाक होती है. इससे ना सिर्फ लड़की को शारीरिक कष्ट होता है बल्कि उसको मानसिक आघात भी पहुंचता है. गर्म लकड़ियों को स्तनों पर दागने का दर्द कितना भयानक होता होगा इसका अंदाजा आप इसी से लगा लो कि जब कभी गर्म बर्तन का छोटा हिस्सा भी आपके हाथ पर लगता है तो आपको कितना दर्द होता है.

कैमरून के लोग इस प्रथा का इस्तेमाल लड़कियों को कम में गर्भवती बनने से रोकने के लिए करते हैं लेकिन इसके बावजूद वहां लड़कियों के कम उम्र में गर्भवती होने के मामले अभी भी सामने आ रहे हैं जिससे साफ होता है कि ब्रेस्ट आयररिंग का कोई फायदा नहीं. यह बहुत कुछ महिला खतना जैसा ही है.

इस समाज में महिलाओं को कुछ छुपाने की जरूरत नहीं है. जरूरत है तो पुरुषों को अपने भोगी स्वभाव को दूर करने की. ब्रेस्ट आयररिंग, महिला खतना जैसी प्रकियाएं महिलाओं पर एक क्रूर अन्याय की तरह देखी जानी चाहिए.

 



सहेलियों के प्रति शारीरिक आकर्षण रखती हैं विदेशी महिलाएं!!!
प्रकृति ने महिला और पुरुष को एक-दूसरे के पूरक के रूप में निर्मित किया है. जिसके परिणामस्वरूप उनमें शारीरिक आकर्षण और प्रेम जैसे भाव विकसित होना स्वाभाविक है. भले ही समाज द्वारा बनाए गए सख्त नियम और कानूनों के कारण विवाह से पहले महिला और पुरुष में किसी भी प्रकार की निकटता को गलत ही समझा जाता है लेकिन आज जब महिला और पुरुष साथ पढ़ते और काम करते हैं तो उन दोनों में सामीप्य होना एक आम बात बन गई है. ज्यादातर समय एक-दूसरे के साथ बिताने के कारण आकर्षण भी अपनी जगह बना ही लेता है. लेकिन इसे हम मनुष्य का प्राकृतिक स्वभाव ही कहेंगे.

परंतु आज के दौर में प्राकृतिक संबंधों के मायने थोड़े परिवर्तित हो गए हैं. परिवर्तनशील और मॉडर्न होने समाज में समलैंगिकता जैसे विषय भी अपनी पहचान बनाने लगे हैं. एक नए अध्ययन के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं दूसरी महिलाओं के प्रति शारीरिक आकर्षण रखती हैं. 484 महिलाओं को केन्द्र में रखकर हुए इस अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि महिलाएं अपनी सहेलियों या अन्य महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने में भी रुचि रखती हैं. उनका यह स्वभाव उम्र के साथ-साथ और अधिक बढ़ जाता है.

बौयस स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा हुए इस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि एक सामान्य महिला जो पुरुष में दिलचस्पी रखती हैं अगर वह अन्य किसी महिला के प्रति शारीरिक आकर्षण रखती है तो यह बात पूर्णत: सामान्य है.

विश्वविद्यालय से जुड़ी मनोवैज्ञानिक और इस अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता एलिजाबेथ मॉर्गन का कहना है कि आधी से ज्यादा महिलाएं अन्य महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध जैसे विषयों को लेकर उत्सुक रहती हैं. उन्हें सब बहुत रोचक लगता है. उनका यह भी मानना है कि महिलाएं एक-दूसरे के प्रति दोस्ताना लगाव रखती हैं. अन्य शोधकर्ता लीसा डायमंड के अनुसार आयु बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं की अन्य महिलाओं में रुचि भी अधिक हो जाती है.
 दूसरे आंकड़ों के अनुसार बीस प्रतिशत महिलाएं दूसरी महिलाओं के प्रति इसीलिए आकर्षित होती हैं क्योंकि वह घंटों तक एक-दूसरे से बात करती हैं और साथ बैठती हैं. फोन पर बात करना महिलाओं को पसंद होता है इसीलिए वह अगर प्रत्यक्ष रूप से ना भी मिल पाएं तो फोन या चैट पर ही सभी बातें कर लेती हैं.

डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के बाद यह भी माना जा रहा है कि महिलाओं की आपसी दोस्ती और रूमानी संबंध में अंतर कर पाना भी कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि आमतौर पर महिलाएं एक-दूसरे के साथ भावनात्मक जुड़ाव अधिक रखती हैं, इसीलिए आगे चलकर उनके बीच निकटता और रुमानी संबंध स्थापित होने की संभावना भी बढ़ जाती है.

विदेशी महिलाओं पर हुए इस अध्ययन ने आपसी दोस्ती जैसे संबंध पर प्रश्नचिंह लगा दिया है. भारतीय परिवेश में अगर इस शोध को देखा जाए तो भले ही हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि समलैंगिकता जैसे संबंध हमारे परंपरागत और रुढ़िवादी समाज में अपनी जड़े जमा रहे हैं, लेकिन दोस्ती और ऐसे अनैतिक संबंध में एक बड़ा अंतर होता है. वैसे तो महिला और पुरुष के बीच पारस्परिक आकर्षण विकसित होना भी एक आम बात है लेकिन फिर भी ऐसे बहुत से युवक-युवतियां हैं जो दोस्ती की मर्यादा को कायम रखते हैं. ऐसे में दोस्ती के संबंध में महिलाओं का परस्पर शारीरिक आकर्षण रखने जैसा मसला भारतीय परिदृश्य में कोई औचित्य नहीं रखता. महिला समलैंगिकों की एक बड़ी संख्या होने के बावजूद दोस्ती का महत्व और उसकी पवित्रता कहीं भी खोती नजर नहीं आती.  

विदेशी संस्कृति बहुत खुले विचारों और स्वभाव वाली है. वहां संबंधों में मर्यादा या सीमा कोई खास स्थान नहीं रखती. हो सकता है विदेशी महिलाओं को अन्य महिलाओं या अपनी सहेलियों के साथ शारीरिक संबंध बनाना रोचक लगता हो लेकिन भारत में यह पूर्णत: निंदनीय और घृणित है.