Monday 24 December 2012

अब क्रीम दूर करेगा योनि का ढीलापन

अब क्रीम दूर करेगा योनि का ढीलापन

मुंबई। भारतीय कंपनी अल्ट्राटेक ने दावा किया है कि वो योनि का ढीलापन खत्म करने वाली देश की पहली क्रीम बाजार में ला रही है, जिसके विज्ञापन के अनुसार महिलाएं एक बार फिर कौमार्य का अहसास कर पाएंगी। कंपनी का मानना है कि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा, लेकिन आलोचक कह रहे हैं कि इससे उल्टे नारी सशक्तिकरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

बड़ा दावा है ये
18 अगेन क्रीम के विज्ञापन में साड़ी पहने एक महिला नाच-गा रही है। विज्ञापन बॉलीवुड स्टाइल में है और महिला मैडोना का हिट गाना 'आई फील लाइक ए वर्जिन' गुनगुना रही है। उसके सास-ससुर स्तब्ध हैं। जल्द ही महिला का पति भी नाच-गाने में शामिल हो जाता है। शुरू में नाक-भौं सिकोड़ती सास आखिर में इस क्रीम को ऑनलाइन खरीदने की प्रक्रिया में दिखती है। 18 अगेन क्रीम को बनाने वाली मुंबई स्थित फार्मा कंपनी अल्ट्राटेक के अनुसार भारत में ये उत्पाद पहली बार मिल रहा है।


इसे लगाने के बाद महिलाओं को होगा कौमार्य का अहसास
अल्ट्राटेक के मालिक ऋषि भाटिया कहते हैं कि करीब ढाई हजार रुपए में मिलने वाली ये क्रीम सोने की भस्म, एलोवेरा यानि घृतकुमारी, बादाम और अनार जैसे पदार्थों से बनी है और इसके क्लीनिकल टेस्ट भी हो चुके हैं। ऋषि भाटिया कहते हैं, ये एक अनूठा और क्रांतिकारी उत्पाद है जो महिलाओं के आत्मविश्वास को मजबूत करने और उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने में भी सहायता करता है। भाटिया कहते हैं कि 18 अगेन का लक्ष्य महिलाओं का सशक्तिकरण है। उनके मुताबिक ये उत्पाद कौमार्य बहाल करने का दावा नहीं कर रहा है बल्कि सिर्फ एक वर्जिन जैसे अहसास को दोबारा दिलाने की बात कह रहा है।


आने के साथ ही शुरू हो चुकी है आलोचना
महिलाओं के समूह, कुछ डॉक्टर और सोशल मीडिया पर कई लोग कंपनी के प्रचार अभियान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये उत्पाद उस भारतीय सोच का समर्थन करता है जिसमें शादी से पहले सेक्स को हीन नजर से देखा जाता है और कुछ तो इसे 'पाप' भी करार देते हैं।नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमैन की एनी राजा कहती हैं, इस तरह की क्रीम बिल्कुल बकवास है और इससे कुछ महिलाओं में हीन भावना भी आ सकती है। महिलाओं को विवाह तक वर्जिन क्यों रहना चाहिए? किसी पुरुष के साथ संभोग महिला का अपना अधिकार है लेकिन यहां समाज अब भी महिलाओं को दुल्हन बनने तक इंतजार के लिए कहता है। एनी राजा कहती हैं कि सशक्तिकरण से उलट ये क्रीम पितृसत्तात्मक समाज की उस मान्यता को मजबूत करेगी जिसके अनुसार हर पुरुष अपनी पहली रात एक वर्जिन पत्नी के साथ ही मनाना चाहता है।

मुंबई मिरर और बैंगलोर मिरर समाचार पत्रों में सेक्स पर सलाह देने वाली कॉलम के लेखक गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर महिंदा वत्स कहते हैं, वर्जिन होने को अब भी बड़ी चीज माना जाता है। मुझे नहीं लगता कि इस सदी में ये धारणा बदलने वाली है।

डॉ. वत्स ने सेक्स से संबंधित 30 हजार से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए हैं और वो कहते हैं कि उनसे बहुत से मर्द पूछते हैं कि ये कैसे पता लगाया जाए कि उनकी पत्नी वर्जिन है या नहीं। उनसे महिलाएं भी पूछतीं है कि वो अपने पतियों से कैसे छिपाएं कि वो वर्जिन नहीं हैं।


भारत में अब पहले से कहीं ज्यादा विवाह पूर्व बन रहे हैं सेक्स संबंध
डॉ. महिंदा वत्स कहते हैं, हर पुरुष को आस होती है कि वर्जिन से शादी कर रहा है लेकिन कम से कम भारत के शहरों और क़स्बों में तो लड़कियां शादी से पहले ही संभोग कर रही हैं। डॉ. वत्स कहते हैं कि कामकाजी महिलाओं में पुरुषों के साथ सेक्‍स संबंध को लेकर काफी आत्मविश्वास आया है। एक वेबसाइट पर सेक्स संबंधी सेहत से जुड़ी सलाह देने वाली डॉ. निसरीन नखोडा कहती हैं, ये तो पक्का है कि भारत में अब पहले से कहीं ज्यादा विवाह पूर्व सेक्स संबंध बन रहे हैं।

डॉ. नखोडा कहती हैं, मुझे नहीं पता कि 18 अगेन क्या करेगी क्योंकि योनि को मांसपेशियां सुडौल बनाती हैं। पता नहीं एक क्रीम ये काम कैसे करेगी। लेकिन वो मानती हैं कि ऐसी क्रीम भारत में खूब कमाई कर सकती है क्योंकि हालात तो बदल रहे हैं लेकिन धारणाएं नहीं।



क्‍या कहता है सेक्‍स सर्वे
पिछले साल इंडिया टुडे पत्रिका में छपे एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में सिर्फ पांच में से एक व्यक्ति ही विवाह-पूर्व सेक्स या लिव-इन संबंध यानी बिना शादी के महिला और पुरुष के साथ रहने के पक्ष में था। जबकि एक चौथाई लोगों ने कहा कि उन्हें शादी से पहले सेक्स से गुरेज नहीं है।

कई पार्टनर के साथ संभोग करने वाली महिला को वेश्या समझे जाने का डर रहता है
एक 26 वर्षीय वर्जिन महिला ने कहा, हमें ये कहते हुए पाला जाता है कि सेक्स संबंध स्थापित करना पाप है। जब आप युवा हों तब बॉयफ्रेंड का होना बहुत मुश्किल होता है। मेरे जिन दोस्तों के बॉयफ्रेंड थे भी, उन्हें अपने परिवार से खूब झूठ बोलना पड़ता था।

एक अन्य 27 वर्षीय महिला, जिसने पहली बार 20 वर्ष की उम्र में सेक्स संबंध बनाए थे और जिसके अब तक तीन ऐसे पार्टनर रह चुके हैं, वो कहती हैं कि पुरुष महिलाओं पर मालिकाना हक जताना चाहते हैं। इस महिला के अनुसार कई पार्टनर के साथ संभोग करने वाली महिला को वेश्या समझे जाने का डर तो दुनिया के सभी समाजों में मौजूद है।


'कूल' पीढ़ी शादी से पहले सेक्‍स को आजमाने के लिए है बेचैन
डॉक्टर नसरीन नखोडा कहती हैं, भारतीय मानसिकता बेचैनी के दौर से गुजर रही है। नई पीढ़ी ‘कूल’ बनाना चाहती है और वो शादी से पहले सेक्स को आजमाना चाहती है, लेकिन उन्हें एक परंपरागत तरीके से बड़ा किया जा रहा है जहां शादी से पहले सेक्स एक पाप है। इससे कई युवाओं में असमंजस की स्थिति बनी रहती है।
योनि के ढीलेपन को दूर करने का दावा करने वाली क्रीम से पहले योनि की चमड़ी को गोरा करने वाली क्रीम पर भी विवाद हो चुका है। ये दोनों इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे भारत में परंपरागत मूल्य नए विचारों से टकरा रहे हैं। महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एनी राजा कहती हैं कि ऐसे उत्पादों का उद्देश्य महिलाओं के व्यवहार और चेहरे-मोहरे का नियंत्रण पुरुषों को देना है।
लेकिन 18 अगेन बनाने वाली कंपनी के ऋषि भाटिया कहते हैं कि इस बारे में शोर-शराबा गैर-जरूरी है। ऋषि भाटिया कहते हैं, पुरुष सेक्स का मजा बढ़ाने के लिए कई उत्पादों का प्रयोग करते हैं, ये तो महिला के हाथ में संभोग का सुख बढ़ाने का जरिया मात्र है।


महिलाओं का कौमार्य हमेशा से रहा है मुद्दा : संध्या मूलचंदानी, प्राचीन भारतीय कामशास्‍त्र की जानकार
प्राचीन भारत अपने खुलेपन और आधुनिकता के लिए जाना जाता था, लेकिन एक चीज जो हमेशा से नहीं बदली है, वो है महिलाओं के वर्जिन होने की जरूरत, क्योंकि वर्ण आश्रम व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि अपनी जाति के बाहर संबंध मौत से भी बुरा माना जाता था। भगवत गीता में अर्जुन कहते हैं, हे कृष्ण, कानून का पालन ना होने की वजह से महिलाएं भ्रष्ट हो गई हैं और मिश्रित जातियां आ गई हैं जो नरक का सीधा मार्ग हैं।
शुद्धता बनाए रखने के उद्देश्य से विभिन्न सामाजिक समूहों में संबंध निषेध थे। दो किस्म की महिलाएं होती थीं- एक प्रजनन के लिए और दूसरी मौज-मस्ती के लिए। तो आपके बच्चों की मां आपकी जाति से होती थी और अगर आपको ईश्वर के प्रकोप से बचना होता तो वो वर्जिन होती। सतीत्व का अर्थ सही पुरुष का इंतजार न होकर अपनी नस्लीय शुद्धता बनाए रखना था क्योंकि सिर्फ़ वर्जिन महिलाओं को ही पत्नी बनने का अधिकार मिल सकता था।


आज के हिंदू विवाह समारोहों के केंद्र में कन्यादान होता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है कन्या (कुंवारी) का दान। गृह सूत्र के अनुसार विवाह के बाद तीन दिन तक बिना नमक और तीखेपन का भोजन करने के बाद ही संभोग किया जाना चाहिए क्योंकि संभोग का एकमात्र उद्देश्य पुत्र जनन था ताकि परिवार को आगे बढ़ाया जा सके।

लेकिन अगर आप मां नहीं बनना चाहतीं तो आपके लिए नियम बिल्कुल अलग थे। कथित निचली जाति की लड़कियों के लिए कौमार्य गैर-जरूरी ही नहीं एक बाधा भी थी क्योंकि उन्हें तो सेक्स के विषय में ज्ञान हासिल करके युवा और अमीर ग्राहकों को रिझाना होता था।

 

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