खूबसूरत औरतें उसकी कमजोरी थी
नैपोलियन बहादुर था और युद्ध का मैदान उसके लिए खेल का मैदान था, मगर खूबसूरत औरतों के सामने वह एक मेमना था। इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि जिस व्यक्ति में पौरूष होता है और समाज को बनाने बिगाड़ने की क्षमता होती है वह प्रकृति की देन पद्मिनियों के पीछे दीवाना रहता है। महान नाटककारशेक्सपीयर,शैली, कीट्स, यीट्स, वाइरन, रूसो, माक्र्स, लेनिन, माओ, कालीदास, तुलसीदास, जयशंकर प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, डा.लोहिया ऐसे हस्ताक्षर हैं जिनमें सर्जना और विसर्जना की अपूर्व शक्ति थी। लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि दुनिया के सभी महान व्यक्ति दूसरों के लिए भीम थे मगर अपनी प्रेमिकाओं के समक्ष मेमना थे। इसके साथ ही यह भी सच है जैसा कि महावीर द्विवेदी ने कहा है,‘‘यह विधि की विडम्बना है मेंह पहाड़ों पर बरसता है, लक्ष्मी मूर्खों को मिलती है, विद्वान दरिद्र होता है और स्त्रियां कुपात्रो पर रीझती है।
महाकवि कीट्स फायना ब्राउनी की याद में मर गया मगर उसका प्यार वह न पा सका। यीट्स इवेन्सा की याद में कवितायें लिखता रहा मगर वह दूसरे के साथ चली गयी। नेपालियन बोनापार्ट लुइस का प्यार नहीं पा सका। तुलसी दास को रत्ना का भरपूर प्यार नहीं मिला। प्रेमिका की बेरूखी से ही जयशंकर प्रसाद को यक्ष्मा हो गया और तो और गोरखपुर के उदीयमान कवि स्व.विद्याधर द्विवेदी विज्ञ अपनी प्रेमिका की बेरूखी से पगला गये। डार्क लेडी की याद में तड़पते हुए शेक्सपीयर का यह कथन ज्यादा सच मालूम होता है, ‘‘फ्रेल्टी दाई नेम इज वोमन’’। चपला! तुम्हारा ही नाम औरत है। नेपालियन–लुइस– के लिए दीवाना था मगर वह उसकी पत्नी होकर भी वह उसे नहीं चाहती थी। वह किसी और को पसंद करती थी। नेपालियन बोनापार्ट बहुत बड़ा जनरल और विजेता था। वह ांस के कारमेका नामक द्वीप में सन् 1762 में पैदा हुआ था। सन् 1797 मैं वह एक राष्ट्रीय हीरो बनकर सामने आया। उसे मिश्र के खिलाफ लड़ने के एक अभियान का कमाण्डर बनाकर भेजा गया। उस जंगी अभियान का एक बहुत बड़ा मकसद यह था कि किस तरह हिन्दुस्तान पर कब्जा किया जाय।
बहुत बड़ा जनरल होने और फौजी लड़ाइयों का माहिर होने के साथ–साथ वह कानून और शासन का भी अच्छा जानकार था। मुल्क की अराजकता को दूर करने के लिए उसने ठोस कानून बनाये। मुल्क में लोगों की बेचैनी दूर करने के लिए उसने क्रांतिकारी उपायों का एलान किया। उसने आर्थिक, न्याय और शिक्षा की व्यवस्था को कामयाब बनाने के लिए ंास में तमाम कानून बनाये। 1804 में उसने शहंशाह की उपाधि धारण की और नया झंडा अपनाया जो आजतक ंास में लहराता है। उसकी स्मरण शक्ति इतनी तेज थी कि अपनी फौज के बोर में उसे हर चीज जबानी याद थी, यहां तक कि सिपाहियों के नाम भी जबानी याद थे। अपने सिपाहियों को उनके नाम से पुकारता था। वह वक्त की इतनी कद्र करता था कि अपना कोई लम्हा गंवाना नहीं चाहता था। वह कहता था कि मै जंग हार सकता हूं लेकिन वक्त खराब नहीं करूंगा। वह कहा करता था कि वक्त ही सब कुछ है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वह अपनीशादी के मौके पर तीन घण्टे देर से पहुंचा। तब तक पादरी जम्हाई लेता–लेता सो चुका था।
नेपालियन को सबसे ज्यादा मोहब्बत अपनी बीबी जोजफीन से थी। युद्ध के मैदान में भी वह उसे याद करता था और मुहब्बत भरे पत्र लिखता था। जोजफीन भी नेपोलियन को दिलोजान से चाहती थी और उसके बगैर रह नहीं सकती थी। नेपोलियन का कहना था कि खूबसूरत औरत देखने से आंख और नेक दिल औरत देखने से मुझे खुशी होती है क्योंकि खूबसूरत औरत एक हीरा है नेक दिल औरत एक खजाना है।
नेपोलियन उससे बेपनाह मुहब्बत करता था, यह उसके एक खत से पता चलता है। उसने लिखा ‘‘मेरी सबसे बड़ी कमी शायद वह है कि खुद ने मुझे वह खूबसूरती अता नहीं की जो हम एक रूप हो जाते लेकिन मेरे लिए यह काफी है कि जोजफीन मुझे अपने ख्यालों में थोड़ी सी जगह दे दे सिफर् इसलिए कि मैं उससे मुहब्बत करता हूं। ऐसी मुहब्बत जो पागलपन भी कहला सकती है। अगर एक बार तुम मुझे यह यकीन दिला देा कि अब तुम मुझसे कभी मुहब्बत नहीं कर सकोगी तो अपनी किस्मत का कसूर समझकर सब्र कर लूंगा और अपनी जिन्दगी इस बात पर कुर्बान कर दूंगा कि कभी मैं तुम्हारे काम आ सकूं।
जोजफीन भी पढ़ी–लिखी महिला थी। वह अपने आपको बहुत कुछ समझती थी। लेकिन नेपालियन की बहन उसे कबूल नहीं करती थी। आपस की झंझट की वजह से ननद–भावज में अक्सर झगड़ा होता रहता था। वह मछुआरों की बस्ती में पैदा हुयी थी। एक छोटे से अंधेरे मकान में उसने जन्म लिया था। शक्ल–सूरत के लिहाज से बहुत खूबसूरत थी उसका जिस्म मोहक सा था। जवानी में बेवा हो गयी थी। उसके दो बच्चे थे। उसक पति ांस की क्रांति में मारा गया। वह इतनी कर्जदार हो गयी थी कि उसकी जिन्दगी बड़ी मुसीबतों और तकलीफों में गुजर रही थी। अब उसे ऐसे पति की जरूरत थी जो उसकी तकलीफें दूर कर सके। उसने अपनी मुहब्बत का जादू नेपोलियन पर चला दिया।
इनकी शादी बहुत कामयाब नहीं रही। नेपोलियन की दिली ख्वाहिश थी कि उसके कोई लड़का हो जबकि जोजफीन से कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ। उसे यह मालूम भी हो गया था कि नेपोलियन मिस्र की किसी हसीन लड़की की मुहब्बत में गिरफ्तार हो चुका है ओर यही बात उसे बिल्कुल पसंद नहीं थी। इस बात को लेकर रोज लड़ाई–झगड़ा होता था। नेपोलियन इन झगड़ों से तंग आ चुका था। उसने अपनी बीबी को तलाक देने का फैसला कर लिया लेकिन जिस वक्त वह तलाक के कागज पर दस्तखत कर रहा था उस समय उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे। इसके बाद वह बहुत परेशान हुआ। बहुत दिनों तक उदास रहा। किसी से बात नहीं करता था। तलाक देना उसकी जिन्दगी की बहुत बड़ी घटना थी। लड़ाई में हारने का कभी उसने उतना अफसोस नहीं किया जितना कि तलाक देने के बाद।
जोजफीन से वह बाद में भी बेहद मुहब्बत करता रहा। जोजफीन के मरने के बाद वह उसकी कब्र पर गया और फूट–फूट कर रोने लगा। नेपोलियन के मरते वक्त भी उसकी जबान से जो आखिरी शब्द निकला वह था–‘‘जोजफीन’’। तलाक के बाद यह सोचा जाने लगा कि शादी कहां हो। अंगे्रज और जर्मन नेपोलियन की जान के सख्त दुश्मन थे। इटली वगैरह से भी उसके सम्बन्ध खराब थे। इंग्लैण्ड से भी नेपोलियन को खतरा था। ऐसी हालत में नेपोलियन के लिए कोई फैसला करना बड़ा मुश्किल था। उसने अपनी सल्तनत को मजबूत करने के लिए पुराने जमाने के बादशाहों की तरह राजनीतिक शादी करने का निश्चय किया। उस समय रूस के जार और आस्ट्रिया की दो खूबसूरत शाहजादियां शादी के लिए उपलब्ध थी। दोनों ही अपनी लड़कियां नेपोलियन को देना चाहते थे। इन दोनों में से नेपोलियन को एक का चुनाव करना था। इस समस्या को हल करने के लिए उसने ग्यारह व्यक्तियों की एक सलाहकार समिति बनाई। काफी विचार–विमर्श के बाद चार आस्ट्रिया की शाहजादी से, तीन ने रूस की और तीन ने जर्मनी की शाहजादी के बारे में अपनी राय दी। आखिर में तय पाया गया कि आस्ट्रिया की शाहजादी मेरी लूइसा से ही शादी की जाय।
लेकिन लूईसा नेपोलियन को बेहद नापसन्द करती थी। नेपोलियन ने मेरी लूईसा को देखा भी नहीं था। वह शादी केवल सौदबाजी पर आधारित थी। मेरी लुइसा ने तो पहले ही अपना जीवन साथी तय कर लिया था। वह एक ड्यूफ पर फिदा थी और उसी से अपना रिश्ता कायम करना चाहती थी लेकिन उसे नेपोलियन से शादी करनी पड़ी। नेपोलियन ने पहली बार उसे तब देखा ंास का मलका बन कर आयी। लुइसा बेपनाह खूबसूरत और हसीन थी। नेपोलियन उसके मुकाबले में खूबसूरत नहीं था। उसे इतिहासकार यूरोप का विजेता कहते हैं मगर वह लुइसा के दिल को जीत पाने में नाकामयाब रहा।
नेपोलियन बड़ी अजीबोगरीब तबीयत का मालिक था। वह खूबसूरत औरतों का रसिया था। जहां कहीं वह कोई हसीन औरत देखता उसे दिल दे बैठता था। उसके नजदीक औरत की हैसियत एक खिलौने से ज्यादा कुछ नहीं थी। वह खूबसूरत औरतों की तलाश में रहता था। जिस पर उसका दिल आ जाता उसे हासिल करने मेंे जान की भी बाजी लगा देता। वह जंग के मैदान के अलावा इश्क के मैदान भी काफी तजुरबा रखता था। उसने बड़ी बेकरार तबीयत पायी थी। जब वह जीतते हुए मिस्र पहुंचा तो वहां भी चैन से नहीं बैठा।
खूबसूरत औरतें उसकी कमजोरी बन गयी थी। कहते हैं कि एक बार उसे एक लेफ्टीनेन्ट की बीबी मैडम खूरे पालीन उसे पसंद आ गयी। उसने उसे दावत के लिए एक कार्ड भेजा। नेपोलियन की तरफ से दावत मिलने पर पालीन की खुशी का ठिकाना न रहा। आखिर ंास के बादशाह ओर सबसे बड़े जनरल ने उसे यह दावत दी थी। अपने पति लेफ्टीनेन्ट खूर के मना करने के बावजूद वह दावत में गयी। मैडम खूर कुंवारी मां की बेटी थी और बेइन्तेहा खूबसूरत थी और नेपोलियन को आत्मसमर्पण करने में उसने अपनी जिन्दगी की सबसे बड़ी खुशी महसूस की और उनके रोमांस का सिलसिला जोर पकड़ता रहा।
लेफ्टीनेन्ट खूर को ब्रिटेन के एक मशहूर जासूस वारनेड ने जब आगाह किया और असलियत की जानकारी करायी तो तैश में आया और नेपोलियन के विश्राम गृह पर जा पहुंचा। वहां ांसीसी सिपाही पहरा दे रहे थे। रात का वक्त था। वह अपनी आंखों से दोनों की रंगरेलियां देखना चाहता था। वह बेखौफ होकर नेपोलियन के सोने के कमरे में दाखिल हो गया। उसने अपनी बीबी को एक आलीशान और खूबसूरत पलंग पर नंगे लेटे पाया। उसने गुस्से में पालीन को मारना–पीटना शुरू कर दिया। पालीन के रोने और चीखने की आवाजें नेपोलियन के कान में पहुंची तो वह फौरन साथ वाले कमरे से अन्दर आ गया। लेफ्टीनेन्ट खूरे के साथ में पिस्तौल थी। वह उससे नेपोलियन और पालीन दोनों को छलनी कर सकता था। लेकिन नेपोलियन को देखकर वह कांपने लगा। नेपोलियन ने अपनी निगाहें उस पर गड़ा दी। उसकी आंखों में शोले चमक रहे थे। उसने हुक्म दिया कि दरवाजा खोलो और लेफ्टीनेन्ट ने फौरन दरवाजा खोला और बेचारा लेफ्ट–राइट करता हुआ बाहर चला गया।
नैपोलियन बहादुर था और युद्ध का मैदान उसके लिए खेल का मैदान था, मगर खूबसूरत औरतों के सामने वह एक मेमना था। इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि जिस व्यक्ति में पौरूष होता है और समाज को बनाने बिगाड़ने की क्षमता होती है वह प्रकृति की देन पद्मिनियों के पीछे दीवाना रहता है। महान नाटककारशेक्सपीयर,शैली, कीट्स, यीट्स, वाइरन, रूसो, माक्र्स, लेनिन, माओ, कालीदास, तुलसीदास, जयशंकर प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, डा.लोहिया ऐसे हस्ताक्षर हैं जिनमें सर्जना और विसर्जना की अपूर्व शक्ति थी। लेकिन इसके साथ यह भी सच है कि दुनिया के सभी महान व्यक्ति दूसरों के लिए भीम थे मगर अपनी प्रेमिकाओं के समक्ष मेमना थे। इसके साथ ही यह भी सच है जैसा कि महावीर द्विवेदी ने कहा है,‘‘यह विधि की विडम्बना है मेंह पहाड़ों पर बरसता है, लक्ष्मी मूर्खों को मिलती है, विद्वान दरिद्र होता है और स्त्रियां कुपात्रो पर रीझती है।
महाकवि कीट्स फायना ब्राउनी की याद में मर गया मगर उसका प्यार वह न पा सका। यीट्स इवेन्सा की याद में कवितायें लिखता रहा मगर वह दूसरे के साथ चली गयी। नेपालियन बोनापार्ट लुइस का प्यार नहीं पा सका। तुलसी दास को रत्ना का भरपूर प्यार नहीं मिला। प्रेमिका की बेरूखी से ही जयशंकर प्रसाद को यक्ष्मा हो गया और तो और गोरखपुर के उदीयमान कवि स्व.विद्याधर द्विवेदी विज्ञ अपनी प्रेमिका की बेरूखी से पगला गये। डार्क लेडी की याद में तड़पते हुए शेक्सपीयर का यह कथन ज्यादा सच मालूम होता है, ‘‘फ्रेल्टी दाई नेम इज वोमन’’। चपला! तुम्हारा ही नाम औरत है। नेपालियन–लुइस– के लिए दीवाना था मगर वह उसकी पत्नी होकर भी वह उसे नहीं चाहती थी। वह किसी और को पसंद करती थी। नेपालियन बोनापार्ट बहुत बड़ा जनरल और विजेता था। वह ांस के कारमेका नामक द्वीप में सन् 1762 में पैदा हुआ था। सन् 1797 मैं वह एक राष्ट्रीय हीरो बनकर सामने आया। उसे मिश्र के खिलाफ लड़ने के एक अभियान का कमाण्डर बनाकर भेजा गया। उस जंगी अभियान का एक बहुत बड़ा मकसद यह था कि किस तरह हिन्दुस्तान पर कब्जा किया जाय।
बहुत बड़ा जनरल होने और फौजी लड़ाइयों का माहिर होने के साथ–साथ वह कानून और शासन का भी अच्छा जानकार था। मुल्क की अराजकता को दूर करने के लिए उसने ठोस कानून बनाये। मुल्क में लोगों की बेचैनी दूर करने के लिए उसने क्रांतिकारी उपायों का एलान किया। उसने आर्थिक, न्याय और शिक्षा की व्यवस्था को कामयाब बनाने के लिए ंास में तमाम कानून बनाये। 1804 में उसने शहंशाह की उपाधि धारण की और नया झंडा अपनाया जो आजतक ंास में लहराता है। उसकी स्मरण शक्ति इतनी तेज थी कि अपनी फौज के बोर में उसे हर चीज जबानी याद थी, यहां तक कि सिपाहियों के नाम भी जबानी याद थे। अपने सिपाहियों को उनके नाम से पुकारता था। वह वक्त की इतनी कद्र करता था कि अपना कोई लम्हा गंवाना नहीं चाहता था। वह कहता था कि मै जंग हार सकता हूं लेकिन वक्त खराब नहीं करूंगा। वह कहा करता था कि वक्त ही सब कुछ है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वह अपनीशादी के मौके पर तीन घण्टे देर से पहुंचा। तब तक पादरी जम्हाई लेता–लेता सो चुका था।
नेपालियन को सबसे ज्यादा मोहब्बत अपनी बीबी जोजफीन से थी। युद्ध के मैदान में भी वह उसे याद करता था और मुहब्बत भरे पत्र लिखता था। जोजफीन भी नेपोलियन को दिलोजान से चाहती थी और उसके बगैर रह नहीं सकती थी। नेपोलियन का कहना था कि खूबसूरत औरत देखने से आंख और नेक दिल औरत देखने से मुझे खुशी होती है क्योंकि खूबसूरत औरत एक हीरा है नेक दिल औरत एक खजाना है।
नेपोलियन उससे बेपनाह मुहब्बत करता था, यह उसके एक खत से पता चलता है। उसने लिखा ‘‘मेरी सबसे बड़ी कमी शायद वह है कि खुद ने मुझे वह खूबसूरती अता नहीं की जो हम एक रूप हो जाते लेकिन मेरे लिए यह काफी है कि जोजफीन मुझे अपने ख्यालों में थोड़ी सी जगह दे दे सिफर् इसलिए कि मैं उससे मुहब्बत करता हूं। ऐसी मुहब्बत जो पागलपन भी कहला सकती है। अगर एक बार तुम मुझे यह यकीन दिला देा कि अब तुम मुझसे कभी मुहब्बत नहीं कर सकोगी तो अपनी किस्मत का कसूर समझकर सब्र कर लूंगा और अपनी जिन्दगी इस बात पर कुर्बान कर दूंगा कि कभी मैं तुम्हारे काम आ सकूं।
जोजफीन भी पढ़ी–लिखी महिला थी। वह अपने आपको बहुत कुछ समझती थी। लेकिन नेपालियन की बहन उसे कबूल नहीं करती थी। आपस की झंझट की वजह से ननद–भावज में अक्सर झगड़ा होता रहता था। वह मछुआरों की बस्ती में पैदा हुयी थी। एक छोटे से अंधेरे मकान में उसने जन्म लिया था। शक्ल–सूरत के लिहाज से बहुत खूबसूरत थी उसका जिस्म मोहक सा था। जवानी में बेवा हो गयी थी। उसके दो बच्चे थे। उसक पति ांस की क्रांति में मारा गया। वह इतनी कर्जदार हो गयी थी कि उसकी जिन्दगी बड़ी मुसीबतों और तकलीफों में गुजर रही थी। अब उसे ऐसे पति की जरूरत थी जो उसकी तकलीफें दूर कर सके। उसने अपनी मुहब्बत का जादू नेपोलियन पर चला दिया।
इनकी शादी बहुत कामयाब नहीं रही। नेपोलियन की दिली ख्वाहिश थी कि उसके कोई लड़का हो जबकि जोजफीन से कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ। उसे यह मालूम भी हो गया था कि नेपोलियन मिस्र की किसी हसीन लड़की की मुहब्बत में गिरफ्तार हो चुका है ओर यही बात उसे बिल्कुल पसंद नहीं थी। इस बात को लेकर रोज लड़ाई–झगड़ा होता था। नेपोलियन इन झगड़ों से तंग आ चुका था। उसने अपनी बीबी को तलाक देने का फैसला कर लिया लेकिन जिस वक्त वह तलाक के कागज पर दस्तखत कर रहा था उस समय उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे। इसके बाद वह बहुत परेशान हुआ। बहुत दिनों तक उदास रहा। किसी से बात नहीं करता था। तलाक देना उसकी जिन्दगी की बहुत बड़ी घटना थी। लड़ाई में हारने का कभी उसने उतना अफसोस नहीं किया जितना कि तलाक देने के बाद।
जोजफीन से वह बाद में भी बेहद मुहब्बत करता रहा। जोजफीन के मरने के बाद वह उसकी कब्र पर गया और फूट–फूट कर रोने लगा। नेपोलियन के मरते वक्त भी उसकी जबान से जो आखिरी शब्द निकला वह था–‘‘जोजफीन’’। तलाक के बाद यह सोचा जाने लगा कि शादी कहां हो। अंगे्रज और जर्मन नेपोलियन की जान के सख्त दुश्मन थे। इटली वगैरह से भी उसके सम्बन्ध खराब थे। इंग्लैण्ड से भी नेपोलियन को खतरा था। ऐसी हालत में नेपोलियन के लिए कोई फैसला करना बड़ा मुश्किल था। उसने अपनी सल्तनत को मजबूत करने के लिए पुराने जमाने के बादशाहों की तरह राजनीतिक शादी करने का निश्चय किया। उस समय रूस के जार और आस्ट्रिया की दो खूबसूरत शाहजादियां शादी के लिए उपलब्ध थी। दोनों ही अपनी लड़कियां नेपोलियन को देना चाहते थे। इन दोनों में से नेपोलियन को एक का चुनाव करना था। इस समस्या को हल करने के लिए उसने ग्यारह व्यक्तियों की एक सलाहकार समिति बनाई। काफी विचार–विमर्श के बाद चार आस्ट्रिया की शाहजादी से, तीन ने रूस की और तीन ने जर्मनी की शाहजादी के बारे में अपनी राय दी। आखिर में तय पाया गया कि आस्ट्रिया की शाहजादी मेरी लूइसा से ही शादी की जाय।
लेकिन लूईसा नेपोलियन को बेहद नापसन्द करती थी। नेपोलियन ने मेरी लूईसा को देखा भी नहीं था। वह शादी केवल सौदबाजी पर आधारित थी। मेरी लुइसा ने तो पहले ही अपना जीवन साथी तय कर लिया था। वह एक ड्यूफ पर फिदा थी और उसी से अपना रिश्ता कायम करना चाहती थी लेकिन उसे नेपोलियन से शादी करनी पड़ी। नेपोलियन ने पहली बार उसे तब देखा ंास का मलका बन कर आयी। लुइसा बेपनाह खूबसूरत और हसीन थी। नेपोलियन उसके मुकाबले में खूबसूरत नहीं था। उसे इतिहासकार यूरोप का विजेता कहते हैं मगर वह लुइसा के दिल को जीत पाने में नाकामयाब रहा।
नेपोलियन बड़ी अजीबोगरीब तबीयत का मालिक था। वह खूबसूरत औरतों का रसिया था। जहां कहीं वह कोई हसीन औरत देखता उसे दिल दे बैठता था। उसके नजदीक औरत की हैसियत एक खिलौने से ज्यादा कुछ नहीं थी। वह खूबसूरत औरतों की तलाश में रहता था। जिस पर उसका दिल आ जाता उसे हासिल करने मेंे जान की भी बाजी लगा देता। वह जंग के मैदान के अलावा इश्क के मैदान भी काफी तजुरबा रखता था। उसने बड़ी बेकरार तबीयत पायी थी। जब वह जीतते हुए मिस्र पहुंचा तो वहां भी चैन से नहीं बैठा।
खूबसूरत औरतें उसकी कमजोरी बन गयी थी। कहते हैं कि एक बार उसे एक लेफ्टीनेन्ट की बीबी मैडम खूरे पालीन उसे पसंद आ गयी। उसने उसे दावत के लिए एक कार्ड भेजा। नेपोलियन की तरफ से दावत मिलने पर पालीन की खुशी का ठिकाना न रहा। आखिर ंास के बादशाह ओर सबसे बड़े जनरल ने उसे यह दावत दी थी। अपने पति लेफ्टीनेन्ट खूर के मना करने के बावजूद वह दावत में गयी। मैडम खूर कुंवारी मां की बेटी थी और बेइन्तेहा खूबसूरत थी और नेपोलियन को आत्मसमर्पण करने में उसने अपनी जिन्दगी की सबसे बड़ी खुशी महसूस की और उनके रोमांस का सिलसिला जोर पकड़ता रहा।
लेफ्टीनेन्ट खूर को ब्रिटेन के एक मशहूर जासूस वारनेड ने जब आगाह किया और असलियत की जानकारी करायी तो तैश में आया और नेपोलियन के विश्राम गृह पर जा पहुंचा। वहां ांसीसी सिपाही पहरा दे रहे थे। रात का वक्त था। वह अपनी आंखों से दोनों की रंगरेलियां देखना चाहता था। वह बेखौफ होकर नेपोलियन के सोने के कमरे में दाखिल हो गया। उसने अपनी बीबी को एक आलीशान और खूबसूरत पलंग पर नंगे लेटे पाया। उसने गुस्से में पालीन को मारना–पीटना शुरू कर दिया। पालीन के रोने और चीखने की आवाजें नेपोलियन के कान में पहुंची तो वह फौरन साथ वाले कमरे से अन्दर आ गया। लेफ्टीनेन्ट खूरे के साथ में पिस्तौल थी। वह उससे नेपोलियन और पालीन दोनों को छलनी कर सकता था। लेकिन नेपोलियन को देखकर वह कांपने लगा। नेपोलियन ने अपनी निगाहें उस पर गड़ा दी। उसकी आंखों में शोले चमक रहे थे। उसने हुक्म दिया कि दरवाजा खोलो और लेफ्टीनेन्ट ने फौरन दरवाजा खोला और बेचारा लेफ्ट–राइट करता हुआ बाहर चला गया।
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