Thursday 4 October 2012

यौन आजादी से युवक-युवतियों में फैल रहा है कैंसर

यौन आजादी से युवक-युवतियों में फैल रहा है कैंसर

नई दिल्ली: समाज में तेजी से आ रहे खुलेपन, उपभोक्तावाद और पश्चिमीकरण के कारण बढ़ रही यौन स्वछंदता एवं उन्मुक्त यौन संबंधों के कारण किशोरों और युवकों में कैंसर का प्रकोप तेजी से फैल रहा है।


विशेषज्ञों का कहना है कि समाज में आ रहे खुलेपन के अलावा इंटरनेट तथा फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों, मोबाइल फोन, डिस्कोथिक, हुक्का पार्लरों एवं आधुनिक मॉलों के कारण लड़के, लड़कियों के बीच असुरक्षित यौन संबंध तेजी से बढे़ हैं जिसके कारण एड्स के अलावा जानलेवा कैंसर का तेजी से फैलाव हो रहा है।

किशोरों एवं युवकों में कैंसर के फैलाव एवं उनकी रोकथाम के उपायों पर चर्चा करने के लिए देश भर में कैंसर विशेषज्ञ इस सप्ताहांत हो रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में जुट रहे हैं जो इस तरह का पहला सम्मेलन है। इस सम्मेलन में दिल्ली, मुंबई, बंगलूरू और कोलकाता से जाने-माने कैंसर विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

शनिवार से शुरू हो रहे इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहे फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एआईएमएस) के अध्यक्ष डॉक्टर एन. के. पाण्डे ने बृ‌हस्पतिवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारे देश में विभिन्न कारणों से किशोरों और युवाओं में कैंसर के दुर्भाग्यपूर्ण मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।कैंसर से पीडि़त लोगों में से एक बड़ी संख्या 15 से 35 वर्ष के किशोरों एवं युवकों की है और भारत की आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा अर्थात 4 करोड़ 65 लाख लोग इसी आयु वर्ग के हैं। बाल्यावस्था के कैंसर की तुलना में 15-35 वर्ष के युवाओं में कैंसर का प्रकोप लगभग आठ गुना अधिक है।

विशेषज्ञों ने कहा कि यौन संबंधों को लेकर खुलेपन का खामियाजा युवकों एवं किशोरों को किस स्तर तक भुगतना पर रहा है। इसका पता अमेरिका में हुए एक ताजा सर्वे से चला है जहां किशोर वय की हर चार में से एक लड़की किसी न किसी संक्रामक यौन रोगों से पीडि़त हैं। ये रोग बाद में ग्रीवा कैंसर, मुंह के कैंसर और बांझपन के कारण बन सकते हैं।कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर प्रकाश चिताल्कर ने कहा कि हमारे देश में हर साल करीब ढाई लाख युवा एवं किशोर ऐसे कैंसर के शिकार बनते हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर कैंसर का इलाज संभव है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जागरूकता के अभाव एवं समुचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण कई युवकों की मौत हो जाती है।



डॉक्टर पाण्डे ने बताया कि यौन रूप से अधिक सक्रिय महिलाओं और लड़कियों में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण होने का खतरा रहता है जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का मुख्य कारण है। हालांकि इसका निवारण और इलाज किया जा सकता है। एचपीवी टीके से इस तरह के कैंसर पैदा करने वाले 70 प्रतिशत एचपीवी स्ट्रेन को कैंसर पैदा करने से रोका जा सकता है।इसलिए नौ से 26 साल की लड़कियों को इसका टीका अवश्य लगाना चाहिए। गर्भाशय र्गींवा कैंसर का पता पैप स्मीयर जांच से लगाया जा सकता है। डॉक्टर चित्तालकर ने बताया कि आधुनिक प्रवृतियों के कारण महिलाओं में कम उम्र में ही स्तन कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है। इसके लिए किशोरावस्था में मोटापा, देर से शादी, करियर, शहरी तनाव, देर से बच्चे का जन्म, बच्चे को स्तनपान नहीं कराना, कम उम्र में माहवारी की शुरूआत और देर से रजोनिवृति आदि प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।

गांवों में प्रति एक लाख महिलाओं में नौ से 12 महिलाओं को जबकि बडे़ शहरों में 35-45 महिलाओं को स्तन कैंसर होता है। डॉक्टर चित्तालकर ने कहा बताया कि लड़कियों एवं महिलाओं का एक सामान्य कैंसर अंडाशय का कैंसर है जो सेक्स कोशिकाओं से होता है और इसका इलाज संभव है। यहां तक जब अग्रिम अवस्था में जब यह फैल चुका होता है तब भी इसका इलाज संभव है।

इस कैंसर के इलाज के बाद सामान्य यौन जिंदगी और प्रजनन संभव है। इसी तरह अंडाशय के कैंसर के मामले में एक अंडाशय निकाल देने और कीमोथेरेपी के बाद रोगी सामान्य जिंदगी जी सकता है। हालांकि ऐसे कैंसर के मामले में कीमोथेरेपी से पहले शुक्राणु को निकालकर सुरक्षित रख लिया जाता है। 



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