Thursday 1 November 2012

नहीं लगता मन तो करें सैक्स

नहीं लगता मन तो करें सैक्स

काम के दौरान हम अक्सर सपनों की अलग दुनिया में खोए रहते हैं। दिमाग यहां - वहां घूमने लगता है और फोकस नहीं रहता। एक्सपर्ट्स कहते हैं यह स्वास्थ्य के लिए बुरा है और इससे मुक्ति पाने का एक कारगर तरीका है -सेक्स किया जाए।

 जी हां, दांत साफ करते हुए या दूसरे कई काम करते हुए हममें से कई कुल 50 फीसदी समय में डे - ड्रीमिंग में लीन रहते साइंटिस्ट्स का कहना है कि केवल सेक्स करते समय दिमाग का यहां - वहां घूमना यानी डे - ड्रीमिंग नहीं होती। या यूं कहिए कि काफी हद तक कम हो जाती है।

दिमाग की आवारागर्दी में 30 परसेंट तक की कमी आ जाती है सेक्स के दौरान। हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के मैथ्यू किंलिंग्सवर्थ और उनके सहयोगी डेनियल गिलबर्ट ने इस संबंध में एक स्टडी की और पाया कि लोग दिन में सपने (डे-ड्रीमिंग) इसलिए करते हैं ताकि उनका खराब मूड ठीक हो सके।

लेकिन देखा यह गया है कि व्यक्ति के मूड को बेहतर करने में डे-ड्रीमिंग केवल बहुत थोडा सा ही रोल अदा करती है। कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी के जोनाथम स्मॉलवुड के अनुसार निगेटिव मूड और माइंड-वॉन्डरिंग का आपस में कोई लिंक तय कर पाना वाकई बडा कठिन है और इस पर काम किए जाने की जरूरत


स्टडी से निकले निष्कर्षो के आधार पर कहा गया कि डिप्रेशन से बचने के लिए डे-ड्रीमिंग की जाए जरूरी नहीं है बल्कि करना यह चाहिए कि खुद को बिजी रखें और मेडिटेशन करें।
साइंस मैग्जीन में पब्लिश हुए आर्टिकल में स्मॉलवुड ने कहा कि वैसे यह दिलचस्प तथ्य है कि डे-ड्रीमिंग कई आविष्कारों की जननी रहा है। निश्चित तौर पर हम लोगों को यह तो नहीं ही कहेंगे कि दिन में सपने न देखे जाएं।
           

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