Sunday 26 August 2012

पॉर्न का चस्का...

मजे से टाइम पास तक चुपके - चुपके , यहां - वहां , पॉर्न देखने का गेम यहां चलता ही रहता है। घर से लेकर ऑफिस और स्कूल - कॉलेज से लेकर साइबर कैफे तक में पॉर्न दिल्ली में कहीं भी और कभी भी देख लिए जाते हैं। कभी दोस्तों के साथ मस्ती के लिए , तो कभी अकेले होने पर टाइम पास के लिए इन क्लिपिंग्स को देखना कोई माइंड नहीं करता। यही नहीं , कभी - कभी तो इसके लिए लोग ' डेयरिंग ऐक्ट्स ' भी दिखाते हैं। 

मोबाइल ने चढ़ाया शौक
हाइऐंड गैजट्स के भी लोग खूब दीवाने हैं और एक्सपर्ट्स की मानें , तो बढ़िया मोबाइल फोन पॉर्न का सबसे बड़ा सोर्स बन चुके हैं। मोबाइल की वजह से पॉर्न की पूरी लाइब्रेरी अब लोगों के साथ होती है। जब मूड हुआ और समय मिला , इससे दिल बहला लेते हैं लोग।स्मार्टफोन्स और 4 जी जैसी टेक्नॉलजी दूसरी तमाम सुविधाओं के साथ लोगों के लिए पॉर्न देखना भी आसान कर चुकी है। मैंने नोटिस किया है कि ऑफिस के वॉशरूम जैसी जगहों तक पर लोग इसे इंजॉय करते रहते हैं। '

 
इस मामले में ऑफिस का भी खूब यूज किया जाता है। ज्यादा जल्दी आने और देर तक रुकने वाले भी तमाम लोगों का ' डेडिकेशन ' आप चेक करने बैठेंगे , तो संभव है वहां भी कुछ पॉर्न निकल आए। ऑफिस के अंकल जी और बैचलर्स की इस मामले में जबर्दस्त जुगलबंदी होती है। आप उनके ' नेट हिस्ट्री ' में ऐसे बहुत से लिंक देख सकते हैं।


छोटी जगह का फंडा
ऑफिस की जिस एक कुर्सी पर पूरा दिन अजस्टमेंट में बीतता है , उतनी जगह पर तो कई कपल्स एक दिन में पॉर्न ऐक्ट तक इंजॉय कर लेते हैं। और ऐसा होता है अपनी साइबर कैफे में। नेट पर सर्च मारकर देखिए , कैफे के क्यूबिकल में क्या कहानी होती है , आपको पता चल जाएगा। वह भी पब्लिक प्लेस ही तो है !

वैसे , पॉर्न स्टफ देखना साइबर कैफेज़ में सेफ तो है ही। और जब आपने स्टफ देख लिया है , तो मूड तो सेट होगा ही। ऐसे में जब कोजी प्लेस में लवर का साथ हो , तो छोटा क्यूबिकल भी बड़ा बन जाता है।

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