Sunday 2 September 2012

नॉन-सेक्सुअल या सेक्सलेस मैरिज???


पोर्न और सेक्स संबंधी सामग्री से यूं तो बाजार पटा हुआ है, इसके बावजूद गूगल सर्च इंजन में सेक्सलेस मैरिज पर लगभग साढे सात लाख पेज खुलते हैं। यह नया परिदृश्य है, जहां युवा खुद को नॉन-सेक्सुअल स्वीकारने लगे हैं। इन्हें लेस्बियन या गे श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, यह एक किस्म का नजरिया है, जो कभी बदलता है तो कभी अडिग रहता है।
विवाह स्त्री-पुरुष को आत्मिक और शारीरिक दोनों तरह से एकाकार करता है। लेकिन जब दो पार्टनर्स के बीच सेक्स संबंध बेहद कम होते हैं या बनते ही नहीं, तो इसे सेक्स-विहीन, नॉन-सेक्सुअल या सेक्सलेस मैरिज कहा जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो प्रेस, न्यू साइंटिस्ट और जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक 100 में से कोई एक ऐसा होता है, जिसे सेक्स में दिलचस्पी नहीं होती। इस सर्वे में शामिल 3500 लोगों में से 40 फीसदी ने एक साल के भीतर सेक्स संबंध नहीं बनाए थे। यू.एस. नेशनल हेल्थ एंड सोशल लाइफ सर्वे (1994) में ऐसे लोगों की संख्या दो फीसदी बताई गई है, जबकि एक ग्लोबल पत्रिका के अनुसार 15 से 20 फीसदी विवाहित जोडों की जिंदगी से सेक्स गायब है। 

सेक्स को नो-नो क्यों
मनोवैज्ञानिक और एक्सप‌र्ट्स इसके पीछे कई वजहें गिनाते हैं। दिल्ली की लाइफस्टाइल एक्सपर्ट डॉ. रचना सिंह कहती हैं, ऐसे लोग बेहतर लवर्स तो हो सकते हैं, लेकिन सेक्स में इनकी रुचि नहीं होती। समस्या यह है कि ज्यादातर को इस बात का पता शादी के बाद ही चलता है। वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक व मैरिज काउंसलर डॉ. भागरानी कालरा कहती हैं, विवाह में सेक्स संबंधों से इंकार को प्रमुख रूप से तीन स्तरों पर समझा जा सकता है। पहले हिस्से में रोजमर्रा की समस्याएं आती हैं। संयुक्त परिवार, छोटे फ्लैट्स, बच्चे, आर्थिक समस्या, अत्यधिक व्यस्तता। ऐसे मामलों में सेक्स एक सीमा तक बाधित होता है। स्थितियां ठीक होने पर संबंध भी सामान्य हो जाते हैं। 

 दूसरे स्तर पर है- आपसी समझदारी का अभाव। पार्टनर को आहत करना, उसे नीचा दिखाना, भरोसा न करना, संवादहीनता और अनदेखी करना..।
तीसरे स्तर पर मनोवैज्ञानिक-शारीरिक समस्याएं आती हैं। पोस्ट-प्रेग्नेंसी, हॉर्मोनल बदलाव, मेनोपॉज या किसी सर्जरी से भी सेक्स लाइफ प्रभावित हो सकती है। क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के अलावा लंबे समय तक दवाओं के सेवन, डायबिटीज जैसी बीमारियों का भी सेक्स लाइफ पर प्रभाव पडता है।
इनके अलावा एक श्रेणी और है। इसमें विवाहेतर संबंधों और पोर्न एडिक्शन को शामिल किया जा सकता है। 

इंकार को हां में बदलें
यह सच है कि सेक्स शरीर की नहीं, मन की भी जरूरत है। इसके न होने पर चिडचिडाहट, सिर दर्द, क्रोध, तनाव, अवसाद या कुंठा जैसे भाव पैदा हो सकते हैं। इसलिए अगर यहां बताई गई वजहों से सेक्स लाइफ प्रभावित हो रही हो तो इन्हें दूर करने की कोशिश करें। सेक्स थकान या तनाव को दूर करने में किसी भी दवा से अधिक कारगर है। प्यार का खुमार बना रहे, इसके लिए कुछ टिप्स-
1. एक-दूसरे का बॉडी मसाज करें। इससे सोई हुई भावनाओं को जगाया जा सकता है।
2. बेडरूम में हलकी रोशनी वाला नाइट लैंप रखें। कमरे को शोररहित बनाएं, मोबाइल को साइलेंट मोड पर कर दें और धीमा-मधुर संगीत सुनें।
3. सोने से पहले हलके गुनगुने पानी से नहा लें और डिओ या परफ्यूम स्प्रे करें। भीनी-भीनी खुशबू का असर इच्छाओं पर भी पडता है।
4. सुबह जल्दी ऑफिस निकलना है तो समय पर बेडरूम में जाएं, ताकि एक-दूसरे को समय देने के बाद नींद भी पूरी कर सकें।
5. आर्थिक समस्याएं, बच्चों-बडों की उलझनें, नौकरी की परेशानियां अंतरंग क्षणों में न बांटें। एक-दूसरे की ओर पीठ करके न सोएं। स्पर्श होने दें।
6. शारीरिक समस्या है तो उसका समय रहते इलाज करवाएं। डॉक्टर ने कुछ समय के लिए सेक्स संबंधों के लिए मना किया हो (मिसकैरेज में) तो पार्टनर को दूसरे तौर-तरीकों से संतुष्ट करने की कोशिश करें।
7. आप कितने भी संवेदनशील हों, बेडरूम में कभी-कभी डर्टी टॉक्स करें। खुद को उन्मुक्त छोडें, एक-दूसरे के शरीर पर अधिकार भावना भी रखें।
8. सेक्स के तौर-तरीकों के बारे में आपस में खुलकर बात करें। साथी को ओरल सेक्स या पोर्न में दिलचस्पी नहीं है तो उसे मजबूर न करें। आपसी समझदारी से तय करें कि आपको क्या पसंद है और क्या नहीं।
9. पार्टनर की संतुष्टि का ध्यान रखें। पुराने दौर में स्त्री को पैसिव पार्टनर माना जाता था, लेकिन अब वह भी ऐक्टिव पार्टनर है। युवा वर्ग अपनी जीवनसंगिनी को ऐक्टिव पार्टनर के रूप में देखना पसंद करते हैं।
10. बेडरूम में अच्छा महसूस करने के लिए घर का माहौल भी सुखद रखें। दिन में एक-दूसरे को हिकारत से देखेंगे तो रात में सेक्स संबंधों में सहयोग की इच्छा बेमानी है।
11. हॉर्मोनल बदलावों से जूझ रहे हैं तो निश्चिंत रहें। शादी के कुछ वर्षो बाद एक दोस्ताना रिश्ता भी सेक्स जितना ही मीठा होता है।

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